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इस साल साढे सात करोड़ की खालें दी जाएगी खैरात में

रविन्द्र सिंह, भोपाल

कुर्बानी के बाद बकरों की खालों का इस्तेमाल दीन की राह पर होता है। इसके चलते खालों को किसी यतीमखाना, मदरसा या फिर मस्जिद के लिए खैरात में दिया जाता है। जहां इन खालों को बेचने से होने वाली आमदनी से यतीम बच्चों की पढ़ाई और परवरिश होती है। 

भोपालियों की पहली पसंद बने हैं राजस्थानी बकरे
यतीमखानों, मदरसों की देखभाल पर होता है खर्च

भोपालियों की पहली पसंद बने हैं राजस्थानी बकरे


आष्टा से लेकर नरसिंहगढ़ तक जाते हैं खरीददार


भोपाल में हर साल बकरीद पर करीब डेढ़ लाख बकरों की कुर्बानी दी जाती है। एक कच्ची खाल का भाव 450 से 600 रुपए तक होता है। औसत 500 रुपए प्रति खाल माने तो डेढ़ लाख खालों को बेचने से 7 करोड़ 50 लाख रुपए की आमदनी होगी। इन खालों को दलालों के जरिए व्यापारी खरीदकर नमक लगाकर ट्रÞकों के जरिए कानपुर या कोलकाता की लेदर फैक्ट्रियों को डेढ़ से दो गुना दाम लेकर बेच देते हैं। 

आष्टा से लेकर नरसिंहगढ़ तक जाते हैं खरीददार
कुर्बानी के लिए बकरों की खरीद फरोख्त चरम पर है। भोपाल में रोजाना आधा दर्जन ट्रक बकरे बेचने के लिए लाए जा रहे हैं। बावजूद, भोपालियों की पहली पसंद राजस्थानी बकरे बने हुए हैं, जिनको खरीदने निजी गाड़ियों से आष्टा और नरसिंहगढ़ से लेकर काला पीपल होते हुए जीरापुर तक की मंडियों तक पहुंच रहे हैं। भोपाल में बकरों से भरे ट्रक सुबह से ही यादगारे शाहजहांनी पार्क के साथ ही भोपाल टॉकीज चौराहा, बुधवारा पहुंचने लगते हैं। इसके अलावा लोडिंग आटो या दूसरे छोटे वाहनों से लालघाटी, आनंद नगर और करोद में भी बकरे उतारे जा रहे हैं। सामान्य कद काठी के बकरे 8 से 15 हजार के बीच बिक रहे हैं। इसके बाद दिखलौट यानि खूबसूरत और कम उम्र के लिहाज से कीमत बढ़कर 25 से 30 हजार तक पहुंच रही है। हालांकि, यही बकरे आस पास के कस्बों में 2 से 3 हजार रुपए कम में मिलने से खरीददार निजी वाहनों से जा रहे हैं। 

कुर्बानी के लिए राजस्थानी बकरों की डिमांड
कुर्बानी के लिए राजस्थानी बकरों की सर्वाधिक डिमांड है। यह बकरे लाल, कत्थई और प्लेन व्हाइट या ब्लैक में आते हैं, जिनकी बनावट अच्छी होती है। इसके लिए भोपाल से निजी वाहनों में श्यामपुर, आष्टा, जीरापुर, मेहतवाड़ा, देवास, काला पीपल, इमलाहा (रतलाम), श्यामपुर, नरसिंहगढ़, बैरसिया आदि जा रहे हैं। यहां पर राजस्थान के पशुपालक हर साल बकरे लेकर आते हैं। इससे बिचौलियों का प्रति बकरे पर करीब 3 हजार रुपए का कमीशन बच जाता है और सीधा फायदा खरीदने वालों को होता है। बकरों की कीमत उनकी सुंदरता और कम उम्र से होती है। अगर पूरा सफेद हो और उम्र सिर्फ सालभर की हो तो बकरे की कीमत आसानी से 50 हजार से शुरु होकर एक-डेढ़ लाख तक पहुंच जाती है। उम्र बढ़ने के साथ ही कीमत घटती जाती है।

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खूबसूरत होना जरुरी
कुर्बानी के लिए कम उम्र के साथ ही बकरे का दिखलौट होना जरुरी है, जितना खूबसूरत बकरा होगा,
 उतनी ही ज्यादा कीमत अदा करनी होगी।
मोहम्मद अब्दोहू कमाल, व्यवसायी

सफेद की ज्यादा कीमत
सफेद रंग का और कम उम्र का बकरा होने पर ज्यादा कीमत लगती है। वैसे भी अच्छे होने से 
राजस्थानी बकरों की सबसे ज्यादा डिमांड रहती है।
मोहम्मद इजहार, रेल कर्मचारी

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