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विकास का वाहक बन सकता है पन्ना नेशनल पार्क

अरुण सिंह, पन्ना.

पन्ना नेशनल पार्क का प्रवेश द्वार
पन्ना नेशनल पार्क का प्रवेश द्वार
-पर्यावरण संरक्षण के बदले पन्ना को विशेष पैकेज की मांग
-शिक्षा, स्वास्थ्य व सडक की बेहतरी के लिए हो सार्थक पहल 


तेजी से बढ़ती हुई आबादी जहां आज की सबसे बड़ी समस्या है, वहीं पर्यावरण का संरक्षण समय की सबसे बड़ी जरूरत है. दुर्भाग्य से हम न तो बढ़ रही आबादी की रफ्तार पर अंकुश लगा पा रहे हैं और न ही बेरहमी के साथ काटे जा रहे जंगलों को बचा पा रहे हैं. पन्ना जैसे पहाड़ी क्षेत्र के लिए यह स्थिति भयावह ही नहीं आने वाले समय में आत्मघाती भी साबित हो सकती है.
उल्लेखनीय है कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना जिले को प्रकृति ने अनमोल उपहारों से नवाजा है. यहां के घने जंगल व प्राकृतिक सौन्दर्य मंत्र मुग्ध कर देने वाला है. लेकिन अनगिनत खूबियों के रहते हुए भी इस जिले के विकास को सही दिशा नहीं मिल सकी. पूंजीपतियों व सामंतवादियों ने इस रत्नगर्भा धरा का सिर्फ दोहन किया, यहां के विकास व जनता की खुशहाली के लिए सार्थक प्रयास नहीं हुए. इसका परिणाम यह हुआ कि पन्ना जिले की अधिसंख्य आबादी पीढिय से जंगल व पत्थर खदानों पर निर्भर है. इस निर्भरता के चलते जंगल जहां तेजी से सिकुड़ रहे हं, वहीं पर्यावरण भी बिगड़ रहा है. पत्थर खदानों में काम करने वाले मजदूर जानलेवा बीमारी सिलिकोसिस के शिकार हो रहे हैं. आम जनता के जेहन में यह भ्रान्ति घर कर गई है कि हमारी गरीबी और दुर्दशा के लिए यहां का जंगल खासकर नेशनल पार्क जिम्मेदार है, क्यों कि कानूनी बंदिशों के चलते वे इस जंगल का मनमर्जी के मुताबिक उपयोग नहीं कर पाते और वन्य प्रांणियों के कारण खेती भी नहीं हो पाती.

यदि व्यापक दृष्टिकोण और दूरगामी सोच के साथ पन्ना जिले के विकास की योजना पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखकर बनाई जाये, तो पन्ना नेशनल पार्क विकास में बाधक नहीं, बल्कि विकास का वाहक बन सकता है. स्थानीय जनप्रतिनिधियों व प्रबुद्धजनों की ओर से यह आवाज उठनी चाहिए कि खूबसूरत जंगल, बेहतर पर्यावरण और नेशनल पार्क के बदले में पन्ना जिले को विशेष पैकेज मिले. नेशनल पार्क से लगे ग्रामों में वन्य प्रांणियों से फसलों की क्षति न हो, इस दिशा में भी ठोस पहल हो, ताकि ग्रामीण वन व वन्य प्रांणियों के संरक्षण में सहभागी बन सकें. विशेष पैकेज की राशि का उपयोग ग्रामवासियों की बेहतरी तथा उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य व बुनियादी सुविधायें उपलब्ध कराने में हो. उन्नत कृषि व पर्यटन विकास के साथ-साथ रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए पर्यावरण हितैषी उद्योगों को बढ़ावा मिले. यहां की भौगोलिक स्थिति व प्राकृतिक माहौल को दृष्टिगत रखते हुए यदि पन्ना को शिक्षा का हब बनाने की पहल की जाए तो मन्दिरों की इस नगरी का गौरव और भी बढेगा.
विकास के साथ हो पर्यावरण का संरक्षण

पन्ना में बाघों की पुनर्स्थापना विश्व का विरलतम उदाहरण है. अब पन्ना जिले के विकास हेतु नेशनल पार्क के एवज में विशेष पैकेज मिलना चाहिए, तभी बाघ संरक्षण सफल होगा. प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री नागेन्द्र सिंह का कहना है कि नेशनल पार्क से जुड़े ग्रामों के युवाओं को स्व-रोजगार और पर्यावरण संरक्षण से जोड़ा जाना चाहिए.
इसलिए है पन्ना पानी से समृद्ध


जल संसाधन विभाग पन्ना के कार्यपालन यंत्री अखिल वार्ष्णेय बताते हैं कि पन्ना पानी से समृद्ध है, क्यों कि यहां पर नेशनल पार्क है. जंगल के कारण ही केन नदी पानी से लबरेज रहती है तथा रिचार्जिंग क्षमता कायम है. जंगल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती.





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