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प्रभारी इतना भारी की, पशुपालन विभाग ने घुटने टेके

बीते 8 सालों से डेयरी स्टेट फार्म भदभदा के प्रभारी उपसंचालक को विभागीय पदोन्नति के बाद प्रभारी संयुक्त संचालक बनाने की कवायद

ब्यूरो, भोपाल.


आस्टेलियन जर्सी गाय
आस्टेलियन जर्सी गाय
 सिर्फ जर्सी नस्ल की गायों की संतति बढ़ाने के लिए स्थापित प्रदेश के एकमात्र डेयरी स्टेट फार्म, भदभदा को निर्धारित नीति के खिलाफ देशी नस्लों की गायों की प्रयोगस्थली बन गया है। इसके लिए बिना मेडिकल जांच के हरियाणा से खरीद कर लाई गइं गायों में बू्रसेल्ला अबारटस नामक बीमारी होने से गर्भाधान होने के बाद एबॉर्शन हो जाता है। दूसरी ओर, फार्म की जिम्मेदारी पिछले 8 साल से प्रभारी उपसंचालक को सौंप रखी गई है और अब इसी प्रभारी उपसंचालक को प्रभारी संयुक्त संचालक बनाने की कवायद जारी है। ताकि, फार्म में बीते सालों में हुई गड़बड़ियों दबी रहें। 

मध्यप्रदेश में दुग्ध क्रांति लाने के लिए 30 साल पहले भदभदा में प्रदेश का एकमात्र जर्सी कैटल ब्रीडिंग फार्म स्थापित किया गया था, जिसके लिए आस्टेÑलिया से जर्सी नस्ल की गायों को मंगवाया गया था। जर्सी नस्ल की शुद्धता और दुग्ध उत्पादन क्षमता को बरकरार रखने के बारे में विशेष प्रशिक्षण सत्र चले थे। तत्कालीन संचालक, पशुपालन विभाग एवी सिंह ने इस फार्म को डेवलप करने और जर्सी नस्ल को प्रदेश के हर गांव तक पहुंचाने के लिए योजना भी बनाई थी। हालांकि, बाद के दिनों में प्रशासनिक भर्राशाही के चलते फार्म अपने मूल स्वरुप में नहीं रह सका और वर्तमान में देशी नस्लों की गायों की ब्रीडिंग करवाई जा रही है।

जर्सी के बजाय देशी नस्लों की भरमार

साहीवाल नस्ल की गाय
साहीवाल नस्ल की गाय
जर्सी पशु प्रजनन प्रक्षेत्र, भदभदा के संबंध में स्पष्ट प्रावधान हैं कि, सिर्फ जर्सी नस्ल की संतति को बढाने पर ही काम होगा। अन्य देशी नस्लों को दूर रखा जाएगा, ताकि मिक्स ब्रीड पैदा नहीं हो और जर्सी नस्ल की शुद्धता बनी रहे। इसके बाद भी बीते दशक में यहां पर हरियाणवी साहीवाल नस्ल की गायों को खरीद कर लाया गया। हरियाणा के हाट, बाजारों से 40 से 50 हजार रुपए में करीब 100 गाय खरीदी गर्ई। इन गायों को जर्सी नस्ल की करीब 150 गायों के साथ ही फार्म में खुला रखा गया है।

गर्भाधान के बाद हो जाता एबॉर्शन
भर्राशाही के चलते देशी नस्लों की गायों को खरीदते समय मेडिकल जांच नहीं की गई, न ही बाद में संक्रमणमुक्त किया गया। इसी के नतीजे में गायों में बू्रसेल्ला अबारटस इंफेक्शन होने से गर्भधारण के तीसरे पखवाडेÞ में एबॉर्शन हो जाता है।

संयुक्त संचालक की पोस्ट बनाई
स्टेट डेयरी फार्म की सेहत सुधारने के लिए सरकार ने नया विभागीय सेटअप तैयार किया है। अब डेयरी का सर्वेसर्वा संयुक्त संचालक स्तर का अधिकारी होगा, जिसके अधीनस्थ दो उप संचालक होंगे। गौरतलब होगा कि, अभी तक उप संचालक स्तर का अधिकारी जिम्मेदार होता था। इसके बाद भी फार्म की जिम्मेदारी किसी उपसंचालक को नहीं सौंपी गई। बीते 8 साल से डॉ. डीके राय को प्रभारी उपसंचालक बना रखा गया है, जोकि मूलत: वीएएस (पशु चिकित्सा सहायक शल्यज्ञ) हैं और जिनके पास किसी तरह की विशेषज्ञता भी नहीं है। दूसरी ओर, पदस्थापना के संबंध में पशुपालन विभाग की गाइड लाइन के अनुसार पॉल्ट्री फॉर्म में पॉल्ट्री विशेषज्ञ, अस्पतालो में मेडिसिन और सर्जरी, फार्म में डेयरी और एनीमल प्रॉडक्शन के विशेषज्ञ ही रखे जाएंगे।

फिर से प्रभारी की तैयारी

पशुपालन विभाग में तीसरी बार उपसंचालक के पदों के लिए विभागीय पदोन्नति की तैयारी है। इस बार करीब 186 उपसंचालक बनेंगे। इसके बाद भी प्रभारी व्यवस्था ही कायम रहने की सुगबुगाहट है। संयुक्त संचालक का पद भरने के बजाय उपसंचालक को ही प्रभारी बनाने की तैयारी है।

फरमाते हैं जिम्मेदार

स्टेट डेयरी की स्थापना मिल्क प्रॉडक्शन में बढ़ोत्तरी और नस्ल सुधार के लिए है। अगर ग्रोथ नहीं हो रही है तो यह चिंता का विषय है और मॉनीटरिंग होनी चाहिए। वैसे इस बारे में डॉयरेक्टर रोकड़े से बात कर लें, वहीं डिटेल जानकारी दे सकेंगे।
डॉ. आरके शर्मा, अवर सचिव, पशुपालन विभाग

स्टेट डेयरी में सब कुछ नियमों के अनुसार ही संचालित हो रहा है। उत्पादन बढ़ने के साथ नस्ल सुधार भी हुआ है। स्टेट डेयरी में 8 साल से प्रभारी डॉ. राय हैं तो 5 साल से पॉल्ट्री फार्म के प्रभारी डॉ. वैद्य हैं। बहुत सारे प्रभारी हैं, इससे फर्क नहीं पड़ता।
डॉ. आरके रोकडे, संचालक, पशुपालन विभाग

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