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सौर उर्जा से रोशन होंगे भोपाल के ट्रैफिक सिग्नल

ब्यूरो, भोपाल.
अब मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के चौराहों पर लगे ट्रैफिक सिग्नल सौर ऊर्जा से रोशन होंगे। इसके लिए प्रदेश के वित्त विभाग ने मध्य प्रदेश नवाचार मद से 3 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है। इसके साथ ही 60 स्थानों पर ब्लिंकर भी जगाए जाएंगे। इस काम को छमाही में पूरा कर लिया जाएगा।
अब पॉवर कट होने या आंधी आने पर गतिरोध के चलते चौराहे अंधेरे में नहीं डूबेंगे। भोपाल नगर के सभी ट्रैफिक सिग्नल को अब सौर उर्जा से रोशन करने की योजना को पूरा करने के लिए मप्र योजना आयोग के नवाचार मद से इसके लिए 3 करोड रुपए की मंजूरी मिल गई है। इस योजना के तहत शुरुआत में नगर निगम ने शहर के 17 वर्तमान ट्रैफिक सिग्नलों को सौर उर्जा से बिजली प्रदान करने और सौर उर्जा आधारित नये ट्रैफिक सिग्नल लगाने के लिए योजना आयोग को प्रस्ताव दिया था। सौर ऊर्जा चालित सिग्नल लगाने का काम मप्र ऊर्जा विकास निगम के साथ मिलकर नगर निगम करेगा। य्स्वीकृत राशि का सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्सा ही चुकाना होगा, बाकी राशि राज्य शासन ही वहन करेगा।
पैडेस्ट्रियन रिक्वेस्ट सिग्नल और ब्लिंकर
नगर निगम आयुक्त विशेष गढपाले ने प्रमुख सचिव (वित्त) की अध्यक्षता में गठित स्वीकृति समिति के सामने सौर ऊर्जा परियोजना का प्रस्तुतिकरण किया था। कमिश्नर ने राज्य शासन और योजना आयोग के अधिकारियोें को अवगत कराया, कि नगर निगम सौर उर्जा आधारित सिग्नल स्थापना के अलावा पैदल सड़क पार करने वाले नागरिकों की सुविधा के लिए 10 पैडेस्ट्रियन रिक्वेस्ट सिग्नल भी स्थापित करेगा। आधुनिक तकनीक पर आधारित पैडेस्ट्रियन रिक्वेस्ट सिग्नल में कलर चेंज होने पर, आॅडियो/बीप एनांउंसमेंट की भी व्यवस्था रहेगी। इसी तरह 60 जंक्शन पर सौर उर्जा आधारित ब्लिंकर स्थापित किया जाने को भी स्वीकृति दी गयी। 
कलेक्टर ने लिया चौराहों का जायजा
सौर उर्जा से रोशन होंगे भोपाल के ट्रैफिक सिग्नल
कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने नगर निगम कमिश्नर विशेष गढपाले से साथ शुक्रवार को उन चौराहों का जायजा लिया, जिन स्थानों पर सौर ऊर्जा संचालित यातायात सिग्नल लगाए जाने हैं। कलेक्टर ने इस मौके पर बताया कि, आगे डेवलप होने वाले चौराहों पर भी सौर ऊर्जा संचालित सिग्नल ही लगाए जाएंगे।
सालभर में बचेगी 6 लाख की बिजली
सौर ऊर्जा संचालित ट्रैफि क सिग्नल लगाने से नगर निगम को वित्तीय भार कम करने में मदद मिलेगी। अभी सवा सौ करोड़ के राजस्व वसूली के मुकाबले करीब 14 से 16 करोड़ रुपए सिर्फ बिजली बिल चुकाने में ही चले जाते हैं। गौरतलब होगा कि, सौर उर्जा आधारित सिग्नलों का खर्च बिजली के खर्च के मुकाबले एक तिहाई होता है। सौर उर्जा चलित सिग्नल में धूप के समय के अलावा 4 घंटे का बिजली बैकअप भी होता है। इससे बिजली कटौती के समय भी सिग्नल चालू रहते हैं। अभी एक सिग्नल पर हर महीने 3 हजार रुपए का बिल आता है, ऐसे में शुरुआत में 17 सिग्नलों से 6 लाख रुपए बिजली का बिल बचेगा। यह बचत सिग्नल बढ़ने के साथ ही बढ़ती जाएगी।
40 चौराहों पर लगाए जाएंगे सिग्नल
बस रुट ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) के तहत हर तिराहे और चौराहे पर सिग्नल लगाए जाएंगे। इसके साथ ही जहां-जहां पर अस्पताल, स्कूल या शासकीय कार्यालय होंगे, ऐसे चौराहों पर हाईमास्ट लाइट लगाई जानी है। ऐसे में बिजली के भारी भरकम बिल से बचत का सिर्फ सौर ऊर्जा ही विकल्प है। बीआरटीएस के तहत कम से कम 40 चौराहों पर सौर ऊर्जा संचालित सिग्नल लगाए जाएंगे। इसके साथ ही ब्लिंकर और पैडेस्ट्रियन रिक्वेस्ट सिग्नल भी लगाए जाएंगे।



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