महाश्वेता तिवारी, इलाहाबाद/लखनऊ.
मुख्यमंत्री बनने के बाद कुम्भ मेले की तैयारियों का निरीक्षण करने पहली बार इलाहाबाद आने का अखिलेश यादव का आज का कार्यक्रम भले ही निरस्त हो गया हो, लेकिन पूरे शहर को समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने झंडे और बैनर से पाट कर रख दिया। ऐसा लग रहा था की जैसे छोटा बड़ा हर नेता, अखिलेश की नजÞरों में बड़ा बनना चाहता हो। इसी के फेर में पार्टी के बेलगाम कार्यकता सारी मर्यादाओं को भूल गए।
शहर में पटे बैनरों और झंडों को देखकर ऐसा लग रहा था, जैसे इलाहाबाद में समाजवादियों का कुम्भ मेला लगने जा रहा है। और तो और इसी के चक्कर में पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शूरवीर महाराणा प्रताप तक को अपना कार्यकर्ता घोषित कर दिया।
सपा के खिलाफ भाजपा मैदान में
शहर के बीचों-बीच लगी महाराणा प्रताप की विशाल प्रतिमा में लगे भाले पर ही पार्टी का झंडा खोंस दिया और महाराणा प्रताप को समाजवादी बना डाला। महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर झंडा लगाते समय सपा के अतिउत्साही कार्यकर्ता यह भी भूल गए की, वो कहां और किस जगह अपनी पार्टी के झंडे लगा रहे हैं। उनके इस कृत्य से लोगों की भावनाओं को कोई ठेस तो नहीं लगेगी, इसका भी ख्याल नहीं रखा। शायद पार्टी के इन कार्यकर्ताओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्हें तो मतलब सिर्फ अपने मुखिया को खुश करने भर से है, लेकिन जैसे ही इसकी भनक भारतीय जनता पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं को लगी उन्होने अखिलेश यादव के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी और उनका पुतला फूंक दिया। उनका कहना था की समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता ऐसा करके क्या साबित करना चाहते हैं।
बहरहाल, प्रमोशन में आरक्षण का समर्थन करने के बाद बैकफुट पर आई भाजपा को इस नए मुद्दे से आक्सीजन मिलने की उम्मीद है, तो वहीं, सपाई भी भाजपा से उन्नीस नहीं पड़ना चाहते। ऐसे में ताकत की असली नुमाइश अखिलेश यादव के इलाहाबाद पहुंचने पर ही होने के आसार हैं।
महाराणा प्रताप बने समाजवादी..।
दिसंबर 15, 2012
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