आमिर खान, सीहोर.
सीहोर के एक गर्ल्स हॉस्टल में मानसिक रुप से कमजोर और मूक-बधिर छात्राओं को सजा देने के लिये लड़कों के हॉस्टल भेजने का शर्मनाक खुलासा हुआ है। इससे प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया है, क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला है। इस कारण प्रशासन भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। छात्राओं का कुसूर केवल इतना था कि उन्होंने हॉस्टल प्रबंधन से अव्यवस्थाओं की शिकायत की थी। हॉस्टल में मानसिक रुप से कमजोर और मूक-बधिर 9 से 14 वर्ष की 18 छात्राएं गायब भी पाई गई हैं।
यह खुलासा मंगलवार को बाल अधिकार संरक्षण अधिकार आयोग द्वारा हॉस्टल के आकस्मिक निरीक्षण के दौरान हुआ। मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने सभी छात्राओं की मेडिकल जांच कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही गायब छात्राओं की सूची भी प्रबंधन से मांगी है। इससे पहले गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर 15 दिसंबर को एसडीएम सीहोर हृदयेश श्रीवास्तव, अतिरिक्त तहसीलदार प्रियंका चौरसिया और जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) अशोक पराडकर ने औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान कई अनियमिततायें मिली थीं। हास्टल संचालित करने वाली स्वयं सेवी संस्था के खिलाफ पहले भी शिकायत की गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
डीपीसी और एपीसी स्वाति प्रियदर्शिनी ने भी छात्राओं को लड़कों के हॉस्टल भेजे जाने और उनके साथ मारपीट होने की बात स्वीकार की है। एसडीएम ने बताया कि छात्राओं की जो संख्या रजिस्टर में दर्ज थी, निरीक्षण के दौरान उसमें से 18 छात्रायें हॉस्टल में नहीं मिलीं। संस्था द्वारा बताया गया कि वे अपने घर गई हैं। बाल आयोग ने इन सभी 18 छात्राओं को आयोग में उपस्थित करने के निर्देश दिए हैं।
इसके अलावा आयोग ने निरीक्षण के दौरान यह भी पाया कि सरकार से अनुदान मिलने के बावजूद भी छात्राओं को पूर्ण सुविधा नही दी जाती है। यहां तेज ठंड में भी छात्राओं को टीनशेड के नीचे एक कंबल में रात गुजारनी पड़ रही है। हॉस्टल के रसोई में राशन भी नहीं मिला। छात्राओं के लिए स्कूल यूनीफॉर्म के अलावा ड्रेस का इंतजाम भी नहीं किया गया है। जबकि, नि:शक्त बच्चों के लिए संस्था को राज्य शिक्षा केन्द्र से सालाना 10 से 12 लाख रुपए अनुदान मिलता है। संस्था की प्रमुख संगीता एवं इरशाद जाफरी औचक निरीक्षण की भनक लगते ही गायब हो गए थे।
सजा के नाम पर भेजते थे लड़कों के हॉस्टल
जनवरी 08, 2013
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