Type Here to Get Search Results !

अंतत: सरकार ने बताए सुप्रीम कोर्ट को 627 काले कुबेरों के नाम

रेलिक रिपोर्टर, नई दिल्ली. 

आखिरकार सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार और देशर में मची थू थू के बाद केंद्र सरकार ने बुधवार को 627 लोगों के नामों की सूची कोर्ट को सौंप दी। कोर्ट ने मंगलवार को ही सरकार को सभी नाम सौंपने का आदेश दिया था। अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने इसके बाद मीडिया को बताया कि केद्र सरकार की ओर से तीन सीलबंद लिफाफे आज सुप्रीम कोर्ट को सौंपे गए हैं। इनमें से पहले लिफाफे में दूसरे देशों के साथ संधि से संबंधित कागजात भी हैं।

आखिरकार सरकार ने बताए सुप्रीम कोर्ट को 627 काले कुबेरों के नाम
सुप्रीम कोर्ट की कड़ फटकार के बाद केंद्र सरकार ने 800 में से 627 नाम की सूची सौंपी
 
तीन सीलबंद लिफाफों में धन कुबेरों के नाम के साथ ही दूसरे देशों से संधि प्रपत्र सौंपे गए


रोहतगी के अनुसार दूसरे लिफाफे में विदेशी खाता धारकों की पूरी सूची है, जबकि तीसरे लिफाफे में इस केस की जांच की स्टेटस रिपोर्ट है। सुप्रीम कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे खोलने से इंकार किया है। इन लिफाफों को एसआईटी के चेयरमैन और वाइस चेयरमैन खोल सकते हैं और इस केस की आगे की कार्यवाही पर भी वही दिशा निर्देश जारी करेंगे। कोर्ट ने केस की जांच कर रही एसआईटी को आदेश दिया है कि वह लिफाफों की सील खोलकर केस की स्टेटस रिपोर्ट 30 नवंबर 2014 तक अदालत में दाखिल करे और 31 मार्च 2015 तक इस केस की जांच पूरी करे। इस मामले की अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी।

सूची में आधे से ज्यादा भारतीय खाता धारक
सुप्रीम कोर्ट को वही सूची सौंपी गई है जो एचएसबीसी के एक कर्मचारी द्वारा फ्रांस सरकार को सौंपी गई थी और बाद में जुलाई 2011 में भारत सरकार को प्राप्त हुई। सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई सूची में आधे से ज्यादा खाते धारक भारतीय और बाकी एनआरआई (अनिवासी भारतीय) हैं। कोर्ट में सरकार ने बताया कि यह सूची पहले ही 27 जून 2014 को एसआईटी को सौंपी जा चुकी है। सरकार ने कोर्ट के समक्ष दूसरे देशों के साथ हुई संधि की शर्तों का हवाला दिया। इस पर कोर्ट ने कहा है कि वह अपनी समस्याएं एसआईटी के समक्ष रख सकती है। हालांकि खाता धारकों के नाम अभी सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे।

आखिरकार सरकार ने बताए सुप्रीम कोर्ट को 627 काले कुबेरों के नाम
मंगलवार को फटकारा था सुप्रीम कोर्ट ने
मंगलवार को सर्वोच्च अदालत ने केंद्र को कड़ी फटकार लगाते हुए सभी खाताधारकों की सूची तुरंत सौंपने को कहा था। इसके बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार को सूची सौंपने में कोई समस्या नहीं है और बुधवार को सभी नाम सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंप दिए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने भी भाजपा को आड़े हाथों लिया। मंगलवार को चीफ जस्टिस एच एल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र की खिंचाई करते हुए कहा, ‘विदेशों में बैंक खाते रखने वाले लोगों को वह बचाने का प्रयास क्यों कर रही है? आप ऐसे व्यक्तियों को सुरक्षा आवरण क्यों प्रदान कर रहे हैं?’
चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान सालिसिटर जनरल की उपस्थिति में खुली अदालत में आदेश पारित किया गया था और अब नई सरकार इसमें संशोधन का अनुरोध नहीं कर सकती। हम अपने आदेश में एक शब्द का भी बदलाव नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी की सभी दलीलों को भी खारिज कर दिया। रोहतगी का यह तर्क अस्वीकार कर दिया कि बैंक खातों की अवैधता के मामले की जांच के बाद सरकार इन नामों का खुलासा करेगी।

ऐसे तो जीवन भर पूरी नहीं हो सकेगी जांच
सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को दो टूक कहा कि अगर सरकार के भरोसे जांच का काम छोड़ा गया, तो यह पूरे जीवन में भी पूरी नहीं हो सकेगी। सरकार को कुछ करने की जरूरत नहीं है, बस वह सारी जानकारी कोर्ट को मुहैया करा दे। आगे का काम एसआईटी या सीबीआई सहित दूसरी एजेंसियां देखेंगी। सरकार ने तर्क दिया कि नामों की सूची 2-3 दिन में सौंप दी जाएगी। इस पर पीठ ने तपाक से कहा, ‘2-3 दिन क्यों? कल क्यों नहीं? हमारी सिस्टर जज (जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई) का बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अंतिम दिन है। वह रिटायर हो रही हैं। उन्हें इस जानकारी से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए।’ इसके साथ ही पीठ ने अटार्नी जनरल की इस दलील को दरकिनार कर दिया कि खाता धारकों के नामों के खुलासे से उन लोगों के निजता के अधिकार का हनन होगा, जिनके वैध खाते हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.