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नक्सलियों से मुकाबले में कायरता पर 18 जवान सस्पेंड

शिखा दास, रायपुर.

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में तैनात सुरक्षा बल के 18 जवानों को कायरता दिखाने के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है। इनमें से 17 जवान केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की 80वीं बटालियन के हैं, जबकि एक जवान छत्तीसगढ़ पुलिस का है जो तोंगपाल थाने में तैनात है।

नक्सलियों से मुकाबले में कायरता पर 18 जवान सस्पेंड
कैंपों में बंदियों की तरह जीवन जीने वाले जवानों को प्रेरणा और 
सुविधाओं का अभाव

पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार यह निलंबन 11 मार्च को सुकमा जिले के तहकवाड़ा की घटना की जांच के बाद लिया गया है, जिसमें माओवादियों के हमले में सुरक्षा बल के 15 जवान मारे गए थे। मारे गए जवानों में 11 सीआरपीएफ की 80वीं बटालियन के थे, जबकि चार जवान जिला पुलिस बल के। इसके अलावा एक आम नागरिक की भी मौत हुई थी।
निलंबित जवानों पर घटना स्थल से भाग जाने का आरोप लगा था, जिसके लिए विभागीय जांच बैठाई गई थी। पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि जांच में निलंबित किए गए सभी जवानों को कायरता का दोषी पाया गया है। बस्तर संभाग के पुलिस महानिरीक्षक एसआरपी कल्लूरी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि निलंबित किए गए जवानों में सीआरपीएफ के एक निरीक्षक, दो सहायक उप निरीक्षक और 14 आरक्षी शामिल हैं। इसी क्रम में तोंगपाल थाने में तैनात जवान को भी निलंबित किया गया है। गौरतलब होगा कि यह पहला मौका है जब किसी बड़ी नक्सली घटना के बाद बचे हुए जवानों को कायरता के आरोप में निलंबित किया गया हो।

सुविधाएं और प्रेरणा की कमी से जूझ रहे जवान
इस निलंबन को पुलिस महकमे में सही तरह से नहीं देखा जा रहा है। दबी आवाज में कहा जा रहा है कि, जिन इलाकों में संघर्ष चल रहा हो वहां इस तरह के निलंबन से जवानों के मनोबल पर नाकारात्मक असर पड़ेगा। उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व महानिदेशक प्रकाश सिंह कहते हैं, अक्सर देखा गया है कि संघर्ष के इलाकों में तैनात सुरक्षा बल के जवानों की प्रेरणा में कमी होती है। क्योंकि उनके पास सुविधाएं नहीं है। उनका नेतृत्व करने वाले अच्छे अधिकारियों की भी कमी है। प्रेरणा की कमी की वजह से कई बार जवान संघर्ष करने की बजाय पीछे हटना बेहतर समझते हैं।

कैंपों में कैदियों की तरह रहते हैं जवान
पूर्वी और मध्य भारत के नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात सुरक्षा बल के जवानों को कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है। कुछ इलाकों में तो उनको बुनियादी सुविधाओं के बिना ही रहना पड़ रहा है। बस्तर संभाग में ही कई इलाके ऐसे भी हैं जहाँ सुरक्षा बल के जवान अपने कैंपों में कैदियों की तरह रह रहे हैं। इन कैंपों में उनके लिए राशन पहुंचाना तक जंग लड़ने के ही बराबर है। कुछ जानकारों को लगता है कि इस तरह निलंबित किए जाने के बाद बाकी जवानों का मनोबल जरूर टूट जाएगा।

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