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बडे तालाब के कैचमेंट एरिया में सिफ जैविक खेती होगी

ब्यूरो, भोपाल.

कृषि विभाग ने दिया ढाई सौ किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षणकृषि विभाग ने दिया ढाई सौ किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण

 राजधानी की लाइफ लाइन बड़ी झील को बचाने के लिए कैचमेंट एरिया में आने वाले करीब 52 गांवों में सिर्फ जैविक खेती ही की जाएगी। इससे तालाब को प्रदूषित होने से बचाया जा सकेगा और किसानों को भी फायदा होगा।
यह जानकारी गुरुवार को विकास खंड फंदा के तहत आने वाले ग्राम खोकरिया में आस पास के करीब आधा दर्जन गांवों के किसानों को जैविक खेती के प्रशिक्षण के दौरान दी गई। इस प्रशिक्षण में खोकरिया ग्राम के अलावा टीलाखेड़ी, बेरखेड़ी, साहिस्ताखेड़ी, जाटखेड़ी और हताईखेड़ी ग्राम के करीब ढाई सौ किसानों ने भागीदारी की। इस मौके पर संयुक्त संचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग अशोक कुमार इंगले, उप संचालक कमलेश प्रसाद पांडे, उप संचालक परियोजना आत्मा ललित सिहं चौहान, ग्रामीण कृषि विकास अधिकारी आरती राजावत आदि ने किसानों को प्रशिक्षण दिया।
किसानों ने दिखाए अपने खेत
प्रशिक्षण के दौरान जैविक खेती के फायदों को जानने के बाद किसानों ने सिर्फ जैविक खेती ही करने पर सहमति जताई। इसके साथ ही कृषि अधिकारियों को अपने खेतों का भ्रमण भी कराया। इस दौरान अधिकारियों ने मिट्टी की जांच करने के बाद मौसम के हिसाब से फसल बोने की सलाह दी, ताकि सही उपज मिल सके।
कैचमेंट में हैं 52 गांव
बडे तालाब के कैचमेंट में 52 गांवों की जमीन मानी जा रही है, जोकि भोपाल जिले के साथ ही सीहोर जिले के भी हैं। इन गांवों की जमीनों से बहता हुआ बरसात का पानी बडे तालाब तक पहुंचता है। ऐसे में इन गांवों के किसानों द्वारा रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग किए जाने से मिट्टी तक पहुंच जाते हैं और फिर बरसात के पानी के साथ बहते हुए बडे तालाब में पहुंचते हैं। इससे तालाब का पानी प्रदूषित हो रहा है.

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