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सुमेर सोसायटी चुनाव में एक और जालसाजी उजागर

ब्यूरो, बेगमगंज (रायसेन).
सेवा सहकारी समिति सुमेर में धोखा धड़ी कर नाम वापसी की शिकायत के बाद आज एक अभ्यर्थी ने जिला निर्वाचन अधिकारी को उसके फर्जी दस्तखत बनाकर नाम निर्देशन फार्म वापिस निकालने का सनसनीखेज खुलासा किया है। शिकायतकर्ता अभ्यर्थी के नाम निर्देशन पत्र पर किए हस्ताक्षर व फार्म वापिसी पर फर्जी बनाए गए हस्ताक्षरों का मिलान करने तथा षड़यंत्र में शामिल निर्वाचन अधिकारी जेपी चौरसिया, सहायक निर्वाचन अधिकारी कांतीलाल पंथी, सहायक प्रबंधक शहादत अली के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी गई है।

ग्राम बेरखेड़ी बरामद गढ़ी निवासी नवाब खां मंसूरी ने सेवा सहकारी समिति सुमेर से सामान्य वर्ग से नाम निर्देशन पत्र जमा किया था। स्कू्रटनी में फार्म स्वीकृत हुआ, उसके बाद नाम वापसी का अंतिम समय 7 जनवरी को दोपहर 1 बजे तक था। अभ्यर्थी या उसके प्रस्तावक समर्थकों ने नाम वापसी हेतु कोई आवेदन नहीं किया। इसके बाद 8 जनवरी को जब वह चुनाव चिन्ह लेने पहुचा तो संस्था में ताला डला पाया। इस पर उसने सहायक चुनाव अधिकारी कांतीलाल से फोन पर सम्पर्क किया तो जानकारी मिली की तुम्हारा फार्म तो निकल गया। अभ्यर्थी ने अपने साथ हुई जालसाजी की शिकायत के लिए चुनाव अधिकारी के पास गया तो वे भी अपना मोबाइल बंद कर भूमिगत हो गए और सहायक प्रबंधक भी गायब हो गया। चुनाव पर्यवेक्षक श्री गुप्ता ने आपत्ती लेने से इंकार कर दिया, तब उन्होने फैक्स से जिला चुनाव निर्वाचन अधिकारी को भेजकर मामले की जांच कर निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि 7 जनवरी को एक अन्य अभ्यर्थी जावेद अली से भी इन्ही अधिकारियों ने धोखा धड़ी से हस्ताक्षर कराने के उपरांत फार्म निकाल लिया था।

जिम्मेदार अधिकारी ने हाईकोर्ट जाने की सलाह
इस संबंध में डीआर विनोद सिंह का कहना है कि यदि धांधली हुई है तो अभ्यर्थी स्वयं उपस्थित होकर आपत्ती दर्ज कराए, जिसके बाद शिकायत की जांच होगी। यदि चुनाव अधिकारियों ने आपत्ती नहीं ली है तो शिकायतकर्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है। हालांकि, इस संबंध में फैक्स से मिली शिकायत को वैध या अवैध मानने के बारे में उनके पास कोई जवाब नहीं है। इसके साथ ही मनमानी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई के मुद्दे पर भी टालमटोल वाला रवैया है।

सहकारिता चुनाव को पलीता लगा रहे हैं अधिकारी
सहकारिता चुनाव में भ्रष्ट और दबंगों से मिलीभगत करने वाले अधिकारियों की मनमानी हावी है। गौरतलब होगा कि, इससे पहले ढिलवार सोसायटी के चुनाव अधिकारी का अपहरण कर मनमर्जी से निर्विरोध चुनाव करा लिया गया, और जिम्मेदार अधिकारी शिकायत मिलने पर जांच का राग अलाप रहे हैं। इसी तरह सुल्तानगंज सोसायटी का सहायक प्रबंधक नाम निर्देशन फार्म लेकर गायब हो गया था। चंदोरिया सोसायटी में भी विवाद सामने आया। हालत यह है कि, सत्ता मद में चूर होकर सोसायटी चुनाव में बिहारी स्टाइल अपना कर एक छत्र राज कायम करने की चालें को कामयाब बनाने में अधिकारी सहयोगी की भूमिका में हैं।

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