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मतादाता सूचियों में गड़बड़ी के चलते मतदाता परेशान

रेलिक रिपोर्टर, बेगमगंज, जिला रायसेन.

मप्र उच्च न्यायालय के आदेश को धता बताते हुए मनमाने ढंग से 18 वार्डो की सीमाओं में गडबडी की गई है।नतीजे में एक वार्ड की सीमाएं दूसरे में और तीसरे की पांचवे में प्रवेश कर गई। ये तो अब जाकर पता चला जब मतदाता सूचियों में दावे आपत्तियों प्रस्तुत किए जाने का समय आ गया। जब लोग नाम कटवाने, जुड़वाने अपने अपने वार्डो की टेबिल पर पहुंचे और मतदाता सूचियों का अवलोकन किया तो पाया कि नए ढंग से किए गए वर्तमान वार्ड विभाजन के बावजूद नक्शे के विपरीत एक वार्ड की सीमा दूसरे में उछल कर चली गई है। 

तहसील परिसर में दावे आपत्ती प्रस्तुत करने लगी भीड़
तहसील परिसर में दावे आपत्ती प्रस्तुत करने लगी भीड़
दावा आपत्ति शिविर में परेशान मतदाताओं 
का उमड़ा हुजूम

वार्ड विभाजन में एक भी वार्ड की बढ़ोत्तरी नहीं की गई मात्र सीमाएं निर्धारित करते हुए निर्धारित सीमा के अंदर के मतदाताओं को प्लानिंग के साथ दूसरे वार्ड की मतदाता सूची में डाल दिया गया है। यदि कोई मतदाता अपना नाम सुधरवाने या परिवार के अन्य सदस्य का नाम जुड़वाने जाता है तो उन्हें मतदाता सूची मे नाम और नंबर ढूंढने में पसीना आ रहा है। जिस वार्ड में निवासरत है वहां उनका नाम मिलना मुश्किल है किसी दूसरे या तीसरे वार्ड की सूची में बा मुश्किल मिल रहा है। प्राधिकृत कर्मचारी दो स्थानों नगर पालिका में 6 व 12 तहसील परिसर में बिठाए गए है।
इस तरह का खेल पुराने वार्ड 1, 3, 4, 7, 8 में ही हो रहा है, साथ ही वार्ड 9,10,12,14,15,16 में भी कमोवेश यही स्थिती है। पुराना वाड 15, 16 टेकरी में वार्ड 18 दशहरा मैदान रामनगर के मतदाताओं तक के नाम जुड़े हुए है। एक दो नाम हो तो लोग आपत्ती करें लेकिन सौ से लेकर दो सौ नाम तक इसी तरह जुड़े होने का वार्ड पार्षद आरोप लगा रहे हैं। जो नवीन नक्शे से भी मेल नहीं खा रहे है।

सत्ताधारी दल को बेजा फायदा के लिए की गडबडी

ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष माधोसिंह पटेल, पूर्व विधायक देवेन्द्र पटेल सहित कांग्रेस व सपा के वर्तमान पार्षदों व कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि नगरीय निकाय चुनाव प्रक्रि या निष्पक्ष नहीं हो रही है। वार्ड विभाजन से लेकर मतदाता सूचियां तक स्थानीय प्रशासन ने सत्तारूढ़ दल को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से उनके नेताअ‍ों को बैठाकर मनमाने ढंग से वार्ड विभाजन किया और मतदाता सूचियों में भी गड़बड़ी करने पर उतारू है। इनके रहते निष्पक्ष चुनाव होना संभव नहीं है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मांग की है कि पहले इन्हें हटाया जाए फिर चुनाव कराया जाए अन्यथा चुनाव में खुलकर गड़बड़ी की संभावना है।

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