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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में वोटों का धु्रवीकरण होना तय

विजय यादव, मुंबई.

ना इन्हे भेजा गया है, नहीं इन्हे बुलाया गया है, लेकिन यह सच है की यह आए जरूर है। हम बात कर रहे है हैदराबाद के एक ऐसे नेता कि, जिनकी पहचान उनकी आक्रामकता भरे भाषणो से होती है। नाम है अकबर उद्दीन ओवैसी। इन दिनों इनके आग उगलते भाषणो को मुंबई में भी सुना जा रहा है। 

ओवैसी करेंगे मुस्लिम मतों का विभाजन

-ओवैसी करेंगे मुस्लिम मतों का विभाजन 

-सपा की जगह लेने को बेताब एमआईएम


-बंजारा हिल्स में है ओवैसी का आशियाना

-हैदराबाद में सर्वाधिक गरीब हैं मुसलमान


ओवैसी आंध्रप्रदेश विधान सभा में आल इंडिया मजलिस ए इत्तिहाद अल मुस्लिमीन (एमआईएम) के विधायक है। अकबर उद्दीन ओवैसी की मुंबई में उस समय इंट्री हुई है, जब समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र अध्यक्ष अबु आसिम आजमी कांग्रेस-राकांपा की गोद में बैठने की फिÞराक में थे। ओवैसी को अबु आसिम आजमी का तोड़ भी माना जा सकता है। यह सभी जानते है कि, समाजवादी पार्टी अब तक मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में खुद जीतने के बजाय सिर्फ कांग्रेस-राकांपा को नुकसान करने के लिए चुनाव लड़ती रही है। ओवैसी महाराष्ट्र की उन सीटों को अपना निशाना बना रहे है, जहाँ मुस्लिम मतदाता निर्णायक की भूमिका में है। महाराष्ट्र के मालेगांव, अहमदनगर के साथ-साथ मुंबई की 36 में से करीब 10 विधानसभा सीटों पर सबसे ज्यादा जोर लगा रहे है। ओवैसी का मुंबई प्रवेश कांग्रेस के लिए सबसे घातक बना हुआ है। महाराष्ट्र में 15 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के मतदान हो रहे है।

महाराष्ट्र के 19 प्रतिशत वोटों को खींचने की कवायद
ओवैसी के प्रति मुसलमानो का एक तबका लगातार खींचा चला जा रहा है, अगर इस तरह मुस्लिम वोटों का विभाजन हुआ तो, पक्के तौर पर इसका लाभ भाजपा-शिवसेना को होगा। पिछले लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में मुज्जफरनगर दंगे के बाद मतों का जो धु्रवीकरण हुआ उसका सबसे ज्यादा लाभ भाजपा को हुआ। मुंबई में मुजफ्फरनगर की तरह कोई दंगा नहीं होगा, कोई हिंसा नहीं होगी, लेकिन अकबर उद्दीन ओवैसी के उत्तेजक भाषण वह सब कुछ कर देंगे, जिसकी भाजपा-शिवसेना उम्मीद करती है। मुंबई में कुल 19 प्रतिशत मुस्लिम वोट है, जो परंपरागत तरीके से कांग्रेस को मिलते रहे है। इनमे कुछ वोट सपा झटक ले जाती थी। इस बार इस वोट को ओवैसी की पार्टी एमआईएम के ले जाने की उम्मीद है। अगर ऐसा हुआ तो, कांग्रेस को मुंबई की उन सभी सीटों पर नुकसान होगा, जहां एमआईएम के उम्मीदवार मैदान में है। मुंबई की मुस्लिम प्रभावित विधानसभा सीटें गोवंडी, मलाड(प), चांदीवली, कुर्ला, नेहरूनगर, कलिना, बांद्रा (प), वर्सोवा, नागपाड़ा, वडाला, मझगांव, दिंडोशी आदि है। इनमे ज्यादातर सीटें कांग्रेस के पास है।

