बेशकीमती हीरों के लिए विख्यात डायमण्ड सिटी पन्ना की पहचान पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 20 किमी दूर मझगवां स्थित एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना जो इस जिले की पहचान है उसे बन्द कराने का फरमान पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ मध्यप्रदेश की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय मॉनीटरिंग कमेटी ने सुना दिया है। इस फरमान के बाद से परियोजना सहित नजदीकी ग्रामों व जिले में हडकम्प मचा है।
एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना का प्रवेश द्वार |
मॉनीटरिंग कमेटी के फरमान से परियोजना में हडकम्प
उल्लेखनीय है कि खूबसूरत जंगल व खनिज संपदा से समृद्ध पन्ना जिले के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार हुआ है। यहां के विकास और कल्याण के लिए कभी कोई सार्थक पहल व प्रयास नहीं किये गये। अब तो एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना को बन्द कराकर डायमण्ड सिटी के रूप में पन्ना की पहचान ही खत्म की जा रही है। समय रहते यदि पन्ना की इस पहचान को बचाने के लिए सार्थक और ठोस प्रयास नहीं हुए तो एनएमडीसी हीरा खदान का वजूद मिट जायेगा। ऐसा होने पर पन्ना जिले को जो अपूर्णीय क्षति होगी, उसकी भरपाई हो पाना संभव नहीं होगा। आजादी के बीते 6 दशक में पन्ना जिले में ऐसी कोई बड़ी परियोजना व उद्योग स्थापित नहीं हुए, जिससे यहां के विकास को गति मिलती। नाम के लिए सिर्फ यही एक परियोजना थी, जिससे पन्ना जिले की शान बनी हुई थी, लेकिन इसे भी दफन करने के हथकंडे अपनाये जा रहे हैं जो इस पिछडे जिले के साथ बहुत बड़ी नाइंसाफी है।
पन्ना की एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना सिर्फ इस जिले की ही नहीं अपितु प्रदेश व देश के लिए गौरव की बात है। समूचे एशिया महाद्वीप में यह इकलौती मैकेनाइज्ड हीरा खदान है, जहां से उज्जवल किस्म के हीरे निकलते हैं। पन्ना में हीरा व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए पहल और प्रयास होने के बजाय एनएमडीसी परियोजना को ही बंद कराया जा रहा है। इस परियोजना के चलने से आसपास के ग्रामों को जहां सहयोग मिलता है वहीं परियोजना के द्वारा चिकित्सा व शिक्षा जैसी सुविधायें भी मुहैया कराई जा रही हैं। परियोजना द्वारा संचालित डीएवी स्कूल में पन्ना शहर के ही सैकडों बच्चे पढ़ते हैं। यदि परियोजना बन्द हो गई तो यहां के नौनिहालों को बेहतर शिक्षा कहां मिलेगी। एनएमडीसी में जब हीरों की नीलामी होती है तो पूरे देश से हीरा व्यवसायी पन्ना आते हैं और यहां हफ्तों रूकते हैं। हीरा खदान के बंद हो जाने से यहां आने वाली हीरा व्यवसायी फिर क्यों आयेंगे? इसका पन्ना के होटल व्यवसायिों को कितना नुकसान होगा, इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है।
मालुम हो कि उच्च स्तरीय मॉनीटरिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लेख किया है कि परियोजना की ओर से प्रस्तुत खदान के क्लोजर प्लान में कई तरह की भ्रान्तियां हैं। खदान के कारण पन्ना टाइगर रिजर्व पर कई तरह के दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं। जिसके कारण मॉनीटरिंग कमेटी इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि हीरा खदान से हीरों का उत्खनन हर हाल में 30 जून 2016 तक बंद कर दिया जाय तथा क्षेत्र का उद्धार व पुर्नवास कर उसे 30 जून 2018 तक पन्ना टाइगर रिजर्व को सौंप दिया जाय। इसके अलावा मॉनीटरिंग कमेटी ने हीरा खनन परियोजना प्रबंधन से दिसम्बर 2014 तक फाइनल माईन क्लोजर प्लान प्रस्तुत करने को कहा है।
बृजेन्द्र सिंह बुन्देला |
एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना पन्ना की पहचान है, इस पहचान को बचाने के लिए हर संभव प्रयास होने चाहिए। यह बात नगर पालिका परिषद पन्ना के पूर्व अध्यक्ष व भाजपा नेता बृजेन्द्र सिंह बुन्देला ने कही। उन्होंने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि पन्ना के साथ बहुत नाइन्साफी अतीत में हुई है, अब हम और अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे। बुन्देला ने कहा कि हीरा खनन परियोजना को बचाने के लिए जिले में बड़ा आन्दोलन होना चाहिए, जिसकी गंूज दिल्ली और प्रधानमंत्री तक जाये, तभी कुछ सार्थक परिणाम देखने को मिलेंगे अन्यथा एनएमडीसी हीरा खदान के साथ पन्ना की तमन्ना है कि हीरा मुझे मिल जाये जैसे गीत भी इतिहास में दफन हो जायेंगे।
प्रदीप सिंह राठौर |
शहर के प्रतिष्ठित व्यवसायी तथा होटल राजलक्ष्मी के संचालक प्रदीप सिंह राठौर ने एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना के बंद होने की खबर को सदमा पहुंचाने वाली खबर बताया। आपने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यजनक होगा, इस दुर्भाग्यजनक खबर को सौभाग्य में बदलने के लिए ठोस पहल होनी चाहिए। शिक्षा, स्वास्थ्य व विकास हर मामले में पन्ना बहुत पीछे है, यहां रोजगार के नये अवसरों को सृजित करने के बजाय चलने वाली परियोजनाओं को बंद कराया जा रहा है। यह किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। राठौर ने कहा कि बेशकीमती हीरों का उत्पादन करने वाली एनएमडीसी हीरा खनन परियोजना को बचाने के लिए सभी को आगे आना चाहिए।