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मध्यप्रदेश में मनरेगा में रोजगारमूलक कार्यों का नया रिकार्ड

21 हजार से अधिक ग्राम पंचायत में काम जारी, 29 हजार कार्य पर 13 लाख से अधिक ग्रामीण श्रमिक काम पर

मध्यप्रदेश में मनरेगा में इन दिनों रिकार्ड संख्या में रोजगारमूलक कार्य ग्रामीण अंचलों में जारी हैं। राज्य की 21 हजार से अधिक ग्राम पंचायत में 29 हजार से ज्यादा रोजगार मूलक कार्य पर 13 लाख 50 हजार ग्रामीण श्रमिक इन दिनों काम पर हैं। मध्यप्रदेश में मनरेगा के सुचारू क्रियान्वयन और त्वरित भुगतान व्यवस्था के लिए शुरू हुई ई-एफ.एम.एस. पद्धति की सफलता से यह उपलब्धि हासिल हुई है।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा सामाजिक न्याय मंत्री श्री गोपाल भार्गव के प्रयासों से प्रदेश मंे मनरेगा के अंतर्गत अधिकांश ग्राम पंचायतों में जरूरतमंद ग्रामीण श्रमिकों के लिए बड़ी तादाद में रोजगारमूलक कार्य शुरू किये जा चुके हैं। मौजूदा बरसात के मौसम को देखते हुए खास तौर से बाढ़ की रोकथाम, जल-संरक्षण और संवर्द्धन, भूमि सुधार, सिंचाई नहरों की मरम्मत, ग्रामीण जल प्रदाय व्यवस्था, स्वच्छता, मछली पालन की गतिविधियों से जुड़ी उपयोजनाओें में ग्रामीणों को व्यापक पैमाने पर रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है।

आयुक्त मनरेगा डॉ. रवीन्द्र पस्तोर ने बताया कि इन दिनों प्रदेश की 23 हजार पंचायत में से 21 हजार 309 ग्राम पंचायत में एक साथ रोजगारमूलक काम जारी हैं। मनरेगा में इससे पहले इतनी अधिक तादाद में एक साथ रोजगारमूलक काम कभी भी नहीं चलाये गये थे। वर्ष 2012-13 में एक समय में 18 हजार ग्राम पंचायत में रोजगारमूलक काम हुए। इस बार खोले गए रोजगारमूलक काम पिछले वर्षों की तुलना में सर्वाधिक हैं। मनरेगा में अब पहली बार ग्रामीण मजदूरों को या तो उनकी ग्राम पंचायत में या उनकी आस-पास की ग्राम पंचायत में काम उपलब्ध करवाने के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं। इससे न केवल इस बार श्रमिकों का पलायन रुका है बल्कि बरसात के मौसम में उन्हें खेती-बाड़ी के काम में भी अब कोई परेशानी नहीं होती है।

मनरेगा के प्रदेश में जारी रोजगारमूलक कार्यों पर इन दिनों 8 लाख से अधिक ग्रामीण श्रमिक परिवार काम पर जुटे हैं। इनमें से ग्रामीण सड़कों के निर्माण संबंधी कार्यों पर 2 लाख 44 हजार 145 परिवार, जल-संरक्षण और संवर्धन कार्यों पर एक लाख 72 हजार 689 परिवार, अनुसूचित जाति और जनजाति बहुल क्षेत्रों में सिंचाई संबंधी कार्यों पर 2 लाख 22 हजार 129 परिवार, भूमि विकास कार्यों पर एक लाख 29 हजार 258 परिवार, परम्परागत जल संरचनाओं के जीर्णोद्धार कार्यों पर 14 हजार 778 परिवार, बाढ़ नियंत्रण एवं सूखा राहत संबंधी कार्यों पर 25 हजार 752 परिवार, रोजगारमूलक कार्यों पर लगे हैं। इसके अलावा बढ़ी तादाद में ग्रामीण पेयजल व्यवस्था, स्वच्छता, नहरों के सुधार जैसे काम जारी हैं।

इस वित्तीय वर्ष में जून के प्रथम सप्ताह तक मनरेगा में काम कर रहे श्रमिकों की मजदूरी और सामग्री भुगतान के रूप में 331 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है। गत वित्तीय वर्ष की बकाया मजदूरी के रूप में 90 करोड़ से अधिक का भुगतान श्रमिकों को किया जा चुका है।

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में इलेक्ट्रानिक फण्ड मैनेजमेंट सिस्टम के जरिये ग्रामीण श्रमिकों को मजदूरी के त्वरित भुगतान के साथ-साथ सामग्री और अन्य प्रशासकीय व्यय के भुगतान की समन्वित व्यवस्था के सफल क्रियान्वयन की सराहना भारत सरकार ने की है। प्रदेश में ई-एफ.एम.एस. की नवीन व्यवस्था से मनरेगा कार्यों की पारदर्शिता भी सुनिश्चित हुई है। मध्यप्रदेश ने संपूर्ण देश में मनरेगा के सुचारू क्रियान्वयन की दिशा मेंे अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। मध्यप्रदेश की तर्ज पर इस आदर्श व्यवस्था को अब केन्द्र सरकार द्वारा देशव्यापी लागू करने की पहल की जा रही है।

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