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सीहोर में बच्चों की जान जोखिम में

नर्मदा घाटों पर पैसों के लालच में कई बच्चों का भविष्य अंधकार में
महेन्द्र ठाकुर, सीहोर.


सीहोर में बच्चों की जान जोखिम में
नर्मदा तटों पर आज भी कई बच्चे स्कूल जाने की उम्र में पेट के खातिर नर्मदा घाटों पर रस्सी में चुम्बक बांधकर नदी से पैसे निकालने का काम पूरे दिन करते रहते हैं, और थोड़े से पैसे के लालच में स्कूल नहीं पहुच पा रहे है। और इस काम को नहीं करने के लिए न तो माता-पिता रोक पा रहे है और न ही स्कूल के शिक्षक।
नर्मदा घाटों पर चुम्बक बांधकर नदी से पैसे निकालने वाले मनोज केवट उम्र 9 वर्ष निवासी आंवलीघाट ने बताया कि वह सुबह 8 से 5 बजे तक आंवलीघाट से चुम्बक बांधकर पैसे निकालता है और दिनभर में 100 से 200 रूपए नदी से निकाल लेता है। यह सिक्के उसके परिवार का भरण-पोषण करने में मदद करते हैं। इस कारण मनोज केवट कभी कभार ही स्कूल जा पाता है। 

सीहोर में बच्चों की जान जोखिम में
 ऐसे ही नर्मदा घाटों पर सैकड़ों बच्चों के नाम स्कूलों में लिखे है, लेकिन वह कभी कभार ही स्कूल पहुचते हैं। असलियत यही है कि, स्कूलों में हाजिरी दर्शाई जाती है और बच्चे हमेशा नदी में चुम्बक डालकर पैसे निकालने के काम में लगे रहते है। आज तक किसी समाजिक संस्था या राज्य सरकार ने इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया और यह भारत के कर्णधार अपने भविष्य से खिलवाड़ कर आने वाला समय नष्ट कर रहे है। ऐसे में यह बच्चे, जिनमें लड़कियां भी शामिल हैं, पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। इन बच्चों के माता-पिता भी ध्यान नहीं देते, क्योंकि प्रतिदिन बच्चों से कुछ ना कुछ धन राशि सिक्कों के रूप में मिल जाती है। इसी कारण बच्चों के माता पिता भी बच्चों पर स्कूल जाने का दबाब नहीं डालते है। ऐसे में नर्मदा पट्टी के सैकड़ों गांव के हजारों बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है।

फरमाते हैं जिम्मेदार
नर्मदा घाटों पर रस्सी में चुम्बक बांधकर सिक्के खोजने वाले बच्चोंको कई बार हिदायत दी गई है, लेकिन इस पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। इनबच्चों के भविष्य को लेकर प्रशासन या किसी स्वंयसेवी संस्था को अभियान चलाना चाहिए। ताकि, इन हजारों बच्चों का भविष्य संवर सके।
अरविन्द दुबे, सरपंच, ग्राम पंचायत, आंवलीघाट

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