रेलिक रिपोर्टर, भोपाल.
मध्यप्रदेश में सहकारिता माफिया इस कदर पुलिस और प्रशासन पर हावी है कि, करोड़ों का भ्रष्टाचार उजागर करने वाली महिला पत्रकार को अपने पति और बीमार बेटे के साथ जान बचाने के लिए जिलाबदर होना पड़ा है। हर ओर से निराश होने के बाद राज्यपाल रामनरेश यादव को इंसाफ नहीं मिलने पर इच्छामृत्यु का आवेदन सौंपना पड़ा। हालांकि, राज्यपाल ने न्याय दिलाने का भरोसा दिलाते राज्य शासन से विस्तृत प्रतिवेदन मांग लिया, जिससे पीड़ित पत्रकार परिवार को न्याय की आस जगी है।
राज्यपाल को इच्छा मृत्यु का ज्ञापन देने के बाद तलब की पूरी रिपोर्ट
सीधी जिला सहकारी बैंक में करोडों के भ्रष्टाचार को उजागर किया
सेल्समैन से महाप्रबंधक बनने वाले अयोध्या प्रसाद पांडे का कहर
पीड़ित महिला पत्रकार मंटो रायकवार और उनके पति संजय रायकवार ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने के बाद न्यूज रेलिक को बताया कि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित सीधी में वर्ष 2007 से शुरु हुए भ्रष्टाचार के सूत्रधार सैल्समेन से महाप्रबंधक तक गलत तरीके से पदोन्नत होने वाले अयोध्या प्रसाद पाण्डे पिता जगजीवन प्रसाद पाण्डे हैं।
पुलिस और जिला प्रशासन भी पांडे के साथी बने
पांडे ने भ्रष्ट संचालक मण्डल के द्वारा बैंक में रोस्टर, बैकलाग के विरूद्ध जाति विशेष के लोगों को नियम विरूद्ध तरीके से भर्तियां कर उनको पदोन्नति दी, जिस किसी ने भी इसका विरोध किया तो उनको निलंबित कर दिया गया, स्थानांतरित कर दिया, या फिर सेवा से पृथक कर दिया गया। इसी भ्रष्टाचार के बारे में अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करने के साथ ही जिला प्रशासन को अवगत कराते हुए जांच का दबाव बनाया।
ब्लैकमेलिंग के फर्जी आरोप में फंसाया
लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने से परेशान हो चुके पांडे ने अपने रिश्तेदारों के साथ मिलकर साजिश रची और ब्लैकमेलिंक के आरोप में एफआईआर दर्ज कर ली। क्योंकि, पांडे के सगे भाई के दामाद आरपी त्रिपाठी ही थाना प्रभारी है। इसके अलावा तीन महीेने से शूटरों से गोली मरवाने और बच्चे का उठवाने की धमकियां दी जा रही हैं। लगातार मानसिक प्रताड़ना और धमकियों के कारण 16 जून 2014 से 8 साल के बच्चें को विद्यालय नहीं भेजा जा सका है।
दबाव डालकर, डरा घमका कर एवं सेवा पृथक करने का भय बताकर महिला पत्रकार आवेदक के विरूद्ध सेल्स मेनों, लीड प्रबंधकों, समीति प्रबंधकों से जन शिकायत निवारण प्रकोष्ठ में शिकायत करवाकर एवं उनकों गवाह बनाते हुये लगातार फर्जी मुकदमों में फंसाया जा रहा है। दूसरी ओर, दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने के उपरांत भी भ्रष्टाचारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।