दक्षिण भारत में रजनीकांत की लोकप्रियता का क्या स्तर है, ये किसी से छिपा नहीं है। रजनी के इशारे मात्र से प्रदेश की सरकार पलट सकती है और बन भी सकती है। इसी गणित को ध्यान में रखते अब भाजपा ने कर्नाटक के बाद तमिलनाडू में भी अपने पैर पसारने के लिए रजनीकांत को पार्टी में शामिल करने के साथ ही मुख्यमंत्री प्रत्याशी बनाने की रणनीति पर काम शुरु कर दिया है। इसके लिए किसी भी तरह से रजनी को सक्रिय राजनीति में लाने की मुहिम की बागडोर स्वयं पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने संभाल रखी है। वैसे भी याद दिलाते चलें कि, बीते आम चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने रजनीकांत से मुलाकात की थी।
डीएमके की गृह कलह और एआईडीएमके में जयललिता के जेल जाने के बाद नेतृत्वहीनता को भुनाने की तैयारी
पिछले दिनों भाजपा की तमिलनाडु इकाई की अध्यक्ष तमिलसाई सुंदरराजन ने रजनीकांत की पत्नी सुनीता रजनीकांत से मुलाकात की। ये मुलाकात रजनीकांत के आवास पर हुई। रजनीकांत इन दिनों अपनी फिल्म लिंगा की शूटिंग के लिए विदेश में हैं। सुंदरराजन ने सुनीता के समक्ष रजनीकांत को भाजपा में शामिल होने का प्रस्ताव दिया। हालांकि, खुलेतौर पर यही बताया गया कि, रजनीकांत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन पर लिखी एक किताब के लोकार्पण का निमंत्रण दिया गया। सुनीता ने कहा कि वह रजनीकांत के वापस लौटने पर राज्य के राजनीतिक हालात पर चर्चा करेंगी। वहीं, भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि तमिलनाडु में इस समय जैसे हालात हैं, उसमें राजनीकांत जैसी लोकप्रिय शख्सियत का भाजपा में शामिल होना बहुत ही फायदेमंद हो सकता है।
उन्होंने बताया कि 1996 में रजनीकांत ने डीएमके-टीएमसी गठबंधन को समर्थन दिया था और उन्हें चुनावों में कामयाबी मिली थी। इस समय एआईएडीएमके और डीएमके के नेता भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे है। आने वाले विधानसभा चुनाव में राज्य को नेतृत्व संकट से जूझना पड़ सकता है।
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दक्षिण की कामयाब अभिनेत्री खुशबू |
दक्षिण की कामयाब अभिनेत्री खुशबू ने डीएमके छोड़ दिया है। तमिलनाडु में खुशबू डीएमके के लोकप्रिय चेहरो में रही हैं। वह पार्टी की प्रवक्ता थीं। खुशबू की लोकप्रियता का आलम यह है कि, खुशाम्बिका देवी के नाम से उनके मंदिर तक बने हैं। ऐसे में भाजपा की सोच है कि, खुशबू को पार्टी में लाकर बड़ा वोट बैंक हथियाया जा सकता है।
इसी तरह एआईएडीएमके सुप्रीमो जयललिता की आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तारी के बाद भाजपा ये मान रही है के आगामी विधानसभा चुनावों में तमिलनाडु में नेतृत्व का संकट हो सकता है। दूसरी ओर, डीएमके के कई नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप है और ये पार्टी भी आतंरिक कलह से घिरी हुई। भाजपा इस अवसर का इस्तेमाल तमिलनाडु में अपनी जड़ें मजबूत करने के लिए करना चाहती है।