कीर्तिवान लौटे नहीं, देखन अपनी नींव।।
एचआर भावसार, औबेदुल्लागंज |
फिर अटलांटिक पार क्यूबा भेजना पड़ा। उनकी मौत के बाद उनका शव भी समुद्री यात्राओं की तरह जगह जगह दफनाया गया।
यह अजीब संयोग है कि, महान और किसी भी कारण से चर्चित
नामों को मरने के बाद भी चैन नहीं मिला और उनके शवों को
एक कब्र से दूसरी कब्र में दफनाया जाता रहा। कारण कुछ भी हों, लेकिन ऐतिहासिक सच सोचने पर मजबूर जरुर करता है।
महान हास्य अभिनेता, एक्टर, निर्देशक चार्ली चेपलिन की मृत्यु सन 1977 में होने के बाद उनके शव को कोरसियो ने बेन की कब्र में दफनाया। पर, सन 1978 में 2 चोरो ने उनका शव निकालकर उनकी पत्नी उना से फिरौती मांगी, लेकिन फिरौती नहीं मिलने पर उनके शव को एक खेत में दफना दिया। इसका पता चलने के बाद चार्ली चेपलिन की पत्नी की मांग पर उनके शव को दूसरी जगह दफनाना पड़ा।
रेडियम, पोलो, रेडियो एक्टिविटी किरणों की खोज करने वाली विश्व की पहली वैज्ञानिक महिला मेडम क्यूरी की मृत्यु 4 जुलाई सन 1934 में होने पर उनके शव को स्थानीय चर्च स्थित कब्र में दफनाया गया। नोबल पुरस्कार मिलने से कुछ वर्षो बाद पेरिस द्वारा सम्मान देने हेतु कब्र से उनके शव को भी पुन: बाहर निकाला गया और पांथओन में राजकीय सम्मान के साथ दफनाया गया।
दुनिया पर राज करने का सपना देखने वाले हिटलर ने सेना द्वारा पकडे जाने पर आत्महत्या की थी। सन 1945 में दफनाये जाने के बाद सन 1970 तक सोवियत सेना, शव को इधर उधर शिफ्ट करती रही। उनकी मौत की खबर अफवाह बनने पर शव को कब्र से निकाला गया, फिर दफनाया गया। अभी तक किसी को नहीं पता कि, हिटलर का शव वास्तव मे कहां दफनाया गया है।
क्यूबा के क्रांतिकारी नेता चेग्वारा दक्षिण अमेरिका में पूंजीवाद के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध समर्थन के कारण पकडे गये, गोली लगने से मृत्यु उपरान्त उनके शव को रनवे में दफनाया गया। शव गायब होने की अफवाह के कारण शव 2 वर्ष बाद निकालकर क्यूबा को सौपकर पुन: दफनाया गया। इसी प्रकार अराफात, लादेन ओर भारत के अन्तिम बादशाह बहादुर शाह जफर, कसाब आदि को अपनी जन्मभूमि की 2 गज जमीं भी नही मिल सकी, अन्य देशों में कब्र मिली।