ब्यूरो, भोपाल.
संभावना ट्रस्ट के सतीनाथ षडंगी और रचना ढींगरा ने खुलासा किया है कि, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा गैस राहत एवं पुनर्वास मंत्री बाबूलाल गौर को रिश्वत नहीं मिलने के चलते यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाने का ठेका जर्मनी की कंपनी को नहीं दिया गया। जबकि, सिर्फ 25 करोड़ में जर्मनी की कंपनी कचरे को जलाने को तैयार थी, अब पीथमपुर में जहरीले कचरे को जलाने पर 54 करोड़ खर्च करने की तैयारी है। हालांकि, पीथमपुर के इंसीनरेटर की क्षमता यूका के कचरे को जलाने लायक नहीं है और उसमें कचरा जलाने पर निकलने वाले जहरीले धुएं से कैंसर तक हो सकता है।
बीते साल रेल रोको आंदोलन की अगुवाई करके आगजनी और हिंसक वारदातो के बाद चर्चा में आए संभावना ट्रस्ट के षडंगी और ढ़ींगरा ने गुरुवार को मीडिया से मुखातिब होते हुए बताया कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त दस्तावेजों से यह पता चला हैकि, जुलाई, 2010 से जून, 2012 के बीच रामकी कम्पनी के पीथमपुर स्थित इंसिनरेटर के चार बार ट्रायल रन किए गए हैं, जिसमें अत्यधिक मात्रा में डायआक्सीन और फ्यूरॉन का रिसन हुआ है। पीथमपुर में डायआक्सीन और फ्यूरॉन की मात्रा भारतीय मानक से 68 से 267 गुना ज़्यादा थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार डायआक्सीन की अत्यंत कम मात्रा से भी कैंसर हो सकता है, हार्मोन की गड़बड़ी हो सकती है, प्रजनन तंत्र तथा रोग प्रतिरोधक तंत्र को नुकसान पहुंचता है।
इनका कहना है कि, रामकी कम्पनी के इंसिनरेटर में रिसने वाले डायआक्सीन और फ्यूरॉन को न तो मापा जा सकता है और न उसे हवा में जाने से रोका जा सकता है। वैसे भी अगस्त, 2012 को मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस इंसिनरेटर को बंद करने का आदेश दिया था। बोर्ड के इस आदेश के बावजूद केन्द्रीय प्रदूषण नियंर्तण बोर्ड ने इस इंसिनरेटर में जनवरी, 2013 को पुन: ट्रायल रन किया। इनका दावा है कि, जर्मनी की जीआयजेड संस्था ने रामकी कम्पनी से आधी कीमत पर भोपाल के कचरे को ठिकाने लगाने का प्रस्ताव दिया था, परन्तु रिश्वत की मांग पूरी नहीं होने से इस प्रस्ताव पर अमल नही हुआ। उन्होंने कहा कि हाल में ब्रिटिश हाई कमिशन ने भी इसी तरह का प्रस्ताव दिया है, परन्तु इन्हीं कारणों से इस प्रस्ताव को भी राज्य सरकार द्वारा नजर अंदाज़ किया जा रहा है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानक भी पूरे नहीं
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बनाए गए खतरनाक कचरा प्रबंधन नियम,1989 के मानदंडों पर रामकी कम्पनी का इंसिनरेटर खरा नहीं उतरता है। बोर्ड के नियमों के अनुसार इस तरह के इंसिनरेटर के 500 मीटर के अंदर कोई इन्सानी आबादी नहीं होनी चाहिए, जबकि रामकी इंसिनरेटर के पास बसे तारपुरा गांव की दूरी 200 मीटर से कम है। सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेज़ दर्शाते है कि पिछले साल तारपुरा गाँव में इस इंसिनरेटर की वजह से प्रदूषण हुआ था।
रामकी कंपनी में कचरा जलाना खतरनाक
भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के ज़हरीले कचरे में आॅर्गेनॉक्लोरीन की मात्रा अधिक होने से इस कचरे को जलाने पर अत्यधिक डायआॅॅक्सीन और फ्यूरॉन निकलेगा। भारत में ऐसा कोई भी संयत्र नही है, जिसमे यूनियन कार्बाइड के कचरे का सुरक्षित निष्पादन हो सके और रामकी कम्पनी का संयत्र तो इस काम के लिए सबसे ज्यादा अनुपयुक्त है।
कचरा विदेश भेजने की पैरोकारी
गैस पीड़ितों ने यूनियन कार्बाइड के 350 टन जहरीले कचरे के सुरक्षित निष्पादन के लिए जर्मनी, डेनमार्क और कनाडा जैसे देशों को भेजने की जरुरत बताई है। उनका दावा है कि, विदेशों के संयत्र डायआॅॅक्सीन और फ्यूरॉन को हवा में जाने से रोक सकते हैं।
जर्मन कंपनी से गैस राहत मंत्री बाबूलाल गौर ने मांगी थी रिश्वत..?
फ़रवरी 07, 2013
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