रेलिक रिपोर्टर, भोपाल.
सूबे में फैली अरबों की वक्फ प्रॉपर्टी को वक्फ बोर्ड के चेयरमैन, सीईओ और बोर्ड मेंबर फर्जीवाड़ा करके बेच गए हैं। छानबीन में इसका खुलासा होते ही हड़कंप मच गया है और रसूखदारों को बचाने के लिए जांच की फाइल को ही दबा दिया गया है। बुरहानपुर के कब्रिस्तान की बेशकीमती जमीन को वक्फ बोर्ड के चेयरमैन और सीईओ के साथ ही बोर्ड मेंबर ने बेच ड़ाला। जांच के बाद आपराधिक कार्रवाई की अनुशंसा किए तीन महीने से ज्यादा का वक्त गुजरने के बाद भी नतीजा सिफर ही है।
वक्फ कब्रिस्तान एमागिर्द, बुरहानपुर की करोड़ों की जमीन का किया सौदा
पूर्व विधायक हमीद काजी और पूर्व सीईओ वक्फ बोर्ड जैदी ने की हेराफेरी
असलियत का खुलासा होने के बाद भी धूल खा रही है कार्रवाई की फाइल
वक्फ कब्रिस्तान एमागिर्द खसरा नंबर 220 और 222 रकबा 28.127 में से 3 एकड़ जमीन आजाद एजूकेशन सोसायटी को वक्फ बोर्ड की अनुज्ञा के बिना दे दी गई, जिसको महज 10 दिन के अंदर ही सोसायटी की ओर से लीज पर दे दिया गया। खास यही कि, सोसायटी के चेयरमैन तत्कालीन विधायक हमीद काजी थे, जोकि बोर्ड के मेंबर भी थे। काजी की सोसायटी कब्रिस्तान की 2 एकड़ जमीन सिर्फ 3 साल की लीज पर दिए जाने का आवेदन कब्रिस्तान इंतेजामिया कमेटी के सचिव सचिव मोहम्मद सईद खान ने 17 जून,2009 को दिया। तत्कालीन बोर्ड के सीईओ डॉ. एसएमएच जैदी ने बोर्ड के अनुमोदन की प्रत्याशा में लीज स्वीकृति की अनुशंसा इसी दिन करके तत्कालीन बोर्ड चेयरमैन गुफराने आजम के सामने नस्ती पेश करके अनुमोदन भी हो गया। अगले ही दिन 18 जून,2009 को सीईओ जैदी ने लीज आदेश भी जारी कर दिए।
2 एकड़ से बढ़ा कर 3 एकड़
काजी ने 22 जुलाई,2009 को फिर आवेदन पेश किया किया 2 एकड़ के स्थान पर 3 एकड़ जमीन दी जाए। इस पर प्रभारी लिपिक तनवीर अहमद ने 2 की जगह 3 एकड़ देने की नस्ती विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी आफाक अहमद को पेश कर दी। अहमद ने बिना देर किए उसी दिन 3 एकड़ की लीज की फाइल सीईओ जैदी तक पहुंचा दी। जैदी ने उसी दिन बोर्ड चेयरमैन आजम से अनुमोदन लेकर 2 की जगह 3 एकड़ जमीन के आदेश जारी कर दिए।
वक्फ बोर्ड ने अमान्य की लीज
18 जनवरी,2010 को कब्रिस्तान की जमीन को लीज पर दिए जाने का प्रस्ताव वक्फ बोर्ड की बैठक में पेश किया गया, जिसको वक्फ एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं होने से अमान्य कर दिया गया। इसके बाद 15 फरवरी,2010 को लीज निरस्ती के आदेश जारी किए गए। हालांकि, यह निरस्ती सिर्फ फाइल में ही रही और मौके पर कब्जा बिना लीज के हमीद काजी की सोसायटी का बरकरार रहा। नतीजे में काजी ने बिना लीज के महज 10 दिन में ही पांच अन्य लोगों को बेच डाली। हालांकि, जांच के बाद बोर्ड ने बेदखली आदेश जारी कर दिए, लेकिन अभी तक कब्रिस्तान पर बिल्डिंगें बरकरार हैं।
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निसार अहमद, सीईओ, वक्फ बोर्ड से सीधी बात
-कब्रिस्तान बेचने का क्या मामला है?
-बुरहानपुर में प्राइम लोकेशन के कब्रिस्तान की कानून के खिलाफ जाकर बोगस लीज बनवाकर बाद में दूसरे को बेचा गया। इसमें पूर्व विधायक
हमीद काजी, पूर्व बोर्ड सीईओ जैदी के अलावा तत्कालीन बोर्ड चेयरमैन गुफराने आजम भी शामिल हैं।
-जांच और कार्रवाई कहां तक पहुंची?
-छानबीन में वक्फ प्रापर्टी को गलत तरीके से लीज बनाने फिर बेचने से लेकर कई संगीन इल्जामों की ताईद होने के बाद आपराधिक अभियोजन की अनुशंसा 18 जून,2014 को अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख सचिव को की जा चुकी है।