रेलिक रिपोर्टर, भोपाल.
1984 में दिसंबर 2 और 3 की रात हुई दुनिया की सबसे भीषणतम औद्योगिक त्रासदी के मुख्य दोषी वारेन एंडरसन की फ्लोरिडा में मौत हो गई है। एंडरसन 92 वर्ष के थे। मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक यूनियन कार्बाइड के प्रमुख एंडरसन की मौत बीते 29 सितंबर को हो गई थी, लेकिन उनके परिवार के लोगों ने उस वक्त इस बात का खुलासा नहीं किया था।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के भोपाल मे 3 दिसंबर 1984 को यूनियन कार्बाइड कंपनी के कारखाने से मिथाइल आइसो साइनाइट (मिक) नामक एक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था। इस गैस का उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था। इस हादसे में करीब 15,000 से ज्यादा लोगो की मौत हो गई थी। इसके अलावा करीब सवा लाख लोग शारीरिक अपंगता से लेकर अंधेपन के भी शिकार हो गए थे।
गैस पीड़ित संगठनों में नाराजगी
एंडरसन को भारतीय अदालतों से जारी गिरफ्तारी वारंट के पालन में पकड़कर भारत नहीं ला पाने से गैस पीड़ित संगठन खासे नाराज हैं। गैस पीड़ित संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष अब्दुल नफीस और संयुक्त संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष शमसुल हसन बल्ली का कहना है कि, एंडरसन की मौत केंद्र सरकार के मुंह पर तमाचा है, क्योंकि बीते 28 साल से जारी गिरफ्तारी वारंट का पालन नहीं हो सका। नतीजे में आपराधिक मामलों की सुनवाई लटकती रही और महत्वपूर्ण सुबूत नष्ट हो गए।