मप्र ग्रामीण सड़क प्राधिकरण के संभागीय सम्मेलन में ठेकेदारों ने किया खुलासा तो जवाब देते नहीं बना अफसरों से
ब्यूरो, भोपाल.
‘हम भी चाहते हैं, जिस सड़क निर्माण के लिए हमें ठेका मिला है, उसे नियत समय में और गुणवत्ता के साथ पूरा करें। लेकिन अधिकारियों के अड़ंगे के कारण ऐसा नहीं हो पाता। कभी पटवारी तो कभी आरआई, बात यहीं नहीं रुकी तो तहसीलदार फिर एसडीएम तक हमारे प्रकरण चले जाते हैं। इस कारण सड़कों का निर्माण समय पर नहीं हो पाता।’
यह पीड़ा है बरेली, जिला रायसेन के ठेकेदार साहबसिंह धाकड की, जोकि शुक्रवार को संभागायुक्त कार्यालय के सभागार में आयोजित मप्र ग्रामीण सड़क प्राधीकरण से जुड़े अधिकारियों और ठेकेदारों के सम्मेलन में व्यक्त हुई। इसमें प्रमुख अभियंता एमके गुप्ता, सीजीएम एडी कापले सहित सड़क प्राधिकरण कअधिकारी उपस्थित थे।
सम्मेलन में प्रशासनिक अड़ंगेबाजी और सेवा शुल्क के कारण होने वाली परेशानी और निर्माण में देरी के बारे में ठेकेदारों ने प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने खुलासा किया। इस दौरान ठेकेदारों ने समय पर भुगतान, पेनॉल्टी और परमिट जारी करने के अधिकार अनुविभागीय अधिकारी को देने की गुजारिश की।
गुनगा कलारा के ठेकेदार ने कहा कि मैंने इस क्षेत्र की 8 टन क्षमता झेलने वाली सड़क 2 साल पहले बनाई, लेकिन यहां चार माह पहले एक फैक्ट्री खुल गई है। फैक्ट्री से 10 टन क्षमता वाले लोडिंग वाहन निकलते हैं। इसके नतीजे में सड़क इस वजन को नहीं झेल पाएगी। बात सुनने के बाद प्राधिकरण की मुख्य कार्यापालन अधिकारी अलका उपाध्याय ने कहा ऐसे मुद्दों पर विचार किया जाएगा। ऐसी सड़क निर्माण से पहले भविष्य में वहां आने वाले उद्योगों के बारे भी जानकारी ली जाएगी, जिससे अनावश्यक कारणों से ठेकेदार या निर्माणकर्ता को परेशान न होना पड़े।
निर्माण पूरा हो जाने के बाद भी कमीशन के चक्कर में भुगतान लटकाए रखने की परेशानी पर श्रीमती उपाध्याय ने कहा अब तीन माह के भीतर भुगतान की प्रक्रिया शुरु की गई, जिसका पालन कड़ाई से करवाया जा रहा है। इसके साथ ही पेटी कान्टेक्टरों की समस्याओं पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
कमीशन और अफसरों के अड़ंगे से नहीं बन पाती समय पर सड़कें
दिसंबर 21, 2012
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