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आवासीय जमीन घोषित कराने किसानों ने लगाया जाम

ब्यूरो, भोपाल
भदभदा-सीहोर राजमार्ग क्षेत्र की जमीनों को कृषि से आवासीय घोषित करवाने के लिए हजारों किसान मंगलवार को सड़क पर उतर आए। किसानों ने करीब साढे तीन घंटे तक भदभदा ब्रिज पर प्रदर्शन किया, जिसके चलते रोड़ जाम हो गया। आखिरकार, जिला प्रशासन ने पंद्रह दिन में जिला प्रभारी मंत्री जयंत मलैया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलवाने का भरोसा दिलवा कर जाम खत्म करवाया। इससे सड़क से तो किसान हट गए, लेकिन 15 दिन में सुनवाई नहीं होने पर फिर से सड़क पर उतरने का अल्टीमेटम भी दे दिया। 

 भदभदा-सीहोर मार्ग के आस पास की 70 पंचायतों के जुटे किसान
साढे तीन घंटे बाद हटा
या
जा सका 

आंदोलनकारियों ने सीएम से बात करवाने के लिए प्रशासन को दी 15 दिन की मोहलत

भदभदा-सीहोर राजमार्ग के आस पास के गांवों के किसान सुबह से ही टैÑक्टर ट्रालियों, जीपों और मोटर साइकिलों से आने लगे थे, जिनकी तादाद 11:00 बजे तक करीब दो हजार तक पहुंच चुकी थी। इसी बीच कुछ किसानों ने आंदोलन को उग्र करने की बात कही। किसानों ने एक स्वर में कहा ‘अब सरकार को अपनी ताकत दिखानी होगी।’ जैसे ही आंदोलन की बात हुई तो आज और अभी से ही इसकी शुरुआत करने की बात कहते हुए करीब दर्जनभर किसान सड़क पर आ गए। इसके बाद तो सड़क पर आने की होड़ सी मच गई और हजारो किसान सड़क पर खडेÞ हो गए। इसके साथ ही भदभदा मार्ग पर किसानों ने बैलगाड़ी, टैÑक्टर, जीप और बाइकों को भी अड़ा दिया। सुबह 11:30 बजे से जाम शुरु हो गया, जोकि करीब साढेÞ तीन घंटे तक चला। किसानो में मस्तान सिंह मारण, अभिषेक त्यागी, बाबूलाल मीना लखापुर, शहीद भाई मालीखेड़ी, नगीना पाटीदार एवं उदयपाल ठाकुर मुगालिया छाप, भगवान सिंह र्इंटखेड़ी, दौलम मेवाड़ा एवं जगदीश राठौर कजलास, रामसिंह गौर कौड़िया, मुकेश पटेल झागरिया और गणेश बघेल आदि थे।

अपने मासूमों को ढूंढ़ते रहे अभिभावक
कड़ाके की ठंड के बाद मंगलवार को स्कूल खुले, लेकिन सड़क जाम के चलते इस क्षेत्र के स्कूलों से के बच्चों को ले जाने वाली बसें यहीं पर फंसने के कारण आगे नहीं बढ़ पार्इं। ऐसे में एक के पीछे एक बस की लाइन लगती गई। सीहोर की ओर से आने वाले यात्री वाहन भी फंस गए। दोपहर तक बच्चों के घर नहीं पहुंचने पर अभिभावकों ने पता किया और जाम की खबर मिलते ही बच्चों को लेने पहुंचे। दिल्ली पब्लिक स्कूल, बिला बॉन्ग और संस्कार वैली स्कूल की बसों में अभिभावक अपने मासूमों को खोजते दिखाई दिए।

15 दिन की मोहलत पर हटे किसान
 जाम के कारण वाहनों की कतारें लगने के बाद नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकारी पुलिस बल के साथ यहां पहुंचे। अपर कलेक्टर बसंत कुर्रे, नगर निगम उपायुक्त गोपाल प्रसाद माली और हुजूर एसडीएम राजेश श्रीवास्तव ने किसानों को उनकी मांग पर विचार कर प्रस्ताव राज्य शासन को भेजने का आश्वासन दिया। इसके लिए कम से कम एक माह का वक्त लगने का कहने पर धरना स्थल पर बैठे कुछ किसानों ने सहमति जता दी, लेकिन सड़क पर जमा किसानों ने साफ कहा कि समझौता नहीं, निराकरण चाहिए। अधिकारियों ने फिर से किसानों से चर्चा की और 15 दिन में जिला प्रभारी मंत्री जयंत मलैया से बात करके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलवाने का भरोसा देने पर किसान राजी हुए। इस दौरान उपायुक्त माली से किसानों से गर्मागर्म बहस भी हो गई।

यह हैं किसानों की मांगे
-भदभदा-सीहोर मार्ग की 70 ग्राम पंचायतों की जमीन को आवासीय घोषित किया जाए।
-भदभदा से रातीबड़ - सीहोर मार्ग तक प्याऊ बनवाएं और स्ट्रीट लाइट लगाएं।
-1995 के मास्टर प्लान के अनुसार सड़क को 180 फुट चौड़ा किया जाए।
-नगर निगम सीमा के तहत वार्ड-24 के चार गांव आते हैं, ऐसे में लो फ्लोर बसें चलाई जाएं।
-तालाब के कैचमेंट एरिया की परिभाषा को ग्रामीणों के सामने स्पष्ट करके सीमांकन किया जाए।
-रातीबढ़ में बड़ा चिकित्सालय आधुनिक सुविधाओं के साथ स्थापित किया जाए।
-88 गांवों में पेयजल, सीवेज और विकास की मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाई जाए।
-भदभदा-सीहोर मार्ग एवं अन्य मार्गों पर संकेत बोर्ड और स्पीड ब्रेकर बनाए जाए।

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प्रशासन ने 15 दिन के अंदर जिला प्रभारी मंत्री जयंत मलैया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से आमने सामने बात करवाने का भरोसा दिलाया है, ताकि, आवासीय घोषित करने का फैसला हो सके। अगर हमारी बात नहीं करवाई जाती तो 15 दिन के बाद फिर से किसान सड़क पर होंगे।
मस्तान सिंह मारण, अध्यक्ष, भदभदा-सीहोर विकास मार्ग संघर्ष समिति

जमीनों को आवासीय घोषित करवाने की मांग के संबंध में सरकार ही निर्णय ले सकती है, ऐसे में जिला प्रभारी मंत्री के समक्ष यह मांग प्रेषित होगी। गांवों में मूलभूत सुविधाओं और विकास संबंधी कार्यों की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों की है। मांगों के संबंध में उच्चाधिकारियों को अवगत कराएंगे।
बसंत कुर्रे, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी, दक्षिण

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