वृद्ध दिवस पीड़ितम लोगों को गले लगाने का दिवस है। आज के परिवेश में लोग अपने बूढ़े माता पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ आते है, जहां उनके लिए विभिन्न व्यवस्थाएं शासन की ओर से की जाती है। बावजूद वे अपने बच्चों से मिलने के लिए बैचेन रहते है। हमें चाहिए कि हम बच्चों में ऐसे संस्कार डाले कि वे बड़ों का सम्मान करने वाले बने ताकि भविष्य में आज के तरह की परिस्थितयों से बच सकें। कानून ने भी वृद्धों में लिए कई नियम बनाए है, वहीं शासन ने योजनाएं चला रखी है। यदि किसी के पुत्र अपने माता पिता का भरण पोषण नहीं करते तो वे एसडीएम के यहां एक आवेदन देकर भरण पोषण अधिनियम के तहत लाभ प्राप्त कर सकते है। दुनिया का उसूल है जैसा हथियार चलाओगे वैसा वापिस आएगा अर्थात जैसी करनी वैसी भरनी।
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वृद्धजन दिवस शिविर में संबोधित करते जिला न्यायाधीश |
न्यायालय परिसर में वृद्ध दिवस पर आयोजित विधिक साक्षरता शिविर में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कमल जोशी ने यह विचार व्यक्त करते हुए वृद्धों के लिए बनाए गए कानून के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि 60 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके लोग वरिष्ठ की श्रेणी में आते है। बुजुर्गों ने कठिन परिश्रम करके देश व समाज को लाभ पहुंचाया है उन्हें सम्मान मिलना चाहिए।
न्यायाधीश चन्द्रसेन मूवेल ने संचालन करते हुए भरण पोषण अधिनियम की विस्तार से व्याख्या की। व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-1 सपना पोर्ते ने भी कानूनी प्रावधानों पर प्रकाश डाला।
इस मौके पर वकीलों ने यह मांग भी रखी कि, जिस तरह बस में 12 साल तक के बच्चे का आधा टिकिट लगता है और रेल में सफर करने पर वरिष्ठों को किराए में 30 प्रतिशत की छूट मिलती है उसी तरह बस में भी वरिष्ठों को किराए में छूट देने का प्रावधान सरकार को करना चाहिए।