शमिन्दर सिंह, शाहजहांपुर.
पुलिस अपनी छवि खुद ही नहीं सुधार पा रही है। जनमानस तो पुलिस के प्रति उदासीन रवैया और उसकी कार्यशैली से त्रस्त है ही खुद महकमे के कर्मचारी का क्या हाल है, इस घटना से पुलिस की पूरी पोल खुल जाती है। पुलिस कितनी अमानवीय हो गई है कि अब उसे अपने साथियों पर भी रहम नहीं आता। मंगलवार को जिसने भी पुलिस कार्यालय परिसर में तीन घंटा तक दुखद दृष्य देखा, उसके ही रोंगटे खड़े होगे और पुलिस विभाग पर थू-थू करता रहा।
कैंसर पीड़ित सिपाही को नहीं मिला छह माह से वेतन
फाइल बढ़ाने के बाबू मांग रहा 5 हजार सुविधा शुल्क
भ्रष्ट बाबू के खिलाफ कार्रवाई के सवाल पर एसपी की चुप्पी
आज पूर्वान्ह करीब 11 बजे आरसी मिशन थाने में तैनात सिपाही रामसरन वर्मा पुलिस कार्यालय आया था। रामसरन हरदोई जिले के थाना सुरसा अंतर्गत बैसनपुरवा गांव का रहने वाला है। यहां रोजा कालोनी में वह पत्नी राजवती व बेटे ललित के साथ रहता है। एक साल पहले ही वह सीतापुर से तबादला होकर यहां आया था।
रामसरन मुंह के कैंसर से पीड़ित है। लगातार ड्यूटी के बावजूद उसे छह माह से वेतन नहीं मिला है। उसने पुलिस कार्यालय के कई चक्कर काटे। चार बार एसपी के सामने पेश होकर वेतन दिलाए जाने के लिए गिड़गिड़ाया, लेकिन कोई नहीं पसीजा। आफिस के बाबू सुनील के नहोरे किए, लेकिन वह भी नहीं पिघला और वेतन के कागजात बनाने के बदले पांच हजार रुपये मांगे। बीमारी और वेतन न मिलने के कारण परेशान रामसरन वर्मा आज सुबह 11 बजे पुलिस कार्यालय आया तो परिसर में ही गिर पड़ा। वह तीन घंटा तक पड़ा छटपटाता रहा, लेकिन पुलिस कार्यालय में मौजूद किसी अफसर ने उसकी सुध नहीं ली। इस बीच उसकी पत्नी और बेटा भी आ गया। दोनों मिलकर उसे अस्पताल ले गए। इस संबंध में जब एसपी से जानकारी की गई तो उन्होने कहा कि सिपाही जब सीतापुर में तैनात था तभी उसके वेतन के कागजों में कोई विसंगति हो गई थी। उन्होने कहा कि उसे चार-पांच दिन में वेतन मिल जाएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या वह विभाग के उस बाबू के खिलाफ कार्यवाही करेंगे जो उससे पांच हजार सुविधा शुल्क मांग रहा था तो इसके जवाब मे एसपी साहब चुप्पी साध गए।
पुलिस अफसरों के सामने छटपटाता रहा सिपाही
सितंबर 30, 2014
0
Tags