रेलिक रिपोर्टर, बेगमगंज, रायसेन.
कई एकड़ जमीन के साथ ही ट्रैक्टर वाले किसानों के गरीबी रेखा से नीचे के बीपीएल कार्ड बन गए हैं, लेकिन गरीब दलित का कार्ड सालभर से चक्कर काटने के बाद भी नहीं बन सका है। गरीब गांववाले का पेट फूलता जा रहा है और कभी भी मौत के मुंह में जा सकता है। बीपीएल कार्ड बनाने वाले राजस्व कर्मचारियों की मनमानी के चलते गरीबों के बजाय अमीरों के धडल्ले से बीपीएल राशनकार्ड बन रहे हैं।
राजस्व कर्मचारियों की मनमानी के चलते भटक रहे हैं असली हितग्राही
गरीबों तक नही पहुच रहा शासन की कलयाणकारी योजनाओं का लाभ
शासन की योजनाओं का लाभ गरीबों को किस हद तक मिल रहा है, जिसकी जमीनी हकीकत जानने की किसी ने कोशिश नही की होगी। क्योंकि सरकारें तो सिर्फ आंकड़ों से चलती है, उनका हकीकत से कोई वास्ता नही है रहता। ग्रामीण क्षेत्र में तैनात कर्मचारी ही सरकार की योजनाओं को पलीता लगा रहे है। इसका जीता-जागता उदाहरण तहसील के ग्राम ढिलवार में देखने को मिला है। एक गरीब असहनीय बीमारी से पीड़ित व्यक्ति एक वर्ष से अपना गरीबी रेखा का परमिट बनवाने के लिए तहसील से लेकर पटवारियों तक के चक्कर लगा रहा है,लेकिन उस व्यक्ति का आज तक परमिट नही बन सका है। दूसरी ओर, इसी गांव के ट्रैक्टर वाले किसानों के गरीबी रेखा के परमिट बनाये गये है। लेकिन इस गरीब भूमिहीन का आज तक परमिट नही बनने से अपनी बीमारी का इलाज घर की बची-खुची पूंजी बेचकर कराने को मजबूर है। क्योंकि इस व्यक्ति की पहुँच ऊपर तक नही है और न ही किसी छुटभैया नेता ने इसकी मदद करने की कोशिश की है।
बेगमगंज तहसील के ग्राम ढ़िलवार निवासी पीड़ित गनपत वल्द दयाराम धानक उम्र ४० वर्ष अपने पेट की बीमार से पीड़ित है। इसके पेट में पानी भर जाता है इसका पेट फूलकर बीस से तीस किलो बजनी हो जाता है। डाक्टरों ने इसे आपरेशन कराने की सलाह दी है, आपरेशन कराने के लिए इसके पास इतना पैसा नही है। हां अगर इस व्यक्ति का गरीबी रेखा का राशन कार्ड बन जाता तो इसका नि:शुल्क इलाज हो जाता है और यह व्यक्ति अपनी जिन्दगी शायद बचा लेता। अब यह गरीब पेट की बीमारी से त्रस्त होकर जिन्दगी और मौत से जूझने को मजबूर है। पीड़ित गनपत ने बताया कि पंचायत सचिव से लेकर पटवारी तक कई बार परमिट बनवाने की गुहार लगाई, लेकिन आज तक परमिट नही बन सका।
ट्रैक्टर वालों के बने, दलित गरीब का नहीं बना बीपीएल कार्ड
अगस्त 27, 2014
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