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भागवत करने नही चेतना जगाने निकला हूं - स्वामी प्रणवानंद

निशा राठौर, पारा, झाबुआ.

भागवत कथा करते महामण्डलेश्वर स्वामी प्रणवानंद जी
भागवत कथा करते महामण्डलेश्वर स्वामी प्रणवानंद
धर्मरक्षक समिति के तत्वाधान में स्टेण्ड परिसर पर करवायें जा रहे सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा मे माही से मां नर्मदा तक चालीस दिन की अपनी पद यात्रा के पश्चात प्रतिदिन आस पास के ग्रामीण अंचल मे स्वामी जी अपने भक्तो से मिलने के लिये जा रहे हैं। स्वामी जी वनवासी बंधुओं मे धर्म के प्रति चेतना जागृत कर रहे है। एक वार्ता के दौरान स्वामी जी ने बताया की वनवासी बंधुओ का निश्छल प्रेम उन्हें बार बार इस अंचल मे आने की प्रेरणा देता हे ओर उनकी हार्दिक इच्छा है वे इस वनवासी अंचल मे धर्म व शिक्षा का अलख जगाने के लिए बार बार पद यात्रा करते रहेंगे।
कथा के तीसरे दिन महामण्डलेश्वर 1008 स्वामी प्रणवानंद सरस्वती ने विशाल धर्म सभा में कहा की योग्यता के बिना विकास संभव नही है। धर्म साधना मनोरंजन के लिए नही है। धर्म के लिए ब्रहमचर्य जरूरी है, गृहस्थ जीवन मे भी रह कर ब्रहमचर्य का पालन व संयम बहुत आवश्यक है। इसी से देश काल समय वार तिथि का ज्ञान होता है। हिन्दू धर्म श्रेष्ठ धर्म है, दुनिया के किसी भी देश की संस्कृति हिन्दू जैसी नही है। तलाक शब्द भारतीय संस्कृति नही है, किसी भी पुराण मे तलाक की अवधारणा नही है, सर्मपण की अवधारणा है। भारत में नारी मुक्ति के आंदोलन चलाए जा रहे है, मै नारी मुक्ति का विरोधी नही हूं, लेकिन पहले ये बात बताओ की नारी कहा बंधक है? भारतीय नारी को सनातन काल से ही पूरी स्वतंत्रता है, वह स्वंयवर रचा कर अपने पति का चयन कर रही है। नारी को चुनने की स्वतंत्रता है। वह स्वयं अपने पति का वरण करती है। आध्यात्मिक उर्जा का रूपान्तरण धर्म है आजकल सब कुछ होता हे केवल वैराग्य नही होता। 

धर्मसभा मे प्रवचन सुनते मंत्रमुग्ध महिला श्रद्धालु
धर्मसभा मे प्रवचन सुनते मंत्रमुग्ध महिला श्रद्धालु
शाम 6 बजे से लेकर रात्रि 10 बजे तक प्रतिदिन हो रही संगीत मय भगवत कथा व प्रवचन के विभिन्न प्रसंगो एवं संकिर्तन के दोरान कई बार श्रद्धालूओ के जय घोष राधे राधे से पांडाल गंूज उठा, वहीं कई महिला व पुरुष नृत्य करने लगे। भागवत कथा से पूरे नगर व क्षेत्र का महौल भक्ति मय हो गया। 
कथा आरंभ होने से पूर्व भगवत पुराण पूजन किया गया। सहारा समय के ब्यूरो कुंवर नरेश प्रताप सिह राठौर ने स्वामी जी का पुष्पमाला से स्वागत किया व कथा की समाप्ति पर आरती के यजमान रहे प्रकाश प्रजापत के द्वारा प्रसादी वितरण की गई।

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