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मनुष्यों को उनके कानूनी अधिकार मिलने ही चाहिए

विश्व मानव अधिकार दिवस पर आयोजित सेमीनार में अपर सत्र न्यायाधीश कमल जोशी के उद्गार
ब्यूरो, बेगमगंज.

अपर सत्र न्यायाधीश कमल जोशी
अपर सत्र न्यायाधीश कमल जोशी
जब प्रकृति के साथ मतभेद नहीं करती तो मनुष्य क्यों करें। यदि उन्हें कानूनी तौर पर अधिकार है तो वह मिलना चाहिए। मानव अधिकारों का उल्लघंन होने की दशा में मानव अधिकार आयोग का दरवाजा खटखटा सकता है। भारत के संविधान में सभी को समानता से जीने का और अपने धर्म का स्वतंत्र रूप से पालन करने, रोजगार, नौकरी और रहने का अधिकार दिया गया है। मानव को मौलिक अधिकारों में बोलने की स्वतंत्रता कानूनी तौर पर दी गई है।
यह कहना है अपर सत्र न्यायाधीश कमल जोशी का, जोकि विश्व मानव अधिकार दिवस पर आयोजित सेमीनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होने कहा कि, विश्व स्तर से लेकर राष्टÑीय एवं प्रांतीय स्तर तक मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया है। यदि कहीं किसी को अकारण प्रताड़ित कर क्षति पहुंचाई जाती है तो उसके खिलाफ आयोग में जा सकता है। आयोग संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा के साथ अर्थदंड भी लगा सकता है। इसमें विशेष तौर पर पुलिसीय अत्याचार से छुटकारा मिला है। इसके साथ बाल संरक्षण, महिला संरक्षण जैसे कानूनी अधिकार भी दिए गए है। इससे जेलों और पुलिस थाने में अत्याचार पर रोक लगी है। अस्पतालों में सभी को समानता से उपचार की सुविधा मिलती है।
प्रथम श्रेणी न्यायाधीश धनराज दुबेला एवं वरिष्ठ अधिवक्ता शिवराज सिंह ठाकुर, श्रीकृष्ण तिवारी, मोहम्मद मतीन, चांद मिया ने मीडिया के माध्यम से इन्सानों को अपने अधिकार और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने पर जोर दिया। आभार न्यायाधीश चन्द्रसेन मूवेल ने व्यक्त किया।

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