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जौरा नगर पालिका अधिकारी की मनमानी से आरटीआई और लोसेगा बने मजाक

जगदीश शुक्ला, जौरा (मुरैना).
प्रदेश की भाजपा सरकार भले ही प्रशासनिक सुधार के प्रयास कर आमजन को कितनी ही राहत दिलाने के दावे करे, लेकिन ये दावे नगर परिषद जौरा के संदर्भ में एकदम गलत साबित हो रहे हैं। नगरीय निकाय में ना तो सूचना के अधिकार की जानकारी समय पर दी जाती है और न ही लोकसेवा गारंटी की सेवायें ही लोगों को समय पर मिल पा रही हैं। सरकार के इन तमाम दावों की सच्चाई का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने निकाय के जन प्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अधिकारियों के कई बार के निर्देशों के बावजूद अपनी पदस्थी के लगभग डेढ़ साल बाद भी अभी तक मुख्यालय पर एक रात भी रूकना मुनासिब नहीं समझा है।

लोसेगा की नहीं है कोई गारंटी
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने आमजन के काम समय सीमा में निपटाने के लिये लोकसेवा गारंटी अधिनियम लागू किया है। अधिनियम के प्रावधानों के तहत निर्धारित समय सीमा में काम नहीं होने पर आवेदक को जिम्मेवार अधिकारी से अर्थदण्ड दिलाने का भी प्रावधान है। निकाय में लोकसेवा गारंटी अधिनियम के तहत कुछ सेवाओं के काउन्टर तो खोले गये हैं, लेकिन इन पर बगैर मुख्य नगर पालिका अधिकारी के निर्देशों के कोई भी आवेदन स्वीकार नहीं किये जाते हैं। केवल उन्हीं आवेदनों को स्वीकार किया जाता है, जिनके संबंध में मुख्य नगर पालिका अधिकारी हां कर देते हैं। मुख्य नगर पालिका अधिकारी के अक्सर कार्यालय से नदारद रहने एवं बैठक आदि में बाहर जाने के कारण आवेदकों को बगैर आवेदन दिये ही कार्यालय से निराश होकर वापस लौटना पड़ता है। जानकारी के अनुसार मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा लोकसेवा गारंटी अधिनियम के तहत समय पर सेवायें नहीं देने के कारण लगभग एक वर्ष पूर्व कलैक्टर मुरैना ने 1 हजार रूपये का अर्थदण्ड भी लगाया था। हालंकि, इस जुर्माने की वसूली मुख्य नगर पलिका अधिकारी से आज तक नहीं हो सकी है।

सूचना के अधिकार की भी हो रही है फजीहत
सूचना के अधिकार अधिनियम को लागू करने के बजाय मुख्य नगर पालिका अधिकारी की मेहरबानी पर टिका है। जानकारी देना या न देना उनकी मर्जी पर निर्भर है। सूचना के अधिकार की अवज्ञा के बावजूद मुख्य नगर पालिका अधिकारी को कोई भय नहीं है। सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने वाले पत्रकार जनक सिंह एवं आदेश दुबे को तो मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा जानकारी देना तो दूर रहा, उल्टे उन्हें जानकारी मांगने पर धमकी तक दे डाली। ऐसे ही कई अन्य शिकायत कर्ता हैं, जो सीएमओ की मनमानी से दुखीं है। सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने के बाद निर्धारित समय सीमा में जानकारी नहीं देने के शिकायतकर्ताओं में कई वरिष्ठ पत्रकार ,नागरिक, समाजसेवी और निकाय के जनप्रतिनिधि तक शामिल हैं। जानकारी नहीं देने के बाद सीएमओ खुलेआम यह कहते हैं कि जानकारी नहीं दी है तो आप मेरे खिलाफ अपील कर सकते हैं। मुख्य नगर पलिका अधिकारी के कानून के प्रति इस लापरवाह रवैये के बावजूद आज तक किसी प्रशासनिक अधिकारी ने न तो मुख्य नगर पालिका अधिकारी से कोई पूछताछ करना उचित समझा है, और न ही उनके खिलाफ कोई कार्यवाही किया जाना सुनिश्चित किया है।

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