शब्बीर अहमद, बेगमगंज.
बेगमगंज जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत पंदरभटा में पंचायत के उपसरपंच एवं पंच द्वारा किए गए भ्रष्टाचार एवं फर्जीवाड़े की शिकायत पर जांच करने पहुंची प्रशासनिक अधिकारियों की टीम। प्रथम दृष्टया फर्जी सील सिक्कों के आधार पर कागजात तैयार कर बनवाई केसीसी एवं पंचायत में नहीं हुए निर्माण कार्य, फिर भी राशि पूरी निकाली गई। कई अधिकारी कर्मचारी शक के घेरे में, जिनपर फर्जीवाड़े में शामिल होने के सुबूत जुटा रहा है जांच दल। बैंकों से भी हासिल किए केसीसी में लगाए गए कागजात, जांच दल को कुछ शिकायतकर्ताओ ने दर्ज कराए बयान। तो कुछ को असरदारों ने नहीं आने दिया जांच दल के सामने।
ग्राम पंचायत पंदरभटा के पंच राजा दिग्विजय सिंह एवं उप सरपंच वृषदेव द्वारा धनबल एवं फर्जीवाड़े के माध्यम से शासन को करोड़ों रुपए की हानि पहुंचाने की शिकायत लोकायुक्त, मुख्यमंत्री एवं कलेक्टर को पंचायत के सरपंच गुड्डा ने की थी। इसके साथ ही जिनके नाम से बैकों से केसीसी बनवाई गई, उनमें रामअवतार, राधे सहित अन्य ने शपथ पत्र के साथ शिकायत की थी। इसके बाद जिला पंचायत के सीईओ ने तीन सदस्यीय टीम बनाकर मामले की जांच के लिए भेजा है। जांच दल में जिला आडीटर एस सिसोदिया, तहसीलदार बेगमगंज बृजेन्द्र रावत, पंचायत इंस्पेक्टर शिवनारायण सक्सेना शामिल है। पंचायत इंस्पेक्टर एवं तहसीलदार द्वारा स्थानीय स्तर पर बैंको आदि के दस्तावेज कलेक्ट कर जांच शुरू की तो जिला आडीटर, क्षेत्र के पटवारी एवं नायब तहसीलदार शांताराम कुमरे की टीम ने ग्राम पंदरभटा एवं गोपई जाकर मामले की जांच की, जिसमें पहली नजर में ही भारी हेराफेरी सामने आई है।
नाम और चेहरे तक बदल दिए जालसाजों ने
गोविन्द पुत्र भगतसिंह यादव जैसीनगर निवासी को तहसील का कृषक बता कर लिया सियरमऊ व बेगमगंज स्टेट बैंक से लोन, रामअवतार के नाम से फर्जी ऋण पुस्तिका बनाकर करीब तीन लाख का लिया ऋण। करोड़ी सेन भूमिहीन है, इसके नाम से बनवाया क्रेडिट कार्ड, विद्या बाई के पति के नाम के स्थान पर पति का नाम अंकित कर दोबारा लोन लिया। कुलदीप यादव निवासी बंडा के नाम से ऋण प्रकरण में राधे वल्द राजाराम का फोटो लगाकर ऋण लिया। पंचायत में नहीं हुए निर्माण कार्य लेकिन खाते से निकल चुकी है पूरी राशि।
फर्जी दस्तावेज बनाने में कई शामिल
इस मामले विचारणीय सवाल हैं कि, आखिर कहां से आई फर्जी ऋण पुस्तिकाएं, तहसीलदार,नायब तहसीलदार,पटवारी के फर्जी हस्ताक्षर कैसे बनाए गए? जिनके पास राजस्व रिकार्ड में भूमि नहीं है, उनकी कैसे बनी ऋण पुस्तिकाएं? दूसरे जिले के किसान कैसे बने तहसील के किसान, केसीसी बनाने पर दस्तावेज का सत्यापन किसने किया? बैंकों में केसीसी बनाते समय कौन सा व्यक्ति पहुंचा? पंचायत के निर्माण कार्य हुंए ही नहीं या अधूरे है तो फिर इंजीनियर आदि ने किस आधार पर सत्यापन कर निकलवा दी पूरी राशि और किस आधार पर लगादी निर्माण पूर्ण होने की रिपोर्ट? यदि जांच ईमानदारी से पूरी की जाती है तो फर्जीवाड़े में पंच उपसरपंच सहित जनपद के इंजीनियर, बैंक के अधिकारी भी लपेटे में आएंगे। दो बैंको स्टेट बैंक सियरमऊ और बेगमगंज से बने है अधिकतर केसीसी व ऋण प्रकरण।
रिकार्ड से नहीं हो रहा है जब्त रिकार्ड का मिलान
तहसीलदार बृजेन्द्र रावत का कहना है कि बैकों से हासिल किए कागजात व ऋण पुस्तिकाओं का रिकार्ड से मिलान नहीं हो रहा है। हस्ताक्षर भी सही नहीं पाए जा रहे है। प्रथम दृष्टया मामला संदेह के घेरे में है। पूरे मामले की जांच बारीकी से की जा रही है। मामला लोकायुक्त व मुख्यमंत्री के यहां तक पहुंच चुका है। जांच टीम के आने के बाद रिपोर्ट सौंपी जाएगी। कुछ मामलों के कागजात बैंक से प्राप्त हो गए है, बाकी एक दो दिन में प्राप्त हो जाएगें।
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जनवरी 23, 2013
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