Type Here to Get Search Results !

फैजाबाद के गुमनामी बाबा ही थे सुभाष चन्द्र बोस

शमिन्दर सिंह, शाहजहांपुर.

नेताजी और सावरकर पर 14 किताबें लिख चुके डा. हरीन्द्र श्रीवास्तव का खुलासा

क्षुद्र मानसिकता के वामपंथी एवं सेकुलर नेताओं ने किया सावरकर व सुभाष को बदनाम


 क्षुद्र स्वार्थ तथा द्वेष के वशीभूत होकर कुछ वामपंथी तथा सेकुलर नेता स्वातंत्रयवीर सावरकर जी पर चाहे जितने भी निराधार आरोप लगाते रहें, परन्तु सच तो यह है कि भारतीय इतिहास में सावरकर बन्धुओं जैसा त्याग, तपस्या तथा समर्पण का उदाहरण ढंूढ़ने पर भी नहीं मिलेगा। सावरकर परिवार के त्याग तपस्या का पूरा इतिहास भगवान श्री राम के जीवन के समान है, जबकि नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ओजपूर्ण आग के साक्षात प्रकाश पुंज थे, जिन्होने द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान के साथ मिलकर पूरे विश्व के खिलाफ युद्ध लड़ा था। जिनके नाम से ही अंग्रेज थर-थर कांपते थे। वीर सावरकर व नेता जी सुभाष चन्द्र बोस त्याग, तपस्या साहस और संकल्प की साक्षात प्रतिमूर्ति थे।
डा. हरीन्द्र श्रीवास्तव
डा. हरीन्द्र श्रीवास्तव
उक्त विचार चिन्तक, विचारक व लेखक डा. हरीन्द्र श्रीवास्तव ने निर्भय चन्द्र सेठ के निवास पर पत्रकारों से वार्ता में व्यक्त किये। वह, हिन्दू महासभा के नेता स्व. बिशन चन्द्र सेठ की स्मृति मे आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में यहां आए हैं। वीर सावरकर व नेता जी सुभाष चन्द्र बोस पर पीएचडी व डीलिट् की उपाधि लेने वाले डा. श्रीवास्तव अब तक इन दोनो महापुरूषों पर 14 पुस्तकें लिख कर प्रकाशित कर चुके हैं, जबकि वीर सावरकर पर फिल्म व सीरियल का निर्माण भी कर चुके हैं। वीर सावरकर पर बनी फिल्म 15 वर्षों में 15 करोड़ की लागत से निर्मित हुई है। इसको सन् 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने रिलीज किया था।
डॉ. श्रीवास्तव दिल्ली विश्वविद्यालय में 40 वर्षों तक अंग्रेजी विषय के प्रोफेसर रह चके है। पं. रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां व ठाकुर रोशन सिंह की इस पावन भूमि को नमन करते हुए उन्होंने बताया कि बिस्मिल जी की बहिन द्वारा सौंपी गयी धरोहर उनका एक चाकू, एक लाठी व अंतिम समय का कम्बल आज भी गुडगांव से 40 किमी दूर झरहर के आर्य समाज मंदिर के ऐतिहासिक म्यूजियम में सुरक्षित रखा है। बिस्मिल जी का यह चाकू आधा किलो वजन का है और लाठी देखने में ही एतिहासिक प्रतीत होती है। 
उन्होंने काकोरी कांड के अनेक संस्मरण बताते हुए यह भी कहा कि, इस केस के सरकारी वकील पं. गोविन्द बल्लभ पंत थे और जज थे पं. आनन्द नारायण मुल्ला, जो आजादी पाने के बाद गृहमंत्री व चीफ जस्टिस बने थे। तथाकथित सेकुलर नेताओं की कड़ी आलोचना करते हुए डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि यह कहां का न्याय है कि, भारत का नागरिक जम्मू कश्मीर में दुकान या ढाबा भी नहीं खोल सकता, जबकि कश्मीर में रहने वाला व्यक्ति पूरे हिन्दुस्तान को खरीद सकता है।
श्री श्रीवास्तव ने एक सावल के जबाब में बताया कि कहा कि आजाद भारत में सत्ता संभालने वाले नेताओं ने एक साजिश के तहत वीर सावरकर व नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को जान बूझकर बदनाम किया। उन्होंने यह भी दावा किया कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ही फैजाबाद में गुमनामी बाबा के नाम से रहते थे। उनकी सारी वस्तुएं आज भी वहीं के म्यूजियम में सुरक्षित हैं और चीजें नेता जी व्यक्तित्व से मेल खाती हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.