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आंध्र में पार्टी का सफाया और मध्यप्रदेश में जीत के टिप्स..?

ब्यूरो, भोपाल.

पर्चा की चर्चा तनाव में नजर आए वेंकैया नायडू
पर्चा की चर्चा से तनाव में नजर आए वेंकैया नायडू
भारतीय जनता पार्टी की पीएम इन वेटिंग लिस्ट में गिने जाने वाले वेंकैया नायडू को भोपाल में एक गुमनाम पर्चें ने आइना दिखा दिया। पर्चे में सिर्फ 3 सवाल थे, जो सीधे नायडू से पूछे गए थे। इन सवालों का जवाब देना तो दूर रहा, इनकी चर्चा तक से वेंकैया ने हाथ ऊपर कर दिए। दूसरी ओर भाजपा नेता भी शुचिता और पारदर्शिता की बड़ी बड़ी बातें करने वाले भाजपा नेता भी इस पर्चे को विरोधियों की साजिश करार देने में जुटे रहे।
प्रदेश भाजपा कार्यालय में सुबह उस समय हड़कंप मच गया जब वेंकैया नायडू के खिलाफ लिखा एक पर्चा यहां बांटा गया। पर्चे की चर्चा शाम तक चलती रही। आलम यह रहा कि विधायक और प्रवक्ता विश्वास सारंग से लेकर प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्रसिंह तोमर तक ने इसे विरोधियों की साजिश करार दिया। हालांकि, विरोधी का अता पता नहीं बता पाए। वहीं खुद वेंकैया ने पर्चे पर चर्चा से इंकार किया। वे सीधे तौर पर किनारा करते दिखाई दिए। प्रेस वार्ता के दौरान भी सहज नहीं हो पाए. 
पदाधिकारियों और मीडिया के हाथ लगे इस पर्चे का शीर्षक था ‘वेंकैया नायडू से प्रश्न’। वेंकैया से इसमें तीन सवाल पूछे गए थे। पार्टी से जुड़े और वरिष्ठों की मानें तो पर्चा भाजपा में मची अंदरूनी घमासान का ही हिस्सा है। खास तौर पर प्रधानमंत्री पद के दावेदारों को लेकर मची होड़ को इसके पीछे देखा जा रहा है। इसके साथ ही गड़करी के विरोधी माने जाने वाले वेंकैया के खिलाफ पर्चा गड़करी के समर्थक खेमे की बदले की गतिविधि माना जा रहा है।

वेंकैया से पूछे गए सवाल
पहला- वेंकैया के गृह प्रदेश आंध्र में 1993 में भाजपा और तेलुगुदेशम की सरकार थी, उस समय भाजपा के विधायक 34 थे, 20 सालों में पार्टी विलुप्त क्यों हो गई? आज एक भी विधायक भाजपा का नहीं है।

दूसरा- बैंगलुरु में बीते नगर निगम चुनाव में वेंकैया के भतीजे उसी वार्ड में बुरी तरह चुनाव हारे, जहां वेंकैया का घर है।

तीसरा- जो (वेंकैया) स्वयं के प्रदेश में एक विधायक भी नहीं जिता पाता हो, उसे दूसरे प्रदेश में चुनाव के टिप्स देने का क्या अधिकार है?



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