राधा दुबे प्रमाण पत्रों के साथ |
राधा दुबे को वर्ष 2010-11 में किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा ब्लाक स्तरीय पुरूस्कार के रूप में 10 हजार एवं प्रमाण पत्र व इसी वर्ष जिला स्तरीय पुरूस्कार क रूप में 25 हजार एवं प्रमाण पत्र दिया गया था। राधा दुबे द्वारा पिछले वर्ष क्षेत्र में चने का सबसे अधिक उत्पादन किया गया था। क्षेत्र में औसतन एक हेक्टेयर पर दस क्विंटल का एवरेज चने की पैदावार रिकार्ड की गई थी। राधा दुबे ने एक हैक्टेयर में 23 क्विंटल चना उत्पादन का रिकार्ड बनाया था। इसपर वर्ष 2011-12 के लिए सर्वोच्च महिला कृषक पुरूस्कार के लिए चयनित किया गया है।
स्वंय निर्मित कीट नाशक लिए हुए |
इस संबंध में कृषि विकास अधिकारी सीताराम सोनी ने बताया कि राधा बाई पूर्व में कई पुरूस्कार प्राप्त कर चुकी है एवं आत्मा समिति की सदस्य भी रह चुकी है। जैविक खेती के माध्यम से चने का रिकार्ड उत्पादन करने पर उन्हें सर्वोच्च महिला कृषक पुरूस्कार के लिए जिले से चयन किया गया है।
संघर्ष और समर्पण से पाई सफलता
आठवीं तक शिक्षित 39 वर्षीय राधा दुबे के पास 1 हैक्टेयर 619 आर ए पूर्ण सिंचित भूमि है।
कृषि के अलावा पांच सौ गीत और भजन के अलावा खेती किसानी पर लिखे उनके गीत सरकार ने भी अपनाएं हैं।
अब तक 500 महिलाओं को प्रशिक्षित कर चुकी राधा दुबे घर पर ही जैविक खाद एवं कीटनाशक बनाती हैं। इसके लिए नीम, धतूरा, आल्पोमिया, मठा का इस्तेमाल करती हैं। केचुए की खाद बनाकर स्वयं की खेती में उपयोग करती है।
200 से 20 हजार तक का सफर
केचुओं से खाद बनाने के लिए 1 किलो केचुंए 200 रुपए के खरीद कर लाई और प्रत्येक वर्ष बीस हजार रुपए के केंचुए अके ले किसानों को बंचती हैं। खेती सन 2004 से कर रहीं है। विभिन्न प्रकार के कीटनाशक किसानों को बनाकर दे देती है, जिसका कोई मूल्य नहीं लेती। केचुएं का खाद तैयार करने के लिए किसानों को स्थान तैयार करने में मदद करती है।