प्रदेशभर के 25 लाख मछुआ परिवारों की भलाई के लिए बने मत्स्य महासंघ का अध्यक्ष परंपरागत मछुआरे के बजाय विभागीय कैबिनेट मंत्री को ही बनाने की सरकारी कवायद का शुरु में ही तीखा विरोध शुरु हो गया है। महासंघ के 19 साल बाद होने जा रहे रहे चुनाव से पहले-पहले कामकाजी समिति द्वारा बायलॉज में बदलाव करके महासंघ संचालक मंडल से अनुमोदन करवाने की कोशिश नाकाम हो गई है। हालांकि, ऐसी कवायद आगे भी जारी रहने की आशंका के चलते मछुआरे लामबंद होने लगे हैं। दूसरी ओर, अफसरों की करतूत से नाराज विभागीय मंत्री कुसुम मेहदेले ने भी साफ कर दिया है कि, उनको महासंघ का अध्यक्ष बनने में कोई रुचि नहीं है।
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मत्स्य महासंघ वार्षिक आमसभा को संबोधित करते मंत्री कुसुम मेहदेले |
-मत्स्य महासंघ के 19 साल बाद होने वाले चुनावों पर सियासत
-संचालक मंडल की बैठक में मछुआ प्रतिनिधियों ने किया तीखा विरोध
मत्स्य महासंघ संचालक मंडल की 30 सितंबर,2014 को बैठक में मछुआ सहकारी समितियों से नियमानुसार निर्वाचन के बाद अध्यक्ष बनाने के बजाय पदेन विभागीय मंत्री को ही अध्यक्ष बनाने के लिए एजेंडा के बिन्दू क्रमांक-8 पर बायलॉज में परिवर्तन का प्रस्ताव पेश किया गया। इस पर प्रदेशभर से आए मछुआरों ने उग्र विरोध शुरु कर दिया और सहकारिता को कुचलने का आरोप लगाते प्रस्ताव को खारिज नहीं किए जाने पर सड़कों पर उतरने का अल्टीमेटम दे दिया। अभी तक महासंघ का 11 सदस्यीय संचालक मंडल चुना जाता था, जोकि अपने में से ही एक संचालक को अध्यक्ष चुनता था। विरोध करने वाले डॉ. कैलाश विनय और ज्ञान नाविक रायसेन के साथ प्रेमलाल बर्मन बरगी, मंगल मांझी खिरकिया, रामचरन रायकवार सागर, खुदीराम विश्वास मंदसौर आदि ने इस बायलॉज संशोधन को सरकार की मंशा के खिलाफ अफसरों की साजिश बताया।
बैठक की अध्यक्षता विभागीय मंत्री कुसुम मेहदेले ने की। इसमें कृषि उत्पादन आयुक्त राजकिशोर स्वाई, प्रमुख सचिव सलीना सिंह, आयुक्त सहकारी संस्थाएं, क्षेत्रीय निदेशक राष्ट्रीय विकास निगम हेमंत काठपालिया, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के सचिव और महासंघ के प्रबंध संचालक यूके सुबुद्धि के अलावा प्रदेशभर से आए 52 मछुआ प्रतिनिधि थे।
विभागीय मंत्री मेहदेले ने भी जताई नाराजगी
विभागीय मंत्री मेहदेले ने नाराजगी जताते हुए साफ किया कि, महासंघ का अध्यक्ष बनने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। इसके साथ ही सर्वांगीण विकास पर जोर देते हुए नियमानुसार काम करने की नसीहत देकर बीच बैठक से चली गर्इं। दूसरी ओर, मछुआरों ने इस विवाद के लिए महासंघ के प्रबंध संचालक यूके सुबुद्धि को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके सीहोर जिले में वन मंडलाधिकारी रहते हुए किए करोड़ों के भ्रष्टाचार पर तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए एफआईआर दर्ज करवाने की मांग की है।