Type Here to Get Search Results !

भगोरिया में परवान चढ़ेगी आदिवासी संस्कृति

निशा राठौर, पारा/झाबुआ.

पारा क्षेत्र में रंग जमेगा चार भगोरिया मेलों का

आदिवासी प्रधान झाबुआ जिले में 20 मार्च से रंगारंग भगोरिया मेले शुरु हो रहे हैं। इस कड़ी में पारा क्षेत्र के पारा में 21 मार्च को , 25 मार्च सोमवार को रजला तथा कलमोड़ा में तथा 26 मार्च मंगलवार को बड़ीखरडू में भगोरिया मेलो का आयोजन होगा। इलाके में भगोरिया की चहल - पहल अभी दबे पांव शुरु हो रही है, मगर वास्तविक चहल - पहल तेवारिया हाटों से ही शुरू होगी। व्यापारियों का मत है कि भगोरिया मेलों के पहले भरने वाले तेवारिया हाट से भगोरिया कैसे भरायेंगें, इसकी रंगत का पता चल जायेगा।


आदिवासी संस्कृति में भगोरिया जहां महापर्व है, वहीं इससे बड़ा सच यह भी है कि भगोरिया और होली में झाबुआ जिले की आदिवासी संस्कृति की विधि व्यवस्था, रीति रिवाज और पंरपराएं भी घूमती रहती हैं। झाबुआ जिले में आदिवासी संस्कृति की धरोहर आज भी कायम है। जिले के आदिवासी समाज में त्यौहार मनाने के लिए अपनी संस्कृति को ऐसे मजबूत रुप से संजोये रखते हैं, कि उसमें फेरबदल तक नहीं होता। इसका उत्कृष्ट और प्रमाणिक उदाहरण यह भी है कि जो तीज त्यौहार रविवार या मंगलवार को आते हैं, उन्हें नही मनाया जाता, क्योंकि हजारो साल पुरानी संस्कृति के हिसाब से ये वार वर्जित वार माने जाते है, जिसका अक्षरत: पालन आज भी आदिवासी समाज में होता है। 
इस समय पारा इलाके के हजारों आदिवासी भाई - बहन मजदूरी करने गुजरात गये हुए हैं। वैसे तो कई परिवार वहीं के होकर वहीं बस गए हैं। इन्हीं में कई परिवार तो भगोरिया जैसा पर्व तक मनाने अपने गृह गांव नहीं आ पाते। हालांकि, यहां रहने वाले इनके भाईबंधु और रिश्तेदार इनको निमंत्रण भेज कर बुलाने का प्रयास जरुर करते हं और बहुत हद तक इनकी कोशिशें कामयाब भी होती है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.