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स्वसहायता स्वरोजगार योजना से वन अफसरों ने भरी जेबें

राम बिहारी पांडे, सीधी.

महिलाओं को स्वाबलंबी बनाने के लिहाज से शुरू की गई स्वसहायता स्वरोजगार योजना अधिकारियों के लिए दुधारू गाय बनकर रह गई है। समूहों को उपकृत करने के लिहाज से करोड़ो रूपए कागज में खर्च कर दिए गये, लेकिन उनकी दशा व दिशा नहीं बदल सकी। समूह से जुड़े पदाधिकारी चाहे वह अध्यक्ष हो या सचिव उन्हें मजदूरी कर अपना परिवार चलाना पड़ रहा है। वन विभाग ने महिलाओं को स्वयं के रोजगार स्थापित कराने के नाम पर करोड़ों रूपए का बंटरबांट किया गया है। हालांकि, रीवा जिले की उत्पादन कंपनी के नाम पर कागजी उपलब्धि के अलावा कुछ नहीं मिल रहा। जिले की महिलाएं हाड़ तोड़ मेहनत कर अगरबत्ती का उत्पादन कर रहीं हैं, लेकिन नाम एक बगैर पंजीकृत कंपनी व वन विभाग कमा रहा है। 

स्वसहायता स्वरोजगार योजना से वन अफसरों ने भरी जेबें
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के बजाय अफसरों ने अपनी आर्थिक वृद्धि की

स्वसहायता स्वरोजगार योजना के अध्यक्ष से लेकर सचिव तक कर रहे मजदूरी


रोजगार दिलाने के नाम पर गांधीग्राम के बाद कोल्हूडीह में भी वन विभाग द्वारा जाल फैलाया गया। जहां 370 स्वसहायता समूह निर्मित कर दिये गये और अगरबत्ती उद्योग के नाम पर ग्रामीणों को गुमराह किया गया। समूह के पदाधिकारियों को अपने कार्य के बारे में जानकारी ही नही है। एक महीने से यह उत्पादन केन्द्र ठप्प है। इस सेन्टर में कार्य करने वाले कर्मचारियों की माने तो मटेरियल की कमी व बरसात के कारण काम रूका हुआ है।
कोल्हूडीह बीच बाजार का केन्द्र धीरे-धीरे अपनी अंतिम सांसे गिनता नजर आ रहा है। अगरबत्ती उत्पादन केन्द्र कोल्हूडीह में यूएनडीपी मद का दुरूपयोग होता है, जिसमें वन विभाग ने कोई कोर कसर नही छोड़ी है। वन विभाग के अधिकारी दावा करते है कि हजारो लोगों को रोजगार मिला है। इसकी जमीनी हकीकत यह है कि एक सैकड़ा लोग भी यहां कार्य नही कर रहे है। यहां पर सिर्फ समिति प्रबंधक, डीएफओ व रेंज आफीसर का आशियाना है, जिसके माध्यम से कई मदों से पैसे निकाले जा रहे हैं। कागज में 370 समूह में करीब 4 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि सिर्फ 7 मशीने वन विभाग ने अगरबत्ती उत्पादन की कोल्हूडीह अगरबत्ती उत्पादन केन्द्र में लगाई है वह भी पूरी तरह से ठप पड़ी हैं।

