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सीएमएचओ मीटिंग में बिजी और मरीज की तड़पते-तड़पते जान निकल गई

शब्बीर अहमद, बेगमगंज.
मरीजों की जान से कैसे खिलवाड़ हो रहा है, इसकी बानगी नेताप्रतिपक्ष सुषमा स्वराज के चुनावी जिले रायसेन में देखी जा सकती है। आज दोपहर जिला रायसेन की सीएमएचओ अस्पताल के सभाकक्ष में विभागीय कर्मचारियों की मीटिंग में बिजी बनी रहीं और इस दौरान दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल लाए गए मरीज का तड़पते तड़पते दम निकल गया। डॉक्टरों को मरीज की जान बचाने से ज्यादा मीटिंग में हंसी ठिठोली करना लगा।

सीएमएचओ मीटिंग में बिजी और मरीज की तड़पते-तड़पते जान निकल गई
बेगमगंज कस्बा के पक्का फाटक निवासी सैयद जाहिद अली आयु 50 वर्ष को दोपहर करीब साढ़े तीन बजे सीने में तेज दर्द उठा। इस पर परिजन तत्काल सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन उपचार करने के लिए वहां सिर्फ नर्से मौजूद थी। क्योंकि सीएमएचओ डॉ. शशि ठाकुर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की मीटिंग जो ले रहीं थी। किसी भी चपरासी या नर्स की इतनी हिम्मत नहीं हुई कि वे मीटिंग कक्ष में जाकर बता सकें कि सीरियस मरीज आया है। मरीज की हालत बिगड़ता देख एक पत्रकार ने जाकर मीटिंग में जानकारी दी, बावजूद इसके कोई भी वरिष्ठ डाक्टर उठकर नहीं आया। महज औपचारिकता निभाने के लिए एक महिला संविदा डाक्टर को वहां भेज दिया गया। इसी दौरान करीब आधा घंटे के बीच मरीज की तड़प तड़प कर मौत हो गई। तब भी किसी डाक्टर ने या सीएमएचओ ने मरीज को आकर देखना गवारा नहीं किया। डॉक्टारों को मरीज की जिन्दगी से ज्यादा जरुरी अपनी मीटिंग लग रही थी। वहां उपस्थित अन्य मरीजों व लोगों ने भी काफी प्रयास किया लेकिन कोई भी वरिष्ठ डाक्टर ने आकर मरीज को देखना उचित नहीं समझा, जबकि मीटिंग में करीब दस डाक्टर मौजूद थे। मृतक के बेटे सोहेल अली ने बताया कि सवा तीन बजे वे मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत मेरी शादी का फार्म कम्प्लीट करवाने गए थे, घर पहुंचे तो पेट व सीने में दर्द होने लगा। इस पर तत्काल उन्हें अस्पताल ले गए, लेकिन डाक्टर्स मीटिंग में व्यस्त थे, समय पर उपचार नहीं मिल पाने के कारण उनकी मौत हो गई।

सविंदा डॉक्टर भेजने का बयान देकर पल्ला झाड़ा
जब पत्रकारों ने घटना के करीब दो घंटे बाद सीएमएचओ शशि ठाकुर से जानना चाहा कि एक मरीज की तड़प से ज्यादा आपकी मीटिंग जरूरी थी, तो वे कन्नी काटते हुई नजर आई। सीएमएचओ ने खिसियाते हुए बस इतना कहा कि मरीज सीरियस था उसे अटैक पड़ा था हमने डाक्टर को भेज दिया था और इससे ज्यादा हम क्या करते। हालांकि, जिस महिला डॉक्टर को मरीज को देखने भेजा गया था, उसके पास कोई विशेषज्ञता तक नहीं थी।

डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की तेज होती मांग
इस घटना से नागरिकों में जबर्दस्त आक्रोश है और सीएमएचओ सहित बाकी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज होती जा रही है। नागरिकों का कहना है कि कानों में रूई लगाए सीएमएचओ अपनी मीटिंग में व्यस्त रहीं। ध्यान देने की बात है कि कलेक्टर जेके जैन भी नगर में एक धार्मिक कार्यक्रम में मौजूद थे, लेकिन उन तक सूचना नहीं पहुंच पाई। इस मामले को लेकर स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा और प्रमुख सचिव प्रवीर कृष्ण को भी शिकायत करते हुए कार्रवाई की मांग की गई है।

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