ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाले यात्री वाहन जान जोखिम में डालकर खुलेआम यात्रा करा रहे है। इन्हें पुलिस प्रशासन का कोई भय नही है, ये यात्री वाहन एक-एक वाहन में दो-दो दर्जन यात्रियों को छत, बोनट और आगे-पीछे लटकाकर खुलेआम यात्रा करा रहे है। अगर कोई यात्री इनको समझाने की कोशिश करता है तो उल्टे यात्री से लड़ने झगड़ने को तैयार हो जाते है, इन वाहन चालकों का कहना है कि हर माह पुलिस थाने में पांच सौ रूपएं देते है, चिंता की कोई बात नही है और आगे जो होगा देख लेंगे।
अवैध वाहनों में खुलेआम यात्रियों को ठूंस-ठूंस कर होती है यात्रा
ट्रैफिक पुलिस वाले हफ्ता वसूली के बाद बंद कर लेते हैं आंखें
यह नजारा अक्सर सुल्तानगंज बेगमगंज मार्ग, बेरखेड़ी, वीरपुर मार्ग, मरखेड़ा टप्पा और महुंआखेड़ा मार्ग पर देखने को मिलता है। यह तो ट्रैफिक पुलिस और प्रशासन के अदने से कर्मचारी तक को पता है कि, यह छोटे अवैध वाहन तहसील भर में सौ और सवा सौ की संख्या में संचालित है। ऐसे में देखा जाए तो बेगमगंज पुलिस की हर माह की आमदनी भी अच्छी खासी हो रही है, नतीजे में इन ओवर लोड वाहनों पर कोई कार्यवाही नही होती है।

बिना आरटीओ से फिटनेस सर्टिफिकेट लिए ही सैकड़ों वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। नतीजे में ऐसे वाहनों से कभी भी हादसा हो सकता है।
इन वाहनों में 6 से 8 यात्रियों को बैठाने की क्षमता होती है। बावजूद, इनमें 14 से 20 तक सवारियों को लटकाकर ढ़ोया जाता है। हद तो यह है कि यातायात नियमों का मखौल उड़ाते हुए ऐसे सवा सौ वाहन सुबह से लेकर देर रात तक थाने और एसडीएम आफिस के सामने से आते जाते रहते हैं, लेकिन सिर्फ 500 रुपए महीने की चौथ वसूली के चलते कभी कार्रवाई नहीं होती है।