वृद्ध हो चुके गरीब और निराश्रित लोगों के जीवन यापन का एक मात्र सहारा उनको मिलने वाली निराश्रित पेंशन है, लेकिन इन असहाय बुजुर्गों से यह सहारा भी छिन गया है, जिससे इनकी जिन्दगी दुश्वार हो गई है। ऐसे बुजुर्गों की संख्या बहुतायत में है जिन्हें पिछले 6 माह से पेंशन नहीं मिली, इन विकट परिस्थितियों में उनके सामने दो जून की रोटी जुटा पाना भी मुश्किल हो रहा है। आश्चर्य की बात तो यह है कि जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधि भी मानवीय संवेदनाओं से जुड़ी इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
पेंशन न मिलने से असहाय बुजुर्गों का जीना हो गया हराम
महीनों से पोस्ट आफिस के चक्कर लगा रहे मजबूर हितग्राही
उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में स्वयं सेवी संस्था समर्थन के प्रतिनिधि पन्ना जनपद के ग्राम जरधोवा में जुब पहुंचे तो वहां के बुजुर्ग पेंशनधारियों ने अपनी व्यथा सुनाई। जिला मुख्यालय के निकट स्थित इस ग्राम पंचायत में निवास करने वाली कई बुजुर्ग महिलाओं की हालत बेहद दयनीय है। जरधोवा गांव की अत्यधिक वृद्ध महिला गोरी बाई व बखतिया बाई को तो पिछले 6 माह से पेंशन की राशि का एक धेला भी नहीं मिला। गांव की ही पान बाई, लखा बाई, गदिया बाई, इमरती बाई, मंगल सिंह, बालकदास, हल्की बाई, किस्सा बाई, पुसिया बाई, धनिया बाई, मर्रूबाई तथा रज्जन बाई को अप्रैल, मई, जून व जुलाई माह की पेंशन नहीं मिली है। पेंशन की राशि पाने के लिए ये बुजुर्ग यहां से वहां दर-दर की ठोकरें खाते फिर रहे हैं, इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी इन असहाय बुजुर्गोंपर तरस भी नहीं खा रहे।
जरधोवा गांव की असहाय और बुजुर्ग महिलाओं ने अपनी आप बीती सुनाते हुए बताया कि वे लोग पेंशन का पैसा लेने के लिए 20 से 25 किमी जंगली रास्ते से पैदल चलकर पोस्ट आफिस भी गये, लेकिन वहां से भी उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। इन बुजुर्ग पेंशनधारियों को कहीं भी आवश्यक जानकारी नहीं दी जाती, नतीजे में गरीब बुजुर्ग भटकते फिरते और परेशान होते हैं। इन असहायों का कहना है कि सरकार ने व्यवस्था चाहे जैसी बनाई हो लेकिन हमारी समस्या बढ़ गई है। समय पर पैसा नहीं मिल रहा है जिससे मुसीबत कम होने के बजाय औरे बढ़ रही है। रूकी हुई पेंशन हमें कब मिलेगी यह बताने वाला कोई नहीं है। गांव के गरीब निराश्रित बुजुर्गों के प्रति पंचायत की भी जवाबदारी कम नहीं है लेकिन पंचायतें भी अपने दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी से नहीं निभा रहीं। गरीबों के दुख दर्द में सहभागी होने तथा उनकी समस्याओं का निराकरण करने के बजाय पंचायतों के प्रतिनिधि निर्माण कार्यों में ज्यादा रूचि लेते हैं। सामाजिक सरोकार से इनका कोई लेना देना नहीं रहता। जबकि सरपंच व सचिव जनपद आते-जाते रहते हैं और वे इन निराश्रितों को पेंशन के संबंध में जरूरी जानकारी तो दे ही सकते हैं, ताकि उन्हें अनावश्यक भटकना न पड़े। लेकिन दुर्भाग्य से पंचायत प्रतिनिधि यह भी नहीं करते।
हर गांव में समस्या से जूझ रहे हैं बुजुर्ग
जिले के किसी भी गांव या शहरी क्षेत्र में जाओ, हर कहीं पेंशन की समस्या से जूझते गरीब निराश्रित बुजुर्ग मिल जायेंगे। बड़े बुजुर्गों के प्रति अत्यधिक सम्मान का भाव रखने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री भले ही इन बुजुर्गों के प्रति संवेदनशील हों, लेकिन बेलगाम अफसरसाही के चलते बुजुर्गों को भारी मुसीबत झेलनी पड़ रही है। जिले में आन लाइन पोर्टल के आधार पर लगभग 54 हजार 887 पेंशनधारी हैं। सामाजिक न्याय विभाग की सूची के अनुसार 56 हजार 713 पेंशनधारी हैं। अब आनलाइन पोर्टल पर अगस्त माह तक भुगतान को देखें तो डीडीओ फाइल जनरेटेड संख्या 23402 है।
कब होगा शासन के आदेश का पालन..?
राज्य सरकार का यह स्पष्ट आदेश है कि पेंशनधारियों को प्रत्येक माह की 5 तारीख तक पेंशन मिल जानी चाहिए। यह आदेश अपर मुख्य सचिव सामाजिक न्याय एवं निºशक्त जन कल्याण विभाग द्वारा कई बार जारी किया जा चुका है। आदेश में स्पष्ट लेख है कि समस्त हितग्राहियों को पेंशन का भुगतान प्रत्येक माह की 5 तारीख तक अनिवार्य रूप से हो। इस समय सीमा को ध्यान में रखते हुए ही पेंशन राशि का आहरण हेतु कोषालय में देयक लगाये जायें। पेंशन भुगतान के संबंध में शासन के आदेश से प्रदेश के समस्त कलेक्टरों व जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है फिर भी समस्या जस की तस बनी हुई है।