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पूर्व राष्ट्रपति की पत्नी की संस्था ने सैकड़ों महिलाओं की रोजी-रोटी छीनी

पूर्व राष्ट्रपति स्व. डॉ. शंकर दयाल शर्मा की पत्नी विमला शर्मा की संस्था मप्र महिला कल्याण समिति की जनरल मैनेजर शोभना पाटिल पर पौने दो करोड़ के टेंडर में 10 लाख कमीशन खाकर 300 महिलाओं की रोजी रोटी छीनने का सनसनीखेज खुलासा

ब्यूरो, भोपाल.


पूर्व राष्ट्रपति स्व. डॉ. शंकरदयाल शर्मा की पत्नी विमला शर्मा
  श्रीमती विमला शर्मा
विधवा, नि:शक्त और गरीब महिलाओं के जीवन यापन के लिए भेल से टेंडर लेकर काम करवाने वाली मप्र महिला कल्याण समिति ने बीते 30 सालों से कार्यरत 300 से ज्यादा महिलाओं को बाहर निकाल दिया है। इस समिति की चेयरमैन पूर्व राष्ट्रपति स्व. डॉ. शंकरदयाल शर्मा की पत्नी विमला शर्मा है, जिनके सख्त बीमार होने के कारण समिति जनरल मैनेजर शोभना पाटिल की जेबी समिति बन कर रह गई है। इसी के चलते समिति ने भेल से पौने दो करोड़ रुपए का टेंडर लेने के बाद पंजाब के एक दूसरे ठेकेदार को काम सौंप दिया और समिति में कार्यरत 300 महिलाओं को जबरन बाहर निकाल दिया।

समिति की सौ से ज्यादा महिलाओं ने मंगलवार को भोपाल के अशोका गार्डन थाने में शिकायत दर्ज करवाने के साथ ही कलेक्टर निकुंज कुमार श्रीवास्तव और सहायक श्रमायुक्त एसएस दीक्षित को भी ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में समिति की जनरल मैनेजर शोभना पाटिल पर भेल कर्मचारियों की विधवाओं, गरीब, बेसहारा महिलाओं के नाम पर पौने दो करोड के टेंडर में 10 लाख का कमीशन खाकर दूसरे ठेकेदार को काम देने, धोखाधडी, मारपीट और धमकाने का सनसनीखेज खुलासा किया गया है। शैलबाला मिश्रा, शबाना फारुखी, सुलोचना शिवानी, उषा शर्मा और प्रभा उपाध्याय आदि ने मीडिया को बताया कि बीते 30 साल से भेल में संस्था की तरफ से काम कर रही हैं। समिति को महिलाओं से काम कराने के लिए भेल की ओर से टेंडर दिया जाता है, लेकिन जनरल मैनेजर शोभना पाटिल ने मिली भगत कर इस बार ब्लॉक-4 में कॉपर वायरिंग का 1 करोड 75 लाख का टेंडर पंजाब की एक संस्था के शिवा राणा को दिलवा दिया, जिसमें 10 लाख कमीशन खाया गया है। इसके बाद बिना वेतन और पीएफ आदि दिए महिलाओं को बाहर कर दिया गया। रोजी रोटी छिनने से परेशान महिलाओं को समझ नहीं आ रहा कि, आगे क्या करें और कैसे घर का चूल्हा जलाएं।

जीवन की सांझ में किया बेरोजगार
गौरतलब होगा कि, विमला शर्मा ने 1975 में मप्र महिला कल्याण समिति को शुरु किया था। इसके लिए भेल से यह करार हुआ था कि भेल हर हाल में समिति को टेंडर यानि काम देगा और समिति बेसहारा, विधवा और गरीब महिलाओं से काम करवा कर देगी। मानवीयता के कारण भेल हमेशा ही टेंडर फाइनल करने से पहले समिति को चांस देता है। ऐसे में समिति के टेंडर नहीं लेने पर ही दूसरे को ठेका मिलता है। इस संस्था में 400 महिलाएं बीते 30 सालों से कार्यरत हैं, जोकि भेल के बाहर बड़ी पापड केंद्र और भेल के अंदर ब्लॉकों में काम करती हैं। ऐसे में महिलाओं की आधी जिंदगी यहां काम करते कट चुकी है, लेकिन अब भूखे पेट मरने की नौबत आ गई है।

राष्ट्रपति के नाम पर सब चुप
बीते 3 माह से 250 महिलाओं को वेतन नहीं दिया गया है, जबकि 80 महिलाएं इस उम्मीद पर अभी भी काम कर रही हैं कि, शायद आज नहीं तो कल वेतन मिलेगा। करीब तीन माह पूर्व निकाली गई 25-30 महिलाओं ने सहायक श्रम आयुक्त को ज्ञापन सौंपते हुए मदद की गुहार लगाई थी। सहायक श्रमायुक्त ने कार्रवाई करने का अधिकार नहीं होने का कह कर कार्रवाई से मना कर दिया था। ये सभी महिलाएं पापड़-बढ़ी केन्द्र में काम करती थीं, जो अब घर बैठीं हैं। वास्तविकता यही है कि, पूर्व राष्ट्रपति की पत्नी की समिति होने से भेल प्रबंधन से लेकर श्रम विभाग और प्रशासन तक चुप्पी साधे हैं। दूसरी ओर, श्रीमती विमला शर्मा सख्त बीमार हैं, जिसका बेजा फायदा उठाते हुए समिति की जनरल मैनेजर शोभना पाटिल और कुछ लोगों ने टेंडर में कमीशनखोरी शुरु कर दी है।

महापौर ने दिलाया भरोसा
महिलाओं ने मंगलवार शाम को ही महापौर कृष्णा गौर से भी मुलाकात की और अचानक बेरोजगार होने से परिवार के भरण पोषण की समस्या बताई। इस पर महापौर ने महिलाओं के हक की लडाई में साथ देने का भरोसा दिलाते हुए कहा कि, उनके जायज अधिकारों के लिए लडाई लडेंगी। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि, टेंडर में गडबडी की जांच के लिए भेल प्रबंधन के साथ ही केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री को भी पत्र लिखेंगी।

कहते हैं जिम्मेदार
करीब सौ महिलाओं ने ज्ञापन सौंपा है। नियमानुसार संस्था से महिलाओं को उनका वेतन, बोनस और पीएफ दिलवाया जाएगा।
एसएस दीक्षित, सहायक श्रमायुक्त

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