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मध्यप्रदेश में दमनकारी सरकार के खिलाफ किसानों का प्रतिरोध

दीपक ‘विद्रोही’, भोपाल.

वेलस्पन कंपनी के पावर प्लांट का लगातार शांतिपूर्ण विरोध
वेलस्पन कंपनी के पावर प्लांट का विरोध
मध्यप्रदेश की सरकार एक तरफ तो जनता की हितैषी होने का दावा करती है। सरकार के मंत्री स्वयं को मजदूरों, किसानों का बेटा होने का दावा करते नहीं थकते। वहीं दूसरी ओर, मध्यप्रदेश के किसानों और मजदूरों की आत्महत्या के आंकड़े तमाम सरकारी दावों की पोल खोलकर रख देते है। प्रदेश सरकार कृषि योग्य भूमि का अधिग्रहण कर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को औने-पौने दामों पर बेचकर नवउदारवादी नीतियों को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण के खिलाफ मेहनतकश जनता और किसान लामबंद हो रहें हैं। सरकार द्वारा अधिग्रहण का विरोध करने वाले किसानों पर मुकदमें लगाकर उन्हें जेल में ठूसा जा रहा है। शासक वर्ग द्वारा भूमि अधिग्रहण के खिलाफ हो रहे आंदोलनों को तोड़ने के लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। बावजूद इसके जनता सरकार के दमन के खिलाफ लगातार संघर्ष कर रही है।
मध्यप्रदेश में शासक वर्गों द्वारा जनता की मेहनत का अरबों रूपया खर्च कर ग्लोबल इंवेस्टर समिट का आयोजन किया जाता है। इनके माध्यम से सरकार नवउदारवादी नीतियों को लागू करती है। समिट में अरबों रुपए के करार किये जाते है। इन करारों को क्रियान्वित करने के लिये जनता को बर्बर तरीके से विस्थापित किया जा रहा है। हाल के कटनी जिले के घटनाक्रम से यह बात और स्पष्ट होती है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों के फायदे के लिये शासक वर्ग किस तरह मेहनतकश जनता पर जुल्म ढ़ाता है। इसी के नतीजे में सन् 1995 से आजतक छत्तीसगढ़ समेत मध्यप्रदेश में 23956 किसान आत्महत्या कर चुके हैं और हर दिन शासक वर्गों के दमन के खिलाफ जनता लामबंद होकर समझौता विहीन संघर्ष में अपनी सक्रिय भूमिका अदा कर रही है।
कटनी जिले की बरही तहसील के ग्राम बुजबुजा में वेलस्पन कंपनी का प्रस्तावित पावर प्लांट शासक वर्गों के जुल्म का ज्वलंत उदाहरण है। पिछले 2 वर्षो से कटनी जिले की बरही तहसील के ग्राम बुजबुजा के किसान वेलस्पन कंपनी के पावर प्लांट का लगातार शांतिपूर्ण विरोध कर रहे है और शासक वर्गो को चेतावनी दे रहे है कि अगर उनकी जमीन छीनी गई तो वे आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर हो जाएंगे।
कटनी जिले में प्रस्तावित पॉवर प्लांट की क्षमता 1900 मेगावाट होगी और इसकी स्थापना के लिये 1600 एकड़ भूमि की आवश्यकता है। सरकार द्वारा 250 एकड़ भूमि किसानों से खरीदकर कंपनी को उपलब्ध कराई गई है। शेष भूमि सरकार जबरिया अधिग्रहित करने की नापाक कोशिश कर रही है। परन्तु किसान अपनी जमीन के अधिग्रहण का लगातार विरोध कर रहे है और शासक वर्ग इस विरोध के दमन के लिये पुलिस और गुंडो का प्रयोग कर रहा है। 
इसी घटनाक्रम में भूमि अधिग्रहण के विरोध में कटनी जिले के बुजबुजा गांव की सुनिया बाई ने आत्मदाह कर लिया। सुनिया बाई की मृत्यु से आहत आंदोलनकारी जब सुनिया बाई के शव को सडक पर रखकर शांतिपूर्ण विरोध कर रहे थे, तब पुलिस ने जोर जबरदस्ती सुनिया बाई का शव छीनकर जला दिया और आंदोलनकारी किसानों पर लाठियां चलाई। इस प्रकार शासक वर्ग का तानाशाही पूर्ण रवैया जगजाहिर होता है। भूमि अधिग्रहण के खिलाफ इसी ग्राम के एक नवयुवक किसान रामप्यारे (शिक्षक) ने भी जहर खाकर आत्महत्या का प्रयास किया था। 
भूमि अधिग्रहण के खिलाफ हो रहे जोरदार विरोध का मोटी चमड़ी वाले दलाल शासक वर्गों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और प्रदेश के उद्योग मंत्री ने अपने बयान में कहा कि जिस महिला ने आत्महत्या की वह अपनी बीमारी से त्रस्त थी और जिस नवयुवक ने आत्महत्या की कोशिश की, वह मानसिक रूप से अस्वस्थ है। इस प्रकार के गैर-गंभीरतापूर्ण वक्तव्यों से प्रदेश के मंत्री जनता की लड़ाई और संघर्ष को भ्रमित करने की निकृष्ट कोशिश कर रहे हैं।

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