घातक साबित होगा कांग्रेस के लिए वोटों का बंटवारा
महाराष्ट्र में वोटो का विभाजन पहली बार नहीं हो रहा है, बल्कि इसके पहले भी इस फार्मूले का सफल प्रयोग किया जा चुका है। 2009 के विधानसभा में राज ठाकरे की आंधी कांग्रेस के लिए प्राण वायु (आक्सीजन) बनकर आई थी। इस बार राज ठाकरे की पार्टी मनसे कांग्रेस के लिए तो दूर, खुद के लिए भी चुनावी भोजन (मत) जुटाने में असमर्थ हो रही है। मराठी मतदाताओं को यह लगने लगा है कि, राज ठाकरे सिर्फ शिवसेना को नुकसान करने की राजनीति करते है, लिहाजा मराठी मानुष का वह तबका जो, ठाकरे परिवार से जुड़ा रहा है, वह एक बार फिर राज का मोह त्याग कर शिवसेना की ओर लौट गया है। हालांकि कांग्रेस को आज भी उम्मीद है कि, चुनाव के आखिरी वक्त में राज ठाकरे जरूर अपनी झोली से कोई ऐसी पुड़िया निकालेंगे, जो कांग्रेस को जिताने में रामबाण का काम करेगी। यह सच है कि, राज ठाकरे आक्रामक बोलते है ,जो कला शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के पास नहीं है। यही हाल कांग्रेस-राकांपा का है। इनके पास एक भी ऐसा मुस्लिम नेता नहीं है, जो ओवैसी के तीखे शब्दों का मुकाबला कर सके। कहने लिए हुसेन दलवई, नसीम खान, नवाब मलिक जैसे कई मुस्लिम नाम कांग्रेस-राकांपा के पास है, लेकिन आक्रामकता किसी के पास नहीं है। इनकी इसी कमजोरियों का फायदा ओवैसी को मिल सकता है। 


ओवैसी करेंगे मुस्लिम मतों का विभाजन
आक्रामक के साथ ही चालाक भगोड़े हैं औवैसी
अकबर उद्दीन ओवैसी की एक और खासियत है यह जितने बड़े आक्रामक है, उतने चालाक भगोड़े भी है। आग उगलते ही धीरे से विदेश खिसक जाते है और वहां से आने के बाद पुलिसिया कार्रवाई का सामना करने के बजाय तरह-तरह का बहाना बनाता है। जानकारों की माने तो आंध्र प्रदेश के हैदराबाद ओल्ड सिटी में करीब 40 सालों से भी ज्यादा वक्त से ओवैसी परिवार का राजनीतिक दबदबा बना हुआ है। सुल्तान सलाउद्दीन ओवैसी द्वारा शुरू की गई मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी ने हैदराबाद ओल्ड सिटी को अपना गढ़ बना लिया है। सलाउद्दीन ओवैसी की राजनीतिक विरासत को उनके दो बेटे असदउद्दीन और अकबर उद्दीन बखूबी संभाल रहे हैं। दोनों भाई अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए मुसलमानों का मसीहा बनने की कोशिश करते दिखते हैं। असदउद्दीन ओवैसी सांसद हैं और अकबर उद्दीन औवैसी विधायक हैं। अकबर उद्दीन को ओल्ट सिटी का बाहुबली माना जाता है। वह पहली बार तब सुर्खियों में आया था जब उसने प्रख्यात लेखिका तस्लीमा नसरीन को जान से मारने की बात कही थी। यूं तो अकबर उद्दीन ने लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई की है। वह और उनके भाई वैसे तो हैदराबाद के पॉश बंजारा हिल्स इलाके में रहते हैं लेकिन उनकी राजनीति की जड़ें ओल्ड सिटी में हैं, जहां की 40 फीसदी आबादी मुसलमानों की है। वक्फ बोर्ड और मुस्लिम शिक्षा संस्थानों में इनकी मजबूत पकड़ है। अकबर उद्दीन ओवैसी के पिता सलाउद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद ओल्ड सिटी में पत्तार्गुत्टी से चुनाव लड़ा था और बाद में हमेशा ओल्ड सिटी से चुनाव लड़ते और जीतते आए हैं। हैदराबाद के पुराने शहर से एमआईएम हमेशा कम से कम सात मुस्लिम विधयाकों को विधानसभा भेजती रही है, लेकिन सांसद सिर्फ ओवैसी परिवार के होते हैं। 


ओवैसी करेंगे मुस्लिम मतों का विभाजन
शुरुआत से ही भारत विरोधी रहे हैं तौर तरीके
हालांकि, एमआईएम को 1936 में नवाब नवाज किलेदार ने शुरू किया था जब हैदराबाद एक स्वतंत्र राज्य था और वहां नवाबों का शासन था। उस वक्त मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन केवल एक सांकृतिक अंग था, लेकिन बाद में यह मुस्लिम लीग के साथ जुड़ने के बाद पूरी तरह से एक राजनीतिक संगठन में बदल गया और उसके बाद राजनीतिक पार्टी में। मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन उस समय अलग मुस्लिम राज्य के लिए मुस्लिम लीग के साथ रहा और आज भी अक्सर अकबर उद्दीन जैसे नेताओं के भाषण में पाकिस्तान का नाम जरूर होता है और आदिलाबाद में दिए गए उनके भाषण में उन्होंने कसाब को बच्चा कहा है। एमआईएम पार्टी का हैदराबाद के रजाकारों (स्वयंसेवकों) से गहरा रिश्ता रहा है और रजाकार हमेशा हैदराबाद रियासत को भारत में शामिल करने के खिलाफ थे और यही वजह है 1948 से 1957 तक एमआईएम पर बैन भी लगाया गया था।

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