झांझर में एक वर्ष से अधूरे हैं शौंचालय
अरुण सिंह, पन्ना.
गांवों को निर्मल-सजल बनाने के नाम पर जिले में करोड़ों रूपये व्यय होने के बावजूद चहुंओर भीषण गंदगी पसरी है। मानव मल और गंदे पानी के भराव के चलते गांव आज भी बीमारियों के दुष्चक्र में फंसे हैं। गांवों की यह बद से बदतर तस्वीर समग्र स्वच्छता अभियान की कलई खोलने वाली है। शौंचालय निर्माण के नाम पर सरकारी धन का किस तरह दुरूपयोग किया गया, इसका नमूना पवई विकासखण्ड की ग्राम पंचायत झांझर में देखा जा सकता है। गांव में वर्षों से अधूरे पड़े शौंचालयों का निर्माण कार्य पूर्ण न होने से महिलायें शौंच के लिए खुले में जाने को मजबूर हैं। खुले में शौंच के कारण महिलाओं की मर्यादा तार-तार हो रही है।
उल्लेखनीय है कि अस्वच्छता के कारण फैलने वाली घातक बीमारियों के दुष्चक्र से गांवों को मुक्त कराने के उद्देश्य से एक दशक पूर्व समग्र स्वच्छता अभियान का क्रियान्वयन शुरू किया गया था। इस अभियान का लक्ष्य व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक शौंचालयों का निर्माण कर वर्ष 2011 तक खुले में शौंच की प्रवृत्ति को समाप्त करते हुए गांवों को निर्मल-सजल बनाना था। जिले के ग्रामीण अंचल में स्वच्छता अभियान के तहत् करोड़ों रूपये खर्च होने के बावजूद निर्मल गांव का सपना सकार नहीं हो सका। समग्र स्वच्छता के फ्लॉप शो होने के बाद इसे मर्यादा अभियान का नाम दिया गया है। शासन की प्राथमिकता वाले इस अभियान के तहत् जिले के ग्रामीण अंचल में स्वच्छता के लिए कराये गये कार्यों और उनके प्रभाव की जमीनी सच्चाई को पवई जनपद की ग्राम पंचायत झांझर में करीब से देखा जा सकता है। यहां दलित और आदिवासी बस्ती में रहने वाले लोंगों के घरों में बनाये गये शौंचालय दो वर्ष से अधूरे पड़े हैं। शौंचालय निर्माण कार्य पूर्ण न होने से ग्रामीण शौंच के लिए खुले में जाने को मजबूर हैं। शौंचालय निर्माण कार्य पूर्ण कराने के प्रति पंचायत के नुमाइन्दों एवं जनपद पंचायत के अर्कमण्य अधिकारियों द्वारा बरती जा रही घोर उदासीनता के कारण झांझर की गरीब महिलाओं की मर्यादा तार-तार हो रही है। विगत् दिनों ग्राम झांझर के भ्रमण पर पहंचे सोशल वॉच गु्रप के सदस्य जब दलित बस्ती गये तो वहां दो वर्ष से आधे-अधूरे पड़े शौंचालय देखकर दंग रह गये। गांव की आदिवासी-दलित बस्ती में बने दर्जन भर से अधिक शौंचालयों का निर्माण लगभग दो वर्ष पूर्व शुरू हुआ था। थोड़ा बहुत निर्माण कार्य होने के बाद आज तक काम बंद पड़ा है।
नहीं सुनते सरपंच - सचिव
ग्रामीण अर्जुन वंशकार, भूरा चौधरी, हुकमा वंशकार, कंछेदी वंशकार आदि ने बताया कि अधूरे बने शौंचालयों का निर्माण पूर्ण कराने के लिए उनके द्वारा कई बार सरपंच - सचिव से आग्रह किया गया। पर अब तक सिवाय आश्वासन के कुछ हासिल नहीं हुआ। ग्रामीणों का कहना है कि आधे-अधूरे निर्माण के कारण शौचालय की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। बस्ती में रहने वाली महिलाओं सुदामा बाई वंशकार, फूलाबाई वंशकार, पुसियाबाई वंशकार, मझली बहु चौधरी, हक्की बहु ने सोशल वॉच ग्रुप को अपनी पीड़ा सुनाते हुए बताया कि इन हालातों में दिशा-मैदान के लिए बाहर जाना उनकी मजबूरी है।
गलियों में भरा गंदा पानी
ग्राम झांझर दलित बस्ती में गंदे पानी की निकासी के लिए नालियां न होने के कारण जगह-जगह गंदा पानी भरा है। जिनमें मच्छर और उनके लार्वा पनप रहे हैं। खुले में शौंच के कारण पूरा गांव मानव मल की भीषण दुर्गंध से बजबजा रहा है। यह स्थिति अकेले झांझर गांव की नहीं, बल्कि जिले के अन्य ग्रामों में भी समग्र स्वच्छता अभियान का क्रियान्वयन इसी तर्ज पर हुआ हैै। गांवों में भले ही अब तक स्वच्छता नहीं आई पर अभियान की राशि डकारकर अधिकारियों ने खुद को आर्थिक रूप से सक्षम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
ग्राम झांझर दलित बस्ती में गंदे पानी की निकासी के लिए नालियां न होने के कारण जगह-जगह गंदा पानी भरा है। जिनमें मच्छर और उनके लार्वा पनप रहे हैं। खुले में शौंच के कारण पूरा गांव मानव मल की भीषण दुर्गंध से बजबजा रहा है। यह स्थिति अकेले झांझर गांव की नहीं, बल्कि जिले के अन्य ग्रामों में भी समग्र स्वच्छता अभियान का क्रियान्वयन इसी तर्ज पर हुआ हैै। गांवों में भले ही अब तक स्वच्छता नहीं आई पर अभियान की राशि डकारकर अधिकारियों ने खुद को आर्थिक रूप से सक्षम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
कहां हैं ग्राम जल स्वच्छता समिति
ग्राम पंचायत झांझर में समग्र स्वच्छता अभियान की बदहाली देखकर सहज ही मन में यह सवाल उठता है कि गांव को निर्मल-सजल बनाने के लिए शासन के निर्देशानुसार पंचायत स्तर पर गठित ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों के पदाधिकारी कहां हैं। बताते चलें कि गांव में स्वच्छता की परिकल्पना को साकार करने के लिए इन समितियों के पदाधिकारियों के प्रशिक्षण पर लाखों रूपये खर्च किये गये थे। ग्राम पंचायतों की इन तदर्थ समितियों ने अपने दायित्वों के निर्वहन से मुंह मोड़ लिया है। ग्रामीणों ने मांग की है कि पंचायत में हुये शौंचालय निर्माण कार्यों की जांच की जाये। चूंकि इन्हें आशंका है कि उनके शौंचालय के नाम पर राशि निकालकर पंचायत के प्रतिनिधियों और अधिकारियों ने मिलकर बंदरबांट कर लिया है।
कहते हैं जिम्मेदार
राजस्व एवं जनपद के अधिकारियों के संयुक्त दल को ग्राम पंचायत झांझर भेजकर शौंचालयों की वर्तमान स्थिति की जानकारी प्राप्त की जायेगी तथा पंचायत के रिकार्ड की जांच कराकर सच्चाई सामने लाई जायेगी। यदि शौंचालय निर्माण की राशि निकाली जा चुकी है तो दोषियों के विरूद्ध नियमानुसार सख्त कार्यवाही होगी।
ओएन पाण्डेय, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), पवई