चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री बना तो अब हरियाणा का मुखिया सब्जी बेचने वाला बनेगा। रोहतक जिले के गांव बनियानी के मनोहर लाल खट्टर को विधायक दल का नेता चुना गया, जो बचपन में सब्जी बेचा करते थे। उनका बचपन संघर्ष में बीता। एक समय था जब मनोहर लाल खट्टर पर परिजनों का राष्टय स्वयंसेवक संघ की प्रचारक परंपरा को छोड़ घर संभालने का दबाव था। इस पर उन्होंने परिजनों ने कहा था कि उनके चार भाइयों में से किसी एक को देशसेवा के लिए भेज दो तो वे घर वापस आ जाएंगे, लेकिन बात नहीं बनी और मनोहर लाल ने आजीवन अविवाहित रहते हुए समाजसेवा का संकल्प ले लिया। अब मनोहरलाल हरियाणा के सीएम हैं और पहले गैर जाट सीएम होने से उनके सामने जाट राजनीति के साथ ही विकास की चुनौती होगी। पूर्व सीएम हुड्डा जाते-जाते 5 हजार करोड के विकास कार्यों का एलान कर गए हैं, जबकि राज्य के खजाने में फूटी कौड़ी नही हैं।
आज भी खस्ताहाल है मनोहरलाल का पुश्तैनी घर |
ही विकास की चुनौती
महम खंड (रोहतक जिला) के निदाना गांव में 1954 में जन्मे मनोहर लाल की स्कूली शिक्षा कलानौर खंड के गांव बनियानी में हुई। इनके पिता की बनियानी गांव में एक दुकान की थी, जिसके बाद इनका परिवार इसी गांव में रहने लगा। छात्र जीवन में वे काफी गंभीर प्रवृति के थे, जिसके कारण कक्षा के दूसरे विद्यार्थी उन्हें हेडमास्टर कहकर पुकारते थे। पाकिस्तान से आया परिवार को मिली जमीन पर सब्जियां उगाकर तड़के ही मनोहर अपनी साइकिल पर रोहतक ले जाकर बेचते, फिर स्कूल जाते थे। सात भाई बहनों में सबसे बडे मनोहर ने इसके बाद अपने एक रिश्तेदार के साथ दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में कपड़े का कारोबार किया। 1975 में आपातकाल के दौरान देशसेवा की ओर मुडे और 1977 में राष्टय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने। 1980 में कारोबार और घर छोड़ प्रचारक निकले। चौदह साल तक संघ में विभिन्न दायित्वों पर रहे। संघ का अंतिम दायित्व उनके पास हिसार और भिवानी विभागों के प्रचारक का रहा। इन विभागों में सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ जिले आते हैं।
संघ की पसंद से बने सीएम
मनोहर लाल के पक्ष में सारे दावेदारों को मनाया गया और पहले ही सहमति ले ली गई। इसके बाद एकमत से विधायक दल का नेता चुना जाकर राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी के सामने दावा पेश किया गया।
जम्मू-कश्मीर से बढ़ा राजनीति में कद
2002 में पार्टी ने उन्हें जम्मू-कश्मीर का प्रभारी बनाया। इसके बाद हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें एक बार फिर हरियाणा में जिम्मेदारी सौंपी गई और उन्हें चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया। इस चुनाव में पुराने कार्यकर्ताओं को काम में लगाने और रूठों को मनाने में उनकी खास भूमिका रही।