भोपाल और प्रदेश के नामचीन इंजीनियरिंग कॉलेजों में लगाई काली कमाई,
पत्नी और परिवार के सदस्यों को कॉलेजों में बनवाया प्रोफेसर एवं डायरेक्टर
ब्यूरो, भोपाल.
जेल डीआईजी उमेश गांधी को दौलत की इतनी भूख थी कि, भ्रष्टाचार के जरिए लाखों कमाने के बाद रातोंरात करोंडों में बदलने के लिए हर जायज और नाजायज तरीका अख्तियार किया। लोकायुक्त पुलिस की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। डीआईजी गांधी ने भोपाल के साथ ही प्रदेश के कई नामचीन इंजीनियरिंग कॉलेजों में अपनी काली कमाई का निवेश किया है। इसके साथ ही काली कमाई को सफेद बताने के लिए अपनी पत्नी सहित परिवार के सदस्यों को कॉलेजों में डायरेक्टर से लेकर प्रोफेसर तक बनवाया। इसका पता चलने के बाद लोकायुक्त पुलिस गांधी परिवार के साथ-साथ इंजीनियरिंग कॉलेजों को भी घेरने की तैयारी में जुट गई है।
लोकायुक्त की विशेष स्थापना पुलिस टीम सोमवार को जेल मुख्यालय पहुंची। जांच टीम में डीएसपी सज्जन सिंह चौहान, साधना सिंह, निरीक्षक नवीन अवस्थी और सुनील लाटा सहित अमला था। यहां पर शनिवार को जेल डीआईजी उमेश गांधी के सीज किए गए आॅफिस का ताला खोलकर तलाशी ली गई। इसमें कई चौकाने वाली फाइलें जांच टीम के हाथ लगी हैं। डीआईजी गांधी के आॅफिस से जब्त किए गए दस्तावेजों में गांधी की पत्नी अर्चना गांधी को एलएनसीटी कॉलेज में डायरेक्टर पदस्थ होना बताया गया है, जिसके बदले हर माह 40 हजार रुपए वेतन मिल रहा था। प्रारंभिक जांच में ओरियंटल कॉलेज व राजीव गांधी कॉलेज के अलावा उज्जैन के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में गांधी के रिश्तेदारों की कमतर योग्यता के बाद भी नियुक्ति और निवेश संबंधी दस्तावेज मिले हैं।
खोलना चाहते थे पेट्रोल पंप
डीआईजी गांधी ने जिस तेजी से काली कमाई की, उसी तेजी से उसके निवेश के लिए प्लान भी बनाए। इसी के तहत पेट्रोल पंप खोलने के लिए गांधी ने कोई कसर नहीं छोडी थी। डीआईजी गांधी के आॅफिस से तीन फाइलें और समाचार पत्रों के विज्ञापन की कटिंग मिली हैं। डीआईजी गांधी का सपना था कि वह सागर के नजदीकी कस्बे बंडा में अपना एक पेट्रोल पंप खोलें। डीआईजी गांधी ने अर्चना गांधी, मनीषा गांधी, नेहा गांधी के नाम से इंडियन आयल कॉरपोरेशन में पेट्रोल पंप खोलने के लिए आवेदन भी दिया था। लेकिन लॉटरी सिस्टम के दौरान पेट्रोल पंप का आवंटन नहीं होने के कारण गांधी पूरे मामले को हाईकोर्ट तक ले गए थे। हालांकि, हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था।
गैस एजेंसियों के कागजात मिले
दस्तावेजों की जांच के दौरान लोकायुक्त पुलिस को दो गैस एजेंसी की फाइलें हाथ लगी हैं। गैस एजेंसी के लिए रोहित गांधी एवं उनके एक अन्य सदस्य के नाम पर गैस एजेंसी खोलने के लिए आवेदन किया गया है। हालांकि अभी तक गैस एजेंसी के लिए स्वीकृति नहीं मिली है।
गांधी टॉकीज के दस्तावेज भी मिले
सागर के नजदीकी बंडा कस्बे में संचालित गांधी टॉकीज में डीआईजी गांधी के द्वारा काली कमाई के निवेश की बात सामने आई है। जांच अधिकारियों ने बताया कि गांधी टॉकीज कोमलचंद्र गांधी के नाम पर चल रही है। टॉकीज में भारी राशि का निवेश किया गया है, जिसके दस्तावेज लोकायुक्त को मिले हैं।
लॉकर मिला खाली
लोकायुक्त की टीम टीटी नगर स्थित अपेक्स बैंक पहुंची और अजय गांधी का लॉकर खोला, जो बिल्कुल खाली मिला। अधिकारियों ने बताया कि एक मार्च को लॉकर में जो भी जेवरात या अन्य दस्तावेज रखे थे, निकाल लिए गए हैं। इसलिए जांच में वह खाली मिला है।
मुंह नहीं खोल रहा है गांधी
लोकायुक्त पुलिस की छापामार कार्रवाई के बाद से ही डीआईजी उमेश गांधी ने मुंह बंद कर रखा है। लोकायुक्त पुलिस कई बार कोशिश कर चुकी है, लेकिन गांधी बयान नहीं दे रहा है। गांधी ने लोकायुक्त अधिकारियों को लिखित में बयान देने की बात कहीं है। अधिकारियों ने बताया कि गांधी ने यह बात कबूल की है कि, जो भी संपत्ति लोकायुक्त को मिली है, वह उन्हीं की है। सोमवार को डीआईजी गांधी के आॅफिस में पूर्व में उनके साथ काम कर चुके एक बाबू के बयान दर्ज किए गए हैं।