मायावती और नसीमुद्दीन सिद्दीकी को बचाने के लिए केंद्र सरकार और सीबीआई एक साथ आए
ब्यूरो, लखनऊ.
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ताज कारीडोर मामले में राज्यपाल द्वारा अभियोजन स्वीकृति न दिए जाने के आदेश को चुनौती देने वाली जनहित याचिका के विरोध में केन्द्र सरकार और सीबीआई दोनों साथ आ गए।
उनके वकीलों ने तर्क दिया है कि इस मामले में बेंच ने अपना फैसला दे दिया है, लिहाजा दूसरी याचिका पोषणीय नहीं है। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 11 जनवरी तय की है।
न्यायमूर्ति उमानाथ सिंह एवं न्यायमूर्ति डा. सतीश चन्द्रा की पीठ के समक्ष याची शचीन्द्र प्रताप सिंह ने राज्यपाल द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी को अभियोजन स्वीकृति के अभाव में बरी किए जाने को चुनौती दी है।
केन्द्र सरकार की ओर से एडिशनल सालिसिटर जनरल के. रावल ने पक्ष रखते हुए कहा कि याचिका ग्राह्य नहीं है। वहीं, सीबीआई की ओर से भी कहा गया कि 5 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद राज्यपाल के आदेश को चुनौती दी गई है। इसी आधार पर याचिका स्वीकार किए जाने योग्य नहीं है।
ताज कारीडोर मामले में साथ आए केंन्द्र और सीबीआई!
दिसंबर 19, 2012
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