Type Here to Get Search Results !

मंत्री की मुहर लगने से क्या गैरकानूनी नियुक्तियां वैध हो जाएंगीं?

महाश्वेता तिवारी, लखनऊ.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजधानी के डॉ. राममनोहर लोहिया चिकित्सा विज्ञान संस्थान में अवैध रूप से की गई तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द कर दी हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीसीआईडी को जांच करने के निर्देश भी दे दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि पूरी चयन प्रक्रिया की जांच 4 महीने में पूरी करके सीबीसीआईडी कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपे। जांच के दायरे में तत्कालीन स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री लालजी वर्मा, आईएएस अफसर हरभजन सिंह और चिकित्सा विभाग के कई आला अफसर आ रहे हैं।

डॉ. राममनोहर लोहिया चिकित्सा विज्ञान संस्थान में 
अवैध रूप से की गई तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के 
कर्मचारियों की नियुक्तियां रद्द

न्यायमूर्ति सत्येन्द्र सिंह चौहान ने यह फैसला पंकज कुमार श्रीवास्तव व अन्य की वर्ष 2009 में दायर याचिका को मंजूर करते हुए सुनाया। याचियों ने इसमें विभिन्न पदों के लिए चयन व नियुक्ति संबंधी वर्ष 2008 के आदेशों को चुनौती देते हुए चयन प्रक्रिया में धांधली व पक्षपात किए जाने का आरोप लगाया था।
अदालत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कराई गई जांच में सामने आया है कि, नियुक्तियां गैरकानूनी ढंग से की गईं। कोर्ट ने कहा कि प्रमुख सचिव से रबर स्टैम्प की तरह काम करने की अपेक्षा नहीं की जाती है, बल्कि उनसे उम्मीद की जाती है कि वे दिमाग लगाकर पूरी फाइल का परीक्षण करेंगे। सीबीसीआईडी पता लगाए कि तत्कालीन स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री, डीजी मेडिकल-हेल्थ, संयुक्त सचिव रामकुमार प्रसाद, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा हरभजन सिंह की इन नियुक्तियों को मंजूरी देने में क्या संलिप्तता रही?
कोर्ट ने तत्कालीन स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री लालजी वर्मा द्वारा इन नियुक्तियों को मंजूरी दिए जाने पर तीखी टिप्पणी करते कहा कि मंत्री की मुहर के मायने यह नहीं होते हैं कि गैरकानूनी नियुक्तियों को वैधता दी जा सकती है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.