पूरी दुनिया में पन्ना टाइगर रिजर्व का नाम रोशन कर एक नया इतिहास रचने वाली बाघिन टी - 4 अब नहीं रही। कान्हा की इस अनाथ पालतू बाघिन ने पन्ना में आकर वह करिश्मा किया है, जिससे बाघ प्रजाति को विलुप्त होने से बचाने की नई संभावनाओं के द्वार खुले हैं। पन्ना बाघ पुर्नस्थापना योजना के संस्थापक बाघों में इस बाघिन का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जायेगा।
मडला परिक्षेत्र में मिली मृत बाघिन टी-4 |
कान्हा की इस अनाथ बाघिन ने पन्ना को दी है नई ऊंचाई
उल्लेखनीय है कि कान्हा टाइगर रिजर्व की इस अनाथ और अर्द्धजंगली बाघिन को जंगली बनाने के अनूठे और अभिनव प्रयोग को पूरा करने के लिए 27 मार्च 2011 को पन्ना लाया गया था। बाघिन टी - 4 के पन्ना आने से पहले तक पूरी दुनिया में यह माना जाता था कि जो शावक अनाथ हो गये और किसी मनुष्य के संपर्क में आ गये हैं उन्हें जंगली नहीं बनाया जा सकता। इस मान्यता को बाघिन टी - 4 ने पूरी तरह से गलत साबित कर बाघ प्रजाति के विलुप्त होने की संभावनाओं को भी खत्म कर दिया। पालतू से जंगली बनी दुनिया की इस पहली बाघिन टी - 4 ने पन्ना टाइगर रिजर्व में आकर न सिर्फ जंगली हुई अपितु उसने यहां पृथक-पृथक तीन बार शावकों को जन्म देकर बाघों की वंशवृद्धि में अभूतपूर्व योगदान भी दिया। दूसरी जंगली बाघिनों की तरह टी - 4 ने अपने शावकों का न सिर्फ लालन - पालन किया बल्कि उन्हें खुले जंगल में शिकार करने की कला में भी पारंगत किया। तीसरी बार इस बाघिन ने तीन शावकों को जन्म दिया था जो 14 माह के हो चुके हैं और मां से अलग होकर जंगल में स्वच्छन्द विचरण करने लगे हैं। इन शावकों में दो नर व एक मादा है।
मड़ला परिक्षेत्र में मृत मिली बाघिन
पन्ना टाइगर रिजर्व का नाम रोशन करने वाली बाघिन टी - 4 की मौत से हर कोई दुखी और व्यथित है। क्षेत्र संचालक आर श्रीनिवास मूर्ति ने बताया कि अनुश्रवण दल के द्वारा दी गई सूचना के अनुसार 18 सितम्बर की शाम 6:45 बजे बाघिन का मॉर्टलिटी रेडियो सिग्नल प्राप्त हुआ। इस आधार पर आज सुबह सर्चिंग में मड़ला परिक्षेत्र के बीट पठान झिरिया में बाघिन मृत पाई गई। नियमानुसार मौके पर निरीक्षण व जांच के उपरान्त रेडियो कॉलर निकाला गया। प्रारंभिक जांच में 10 वर्षीय इस बाघिन की मौत का कारण अप्राकृतिक नहीं माना जा रहा।
जांच के लिए भेजा गया सेम्पल
बाघिन टी - 4 के शव का पोस्ट मार्टम पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्रांणी चिकित्सक डा. संजीव कुमार गुप्ता ने किया गया। उन्होंने बताया कि प्रथम दृष्टया बाघिन की मौत प्राकृतिक प्रतीत हो रही है। हालांकि , मौत की असल वजह का पता लगाने के लिए सेम्पल जांच हेतु बरेली, जबलपुर, सागर व देहरादून भेजा जा रहा है। जांच रिपोर्ट आने पर बाघिन की मौत के कारणों का पता चल सकेगा। इस पूरी कार्यवाही के दौरान राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली के प्रतिनिधि राजेश दीक्षित मौजूद रहे।
राष्ट्रगान के साथ किया गया अंतिम संस्कार |
महज डेढ़ साल की उम्र में अनाथ होने के बाद इनक्लोजर के भीतर पली बढ़ी यह बाघिन जब पन्ना लाई गई तो किसी को भरोसा नहीं था कि यह जंगली बन पायेगी। बावजूद, इस बाघिन ने सारी मान्यताओं और वैज्ञानिक समझ को नकारते हुए पन्ना के जंगल को अपना आशियाना बनाया और तीन बार शावकों को जन्म दिया। इस बाघिन ने यह साबित कर दिखाया कि अनाथ हो जाने वाले बाघ शावकों को पाल पोसकर बड़ा करने के बाद जंगली बनाया जा सकता है। नया इतिहास रचने वाली इस बाघिन की मौत पर पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन के द्वारा श्रद्धांजलि देते हुए राष्ट्रीय गान के साथ अन्तिम संस्कार किया गया।