नरेन्द्र राठौर, पारा/झाबुआ.
कॉपीराइट कानून की जानकारी नहीं होने से मोबाइल पर गाने लोड करने वाले दुकानदारों की अज्ञानता का बेजा फायदा उठाते हुए 40 से ज्यादा दुकानदारों से लाखों रुपए ठग लिए गए। हालांकि, अपने साथ ठगी होने का अहसास होते ही दुकानदारों ने तीन ठगों को पकड़कर जमकर आवभगत करने के बाद पुलिस के हवाले कर दिया।
कापीराईट एक्ट व पाईरेसी कानून के तहत देश की कुछ जानी मानी कंपनियों ने फिल्मों व उनके गानों के अधिकार खरीद रखे हैं, जिसकी जानकारी के अभाव में मोबाईल पर गाने डाउनलोड करने वाले 40 से अधिक दुकानदारो को अपनी ठगी का शिकार बनाने वाले तीन लोगों को पकडा गया है। पकड़ाए ठगों में एक ड्रायवर के अलावा एक संजय व्यास है जो अपने आप को कापी राइट अधिकारी और दूसरा राजेंद्र सिंह ठाकुर स्वयं को कापीराइट कंपनी में सर्वर बताता है। इन फर्जी अधिकारियों को दुकानदारों ने दोपहर को पुलिस के हवाले कर दिया। तीनों अपने अपने आप को अधिकारी बताकर कंपनी के नाम पर दुकानदारों से रूपये ऐंठने का काम करते थे। तीनो ठग दिसंबर माह में झाबुआ के किसी मोबाईल विक्रेता के माध्यम से यहा आए थे और स्थानीय पुलिस के सहयोग से नगर का दौरा किया था। उस समय एक दुकान की सिर्फ 6 हजार रूपए की जुर्माने की रसीद बनाई थी और शेष दुकानदारों से 60-70 हजार की वसूली कर चले गए थे। बुधवार को तीनों एक बार फिर वापस आए और फोन किया तो मोबाईल डाउनलोड करने वाले दुकानदारों में खलबली मच गई। इसके बाद ही कापीराइट कंपनी और इस तरह के अधिकारियों की छानबीन की हिम्मत जुटाई गई।
नहीं मिले कागजात, हिरासत में
एसडीओपी रचना भदौरिया ने तीनों ठगों से पूछताछ की और उनसे कंपनी के अथॉरिटी लेटर और परिचय पत्र आदि मांगे, लेकिन तीनों ही कोई कागजात नहीं दिखा सके। इसके बाद तीनों को झाबुआ कोतवाली की हवालात भेज दिया गया।
पेटलावद में भी लगाया चूना
पेटलावद से आए दुकानदार जितेश विश्वकर्मा, श्याम चौधरी ने बताया की ठगों ने दिसंबर मे फ्रेंचायजी देने के नाम से 97 हजार रूपए लिए थे, लेकिन आज तक कोई कागजात नही दिए। इस बारे में जब भी मोबाईल पर बात करते थे तो बताते थे कि एक दो दिन में भिजवाते है। बुधवार को भी जब बात की तो इन लोगों ने आष्टा में होना बताया, जब उनको पता चला की ये लोग पारा में पकडे गए हैं तो वे यहा आ गए। इसी प्रकार ज्ञानसिंह सोलंकी निवासी बडनगर से 18 हजार एवं झाबुआ के प्रफुल्ल भाभोर से 5 हजार की ठगी की है।
बेहद शातिर हैं तीनों ठग
तीनो ठग इतने शातिर है कि, ठगी को अंजाम देने के लिए कार नंबर आरजे 35 सीए 0776 का इस्तेमाल करते थे, जिस पर पुलिस का लोगो लगा है। इसको देखकर कोई भी उनपर शक नहीं करता था और अपने शिकार और पुलिस को झांसा देकर अपनी बात में उलझाकर उनसे सहयोग लेकर ही अपने काम को अंजाम देते थे।
मोबाइल पर गाने लोड करने वाले 40 दुकानदारों को धमका कर लाखों की ठगी
फ़रवरी 14, 2013
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