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परिजनों से खराब खाना मिलने की शिकायत करने पर मिली सजा

अरुण सिंह, पन्ना.

हास्टल में खराब खाना मिलने की शिकायत परिजनों से किए जाने पर गुस्साये सेंट जोसेफ हास्टल के वार्डन ने मासूम छात्रों पर बेरहमी के साथ डंडे बरसाये। वार्डन की इस बेरहम पिटाई से छठवीं व आठवीं में पढनÞे वाले तीन छात्र जख्मी हुए हैं, जिनमें एक की हालत गंभीर बताई गई है। गंभीर रूप से घायल छात्र को इलाज के लिए जिला अस्पताल पन्ना में भर्ती कराया गया है। छात्रों के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार करने वाले वार्डन नौरी ब्रदर, गौम्स शाला ब्रदर के खिलाफ थाना कोतवाली पन्ना में मामला दर्ज किया गया है। 

अमानवीय पिटाई के शिकार सेंट जोसेफ हास्टल के छात्र
अमानवीय पिटाई के शिकार सेंट जोसेफ हास्टल के छात्र
पन्ना के सेंट जोसेफ हास्टल के छात्रों की जिंदगी कैदियों से भी बदतर

मासूमों को जानवरों की तरह मारने वालों के खिलाफ कार्रवाई में ढ़ील


उल्लेखनीय है कि शहर के प्रतिष्ठित कहे जाने वाले लिस्यू आनन्द हायर सेकेण्डरी स्कूल का जगात चौकी पन्ना में हास्टल संचालित है। इस हास्टल में ग्रामीण अंचलों के 71 छात्र रहकर लिस्यू आनंद हायर सेकेण्डरी स्कूल में पढ़ाई करते हैं। सेंट जोसेफ हास्टल के भीतर क्या चलता है तथा यहां की व्यवस्थायें कैसी हैं, यह जानने व देखने की इजाजत किसी को भी नहीं मिलती। अनुशासन के नाम पर हास्टल में रहने वाले छात्रों के परिजन भी अन्दर नहीं जा पाते। गत शनिवार की शाम हास्टल के छात्र गजेन्द्र सिंह परमार 15 वर्ष कक्षा 8 ने फोन करके अपने परिजनों को यह बताने की गुस्ताखी कर दी कि हास्टल में उन्हें अच्छा भोजन नहीं मिलता। मासूम छात्र की यह जायज शिकायत हास्टल के वार्डन गौम्स शाला ब्रदर को इतनी नागवार गुजरी कि उनका गुस्सा बेकाबू हो गया। मासूम छात्रों की देखरेख करने की जिनके ऊपर पूरी जवाबदारी है उन्होंने डंडा उठाकर बड़ी बेरहमी के साथ पशुओं की तरह मासूमों को जहां पाया वहां मारा। हास्टल में कोहराम मच गया तथा वार्डन की पिटाई से तीन छात्र गजेन्द्र सिंह परमार, अंकित अग्रवाल तथा सचिन दुबे फर्स में गिरकर तड़पते रहे।

हास्टल में आरोपी वार्डन व छात्रों से पूछताछ करती पुलिस
हास्टल में आरोपी वार्डन व छात्रों से पूछताछ करती पुलिस
सेंट जोसेफ हास्टल में हुए अमानवीय घटनाक्रम की खबर आज सुबह जब शहर में फैली तो हास्टल के बाहर लोगों का जमावड़ा लगने लगा। इस हास्टल में रहने वाले छात्रों के अभिभावक भी आनन-फानन पन्ना पहुंचे। यहां का नजारा तथा छात्रों की हालत देख लोग दंग रह गए। ग्रामीण छात्रों के परिजन अपने बच्चों की दशा देख चिन्तित, परेशान और क्रोधित नजर आए। छात्रों के परिजनों ने बताया कि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले इस मंशा से उन्होंने यहां भर्ती कराया है तथा हास्टल की फीस 20 हजार रूपए सालाना भरते हैं। इसके बावजूद मासूम बच्चों के साथ यहां ऐसा अमानवीय और पशुवत व्यवहार होता है, इसकी हमने कल्पना भी नहीं की थी। वार्डन गौम्स शाला ब्रदर व नौरी ब्रदर ने डंडे से इस कदर बच्चों को मारा है कि उनके पूरे शरीर में डंडे के निशान बने हैं। जिस छात्र ने फोन से शिकायत की थी, उसके ऊपर वार्डन का गुस्सा सबसे ज्यादा निकला है, जिससे छात्र गंभीर रूप से घायल हो गया है। छात्र गजेन्द्र सिंह परमार सहित अन्य घायल छात्रों का एमएलसी व एक्सरे जिला अस्पताल में कराया गया है। थाना कोतवाली पुलिस ने आरोपी दोनों वार्डन के खिलाफ अपराध क्रमांक 403 धारा 323, 294, 34 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया है।

भेड़ बकरियों की तरह एक हाल में सोते हैं 71 छात्र
इस घटनाक्रम के बाद सेंट जोसेफ हास्टल की असली तस्वीर उजागर हुई है। हास्टल में रहने वाले सभी 71 छात्र एक हाल में सोते हैं तथा उन्हें नास्ता व भोजन ऐसा मिलता है कि सामान्यजन भी यह भोजन खाना तो दूर देखना भी पसंद नहीं करेंगे। मीडियाकर्मियों ने अपनी अांखों से यहां की भोजन व्यवस्था का नजारा देखा। नास्ते के पोहा की गुणवत्ता अत्याधिक खराब थी तथा रोटियां भी अधपकी थीं। हास्टल परिसर की साफ-सफाई व घास तथा खरपतवार उखाडने का काम भी हास्टल के ही छात्रों से कराया जाता है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि हास्टल के चार-पांच जो चालू शौचालय हैं, वह सभी दरवाजा विहीन हैं, जिनका उपयोग छात्र करते हैं।

बचने के लिए वार्डन ने स्वीकारा मुझसे गलती हुई
सेंट जोसेफ हास्टल के वार्डन गौम्स शाला ब्रदर ने छात्रों के परिजनों व पत्रकारों के सामने यह स्वीकार किया है कि उनसे गलती हुई है। इस तरह से छात्रों को मुझे नहीं मारना चाहिए था, अब भविष्य में कभी मैं ऐसी गलती नहीं करूंगा। लेकिन सिर्फ इस स्वीकारोक्ति से क्या किए गये गुनाह को नजर अंदाज कर दिया जाना चाहिए ? लिस्यू आनंद विद्यालय व सेंट जोसेफ हास्टल में छात्रों के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार की यह पहली घटना नहीं है, इसके पूर्व भी कई बार मासूमों के साथ अमानवीय बर्ताव हो चुका है। ऐसी स्थिति में यहां पढने वाले बच्चों के अभिभावक चिन्तित और परेशान हैं।

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