सच्चाई उगल रहा कोल्हूडीह का उत्पादन केन्द्र
वन विभाग कैसे काम कर रहा है तो इसका अंदाजा इसीसे लगाया जा सकता है कि तीन सैकड़ा से ज्यादा समूहों का नाम दर्ज करने के बाद महज 6 लोग काम कर मुट्ठी भर उत्पादन कर रहे हैं। वास्तव में इस केन्द्र का संचालन कौन कर रहा है इस संबंध में कोई जानकारी ही नही है। वन विभाग कहता है कि कर्ता-धर्ता स्वसहायता समूह है। स्वसहायता समूह के सदस्य अपने समूह का नाम तक नही जानते। सदस्यों का कहना होता है कि हम सिर्फ मजदूरी करते है और पूरा काम वन विभाग करता है। वन विभाग यह जानकारी या दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है कि यह केन्द्र आखिर किसके सौजन्य से संचालित है या इसका कर्ता-धर्ता कौन है। कोल्हूडीह के लघु उद्योग में में सिर्फ व सिर्फ एक ही समूह कार्य कर रहा है। दूसरी ओर रिकार्ड में 370 समूह के तहत 4 हजार के आसपास हितग्राही हैं। हालांकि, पुरानी वन चौकी में स्थापित इस लघु उद्योग में ताला बंद है। कोल्हूडीह उत्पादन केन्द्र में मां चण्डिका समूह ही दिखाई देता है जो प्रबंधक अवधेश सिंह के सगे संंबंधियों द्वारा चलाया जा रहा है।

कहां से है पंजीयन, अधिकारी भी हैरान
यह उत्पादन केन्द्र कई मायने में संवेदनशील है जहां उत्पादन केन्द्र में अंदर ग्रीन एनोवेसन मार्केटिंग प्राईवेट इंडिया लिमिटेड रीवा नाम लिखा हुआ है। उत्पादन केन्द्र से जो रैपर मिले है उसमें शगुन अगरबत्ती अंकित है और जिसमें उत्पादनकर्ता श्री बजरंग परफ्यूमरी वर्क बैंगलोर से निर्मित होने का जिक्र है ऐसे में यह आंकलन लगाया जा सकता है कि पंजीयन के नाम पर घपलेबाजी है प्रशिक्षण केन्द्र के अन्दर रीवा के फर्म का पता है और रैपर पर बैंगलोर अगरबत्ती उत्पादन केन्द्र का जिक्र है जहां पर अलग-अलग तरह के सूचनायें एक ही केन्द्र में मिल रही है और वहां पर उपस्थित अमला कोई सटीक जवाब नही दे पा रहा है।

अगरबत्ती बनाने की मशीनें पहुंच गइं घरों में
अगरबत्ती उद्योग को बढ़ावा देने के लिहाज से खरीदी गई मशीनें केन्द्र से गायब हो गई हैं। पड़ताल की तो प्रबंधन व प्रबंधक यह दावा करना शुरू कर दिए कि खरीदी गई मशीन जगह के अभाव के चलते हितग्राहियों के घरों में रखी गई हैं। उनके जब यह पूंछा गया कि आखिर किस हितग्राही के घर अगरबत्ती का उत्पादन किया जा रहा है, मशीन किस-किस हितग्राही को दी गई है, किस समूह ने मशीन की खरीदी की थी तो इसका जवाब प्रबंधन व प्रबंधक के पास नहीं रहा। गांधीग्राम में संचालित उत्पादन केन्द्र के संचालक उत्पादन केन्द्र में मशीन होने का दावा कर रहे हैं तो कोल्हूडीह के संचालक हितग्राहियों के घरों में मशीन होना बता रहे हैं। सीधी में करोड़ो की चपत लगाने वाले अब छिंदवाड़ा में तैयारी कर रहे है, जहां सीधी के सैकड़ों लोग पहुंच भी चुके हैं।

फरमाते हैं उद्योग संभालने वाले जिम्मेदार

हम लोग समूह में काम करते है प्रतिदिन के हिसाब से पैसे लेने का काम है जितना श्रम करते है उतनी ही राशि हमें प्राप्त होती है हमें अन्य जानकारियां उपलब्ध नही है।
श्रीमती सुमित्रा गोस्वामी, अध्यक्ष, चण्डिका स्वसहायता समूह कोल्हूडीह

यहां कार्य अनवरत चल रहा है। अभी मटेरियल की कमी के कारण कुछ दिनो से जरुर कार्य प्रभावित है। मैं निर्माण में इस्तोमाल होने वाला मटेरियल लेने ही बाहर आया हूं।
अवधेश सिंह, प्रबंधक, कोल्हूडीह अगरबत्ती उद्योग केन्द्र

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