गोरखधंधे का खुलासा होने के बाद भी आरोपियों को बचाने में जुटी हैं अखिलेश सरकार
महाश्वेता तिवारी, लखनऊ.
आईपीएस बीडी पोलसन |
दरअसल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चलने वाले अवैध रिफाइनरी के कारोबार में मायावती सरकार के एक कद्दावर मंत्री और एक दबंग पुलिस अफसर शामिल होने से सरकार कार्रवाई को टालने में लगी है। हद तो यह है कि, सत्ता के गलियारों से घूमती हुई ये जांच रिपोर्ट फेंक दी गयी कूड़े के ढेर में और आरोपी अफसर को एक अहम जिम्मेदारी देकर नवाज दिया गया।
एंटी करप्शन ब्यूरो की रिपोर्ट में खुलासा
उत्तर प्रदेश के डायरेक्टर जनरल एंटी करप्शन अतुल कुमार की जांच रिपोर्ट में बीडी पालसन और चौधरी लक्ष्मी नारायण के नापाक गठजोड़ को उजागर किया है। डीजी एंटी करप्शन ने अपनी रिपोर्ट में साफ साफ कहा है कि मथुरा में अपनी तैनाती के दौरान एसएसपी बीडी पालसन को सत्ता में बैठे चौधरी लक्ष्मी नारायण का संरक्षण हासिल था। बीडी पालसन और तत्कालीन कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण के सगे भांजे मनोज चौधरी मिलकर अवैध रिफाइनरियां चलवाते थे। इस काले कारोबार से रोजाना 20 से 25 लाख रूपए तक का कारोबार होता था। रिपोर्ट के मुताबिक इस रकम का बड़ा हिस्सा एसएसपी को मिलता था, जबकि बाकी रकम चौधरी लक्ष्मी नारायण और उनके भांजे को। हद तो ये थी कि काले तेल के इस गैरकानूनी कारोबार में किसी तरह की अड़चन ना आए, इसके लिए एसएसपी बीडी पालसन ने उन्ही थाना प्रभारियों की तैनाती की थी, जिन्हें मनोज चौधरी तैनात कराना चाहते थे। आरोप है कि इसके बदले में पालसन मोटी रकम लेते थे।
पांच लाख में थानेदार की पोस्टिंग
डायरेक्टर जनरल एंटी करप्शन अतुल कुमार ने अपनी जांच के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि, गोपनीय सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि बीडी पालसन द्वारा मनोज, जो कि चौधरी लक्ष्मी नारायण का सगा भांजा है, से संपर्क कर उसके प्रभाव से उक्त अवैध गोदाम धारकों को अनुचित लाभ से पेट्रोलियम पदार्थ का भंडारण, क्रय, विक्रय का अवसर देकर उनसे प्रतिमाह अनुचित लाभ लिया जाता है।
सूत्रों से ये भी पता चला कि, चौधरी लक्ष्मी नारायण के भांजे मनोज के प्रभाव से श्री अनूप भारती, उपनिरीक्षक को थानाध्यक्ष पद पर श्री पालसन द्वारा रूपये पांच लाख अनुचित लाभ लेकर नियुक्त किया गया.
आवाज उठाने वालों पर फर्जी मुकदमें
डीजी अतुल कुमार ने अपनी रिपोर्ट के हर हिस्से में सीनियर आईपीएस बीडी पालसन के खिलाफ बेहद संगीन आरोप लगाए हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक बीडी पालसन ने हर उस शख्स के खिलाफ फर्जी मुकदमे लिखवाए, जिसने उनके भ्रष्टाचार को उजागर करने की कोशिश की। इलाहाबाद के एग्रीकल्चरल इंस्टीट्यूट के पूर्व वैज्ञानिक आईजेक फ्रैंक इन्ही में से एक हैं। फ्रैंक एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट में व्याप्त गड़बड़ियों के खिलाफ लंबे वक्त से लड़ रहे हैं। आरोप है कि एसएसपी इलाहाबाद रहते हुए बीडी पालसन ने एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के कुछ अधिकारियों के प्रभाव में आकर फ्रैंक के खिलाफ फर्जी मुकदमे लिखवाए। यहां ये भी गौर करने वाली बात है कि, बीडी पालसन के सगे भाई और उनकी भाभी भी इसी एग्रीकल्चर इंस्टीट्यÞूट में काम करते हैं। बीडी पालसन का शिकार होने वाले दूसरे शख्स हैं, राकेश द्विवेदी। एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट में सिक्योरिटी इंचार्ज रहे द्विवेदी पर फ्रैंक के खिलाफ फर्जी गवाही देने का दबाव बनाया गया। जब राकेश द्विवेदी ने ऐसा नहीं किया, तब कुछ ही वक्त में उनके खिलाफ भी कई मुकदमे दर्ज हो गए। आरोप है कि आईजेक फ्रैंक और राकेश द्विवेदी के खिलाफ फर्जी मामले में कार्रवाई करने के लिए बीडी पासलन ने कुछ और पुलिस वालों की भी मदद ली।
फिर भी बना दिया वाराणसी का एसएसपी
बीडी पालसन के खिलाफ इस जांच का आदेश तत्कालीन डीजीपी कर्मवीर सिंह ने दिया था। जांच रिपोर्ट में इस बात की सिफारिश की गयी है कि बीडी पासलन को महत्वहीन पद पर रखा जाए। इसके बाद भी हैरानी की बात है कि, बीडी पालसन इस वक्त वाराणसी जैसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील जिले के एसएसपी बने बैठे हैं।
हर आरोप को बताया झूठा
फोन पर हुई बातचीत में बीडी पालसन ने दावा किया कि, उनका कैरियर बेदाग है और उनपर लगाए गए आरोप झूठे हैं। उन्होंने ये माना कि उनके खिलाफ सरकार ने दुबारा जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने ये भी इशारा किया कि पिछली सरकार के कुछ अधिकारी उन्हें बिना वजह फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट इलाहाबाद को लेकर किसी को प्रताड़ित किए जाने के आरोप को भी उन्होंने गलत बताया। साथ ही ये सफाई भी दी कि मेरा भाई 2002 से वहां नौकरी कर रहा है, जबकि मेरी एसएसपी के तौर पर वहां तैनाती 2007 में हुई।
पूर्व मंत्री का सियासी दांव वाला जवाब
काले तेल के करोड़ों के कारोबार को लेकर पूर्व मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण का सियासत के दांव वाला जवाब है कि, सब आरोप गलत हैं। मेरे विरोधियों की साजिश हैं मुझे फंसाने में।
हालांकि, चौधरी इस बारे में कोई साफ जवाब नहीं दे पाए कि, उनके कौन से विरोधी एसा कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं। चौधरी की रट यही है कि, उनको फंसाया जा रहा है, लेकिन अपने भांजे मनोज के बारे में चुप्पी साध जाते हैं।